देश में अचानक कैसे हो गई खाद की कमी? DAP के लिए क्यों जूझ रहे किसान, क्या है इसके पीछे की वजह
Advertisement
trendingNow12500878

देश में अचानक कैसे हो गई खाद की कमी? DAP के लिए क्यों जूझ रहे किसान, क्या है इसके पीछे की वजह

Reason behind DAP Shortage: देश में इस समय रबी फसलों की बुआई चल रही है, लेकिन किसानों को खेतों में बुआई के समय डीएपी खाद संकट का सामना करना पड़ रहा है. सवाल यह उठता है कि देश में खाद की कमी अचानक कैसे हो गई?

देश में अचानक कैसे हो गई खाद की कमी? DAP के लिए क्यों जूझ रहे किसान, क्या है इसके पीछे की वजह

DAP Shortage in India: देश रबी फसल की बुआई चल रही है, लेकिन इस बीच किसानों के सामने नई मुसीबत आ गई है. देश के कई राज्यों में डाई-अमोनियम फॉस्फेट यानी डीएपी (DAP) खाद की कमी से जूझ रहे हैं. कुछ जगहों पर तो हालात इतने खराब हैं कि किसानों डीएपी खाद को ब्लैक में खरीदना पड़ रहा है तो कुछ जगहों पर खाद को हासिल करने के लिए लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है. अब इस मुद्दे को लेकर देश में सियासी माहौल भी गरमाया हुआ है. लेकिन, इस बीच सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ, जिस वजह से देश में अचानक खाद की कमी हो गई?

ब्लैक में डीएपी खरीदने को मजबूर किसान

किसानों को डाई-अमोनियम फॉस्फेट यानी डीएपी (DAP) खाद के संकट का सामना ऐसे समय में करना पड़ रहा है, जब देश में रबी फसलों की बुआई चल रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दावा किया जा रहा है कि किसानों को सरकारी रेट में मिलने वाले डीएपी खाद को ब्लैक में खरीदना पड़ रहा है. हालात ऐसे हो गए हैं कि कई जगहों पर खाद खरीदने के लिए लंबी-लंबी कतारें भी लगी हुई हैं.

देश में अचानक कैसे हो गई खाद की कमी?

दरअसल, देश में डीएपी खाद की कमी का मुख्य कारण आयात पर निर्भर होना है. भारत में डीएपी खाद का उत्पादन सीमित है और हर साल देश में लगभग 100 लाख टन डीएपी की जरूरत पड़ती है. इस वजह से भारत डीएपी की कमी को आयात के जरिए पूरा करता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते कुछ समय से लाल सागर में संकट बढ़ा है और इसका असर डीएपी खाद के आयात पर भी पड़ा है.

संकट से निपटने के लिए सरकार क्या कर रही?

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जनवरी से चल रहे लाल सागर संकट के कारण डीएपी का आयात प्रभावित हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप उर्वरक जहाजों को केप ऑफ गुड होप के माध्यम से 6,500 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ी है. इन चुनौतियों के बावजूद भारत सरकार ने मंत्रिमंडल की दो लगातार बैठकों में उर्वरक की स्थिर कीमतों (50 किलोग्राम बैग के लिए 1,350 रुपये) को बरकरार रखने का फैसला किया है.

इसके अलावा मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) और नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम (NPK) का घरेलू उत्पादन सर्वोत्तम स्तर पर चल रहा है. इसके साथ ही रेल मंत्रालय, राज्य सरकार, बंदरगाह प्राधिकरण और उर्वरक कंपनियों के साथ समन्वय से स्थिति की निगरानी की जा रही है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस)

Trending news