Delhi Election: दिल्ली का रण धर्मयुद्ध या ध्रुवीकरण.. योगी आदित्यनाथ और असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री ने बदला चुनावी माहौल
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Delhi Election: दिल्ली का रण धर्मयुद्ध या ध्रुवीकरण.. योगी आदित्यनाथ और असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री ने बदला चुनावी माहौल

Delhi Election News: दिल्ली का चुनावी मैदान इस बार धार्मिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण की नई परिभाषा लिख रहा है. योगी आदित्यनाथ और असदुद्दीन ओवैसी जैसे फायरब्रांड नेताओं की एंट्री ने इस मुकाबले को और गरमा दिया है.

Delhi Election: दिल्ली का रण धर्मयुद्ध या ध्रुवीकरण.. योगी आदित्यनाथ और असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री ने बदला चुनावी माहौल

Delhi Election News: दिल्ली का चुनावी मैदान इस बार धार्मिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण की नई परिभाषा लिख रहा है. योगी आदित्यनाथ और असदुद्दीन ओवैसी जैसे फायरब्रांड नेताओं की एंट्री ने इस मुकाबले को और गरमा दिया है. योगी ने जहां अपने प्रचार को "धर्मयुद्ध" का नाम दिया, वहीं ओवैसी मुस्लिम वोटबैंक पर दावा ठोकने में जुटे हैं. इन दोनों नेताओं के तीखे बयान और पोस्टर वॉर ने दिल्ली के चुनावी माहौल को पूरी तरह से बदल दिया है.

योगी का 'धर्मयुद्ध' का शंखनाद

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली के करोल बाग से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत की. योगी के मंच पर लगा नारा "बटेंगे तो कटेंगे" पहले से ही बीजेपी की चुनावी रणनीति का एजेंडा सेट कर चुका था. योगी ने अपने भाषण में अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लिया और हिंदुत्व वोटबैंक को साधने की पूरी कोशिश की. योगी ने अपने भाषण में कहा कि दिल्ली को धर्म के आधार पर बांटने वालों से सावधान रहना होगा. हमारी सरकार सबका साथ, सबका विकास की नीति पर चलती है. इस नारे और बयान से बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वह हिंदुत्व के मुद्दे को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ने वाली है.

ओवैसी की ललकार

दूसरी तरफ, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी दिल्ली में अपनी रैली की. शाहीन बाग की 40 फुटा रोड पर लगे पोस्टर ने AIMIM के एजेंडे को उजागर किया. पोस्टर में दंगों के आरोपी शिफा-उर-रहमान को निर्दोष बताया गया, जिसमें लिखा था कि निर्दोष का साथ निभाना है, हकदार को हक दिलाना है. ओवैसी ने अपने भाषण में कहा कि दिल्ली के मुसलमानों को उनके अधिकार दिलाने के लिए हमारी पार्टी मैदान में है. हमें धर्म के आधार पर बांटने की साजिशों को नाकाम करना होगा.

पोस्टर वॉर ने बढ़ाई चुनावी गर्मी

दिल्ली में इस बार का चुनाव पोस्टर वॉर के इर्द-गिर्द घूम रहा है. एक तरफ बीजेपी का 'बटेंगे तो कटेंगे' वाला पोस्टर हिंदुत्व का संदेश दे रहा है. तो दूसरी तरफ AIMIM का पोस्टर मुसलमानों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है. इन पोस्टरों ने चुनावी माहौल को और भी ध्रुवीकृत कर दिया है.

मुस्लिम वोटबैंक की खींचतान

दिल्ली के चुनावी समीकरण में मुस्लिम वोटबैंक अहम भूमिका निभाता है. दिल्ली की करीब 13% आबादी मुस्लिम है, जो 9 विधानसभा सीटों पर निर्णायक मानी जाती है. बीते वर्षों में यह वोटबैंक आम आदमी पार्टी की तरफ झुका हुआ था, लेकिन इस बार कांग्रेस और AIMIM भी इसे अपने पक्ष में करने की कोशिश में हैं. ओवैसी ने मुस्लिम सेंटिमेंट्स को भुनाने के लिए दंगों के आरोपियों को टिकट दिया और अब उनके लिए वोट मांग रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने राहुल गांधी की रैलियों के जरिए इस वोटबैंक को साधने की रणनीति अपनाई है.

क्या मुस्लिम वोट करेंगे ध्रुवीकरण?

मुस्लिम वोटबैंक पर दावा करने वाले तीनों दलों.. AAP, कांग्रेस और AIMIM—के बीच खींचतान ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इस बार मुसलमानों के वोट बंटेंगे? अगर ऐसा होता है, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है. दिल्ली का यह चुनाव धर्मयुद्ध और ध्रुवीकरण के बीच झूल रहा है. योगी आदित्यनाथ और असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री ने चुनावी माहौल को पूरी तरह से बदल दिया है.

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