Delhi Election 2025 : शीला दीक्षित ने बहुत काम किया लेकिन करप्शन ने किया था बंटाधार, क्या अब AAP की बारी है?
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana2611645

Delhi Election 2025 : शीला दीक्षित ने बहुत काम किया लेकिन करप्शन ने किया था बंटाधार, क्या अब AAP की बारी है?

Delhi Election 2025 : शीला दीक्षित का कार्यकाल दिल्ली की विकास यात्रा में एक बड़ा अध्याय था, लेकिन भ्रष्टाचार ने उनकी विरासत को धूमिल कर दिया. AAP के लिए यह एक स्पष्ट संकेत है कि विकास और नैतिकता दोनों को समान महत्व देना होगा.

Delhi Election 2025 : शीला दीक्षित ने बहुत काम किया लेकिन करप्शन ने किया था बंटाधार, क्या अब AAP की बारी है?

नई दिल्ली : दिल्ली की राजनीति में शीला दीक्षित का नाम विकास की प्रतीक के रूप में लिया जाता है. 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने दिल्ली को एक नई पहचान दी. दिल्ली मेट्रो की शुरुआत, नई सड़कों का निर्माण और शहरी विकास के कई कार्य उनके कार्यकाल की उपलब्धियों में शामिल हैं. लेकिन इन उपलब्धियों की चमक को भ्रष्टाचार के आरोपों ने फीका कर दिया. 2013 के चुनाव में शीला दीक्षित और कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पड़ा. अब सवाल यह उठता है कि क्या आम आदमी पार्टी (AAP) जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का झंडा उठाकर सत्ता हासिल की थी, क्या शीला दीक्षित जैसी स्थिति का सामना करेगी?

शीला दीक्षित विकास की मूरत लेकिन घिरी विवादों में
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार शीला दीक्षित का कार्यकाल विकास कार्यों से भरा था. उन्होंने बिजली और पानी की समस्याओं को दूर करने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं. लेकिन उनके कार्यकाल के अंत में CWG घोटाला और अन्य भ्रष्टाचार के मामलों ने कांग्रेस सरकार की छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया. नतीजा यह हुआ कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली AAP ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन का वादा कर जनता का भरोसा जीता.

AAP के लिए चुनौती, विकास और नैतिकता का संतुलन
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार AAP सरकार ने सत्ता में आने के बाद शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी जैसे बुनियादी क्षेत्रों में कई सुधार किए. मोहल्ला क्लीनिक, सरकारी स्कूलों में सुधार और मुफ्त बिजली-पानी जैसी योजनाएं पार्टी की प्रमुख उपलब्धियों में गिनी जाती हैं. लेकिन हाल के वर्षों में AAP सरकार पर भी भ्रष्टाचार और विवादों के आरोप लगते रहे हैं. शराब नीति घोटाला, फंड के दुरुपयोग के आरोप और मंत्रियों पर लगे व्यक्तिगत आरोपों ने पार्टी की छवि को झटका दिया है.

इतिहास से सबक लेना जरूरी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शीला दीक्षित के कार्यकाल का सबसे बड़ा सबक यह है कि विकास कार्यों के बावजूद भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी किसी भी सरकार को जनता की नजरों में गिरा सकती है. अगर AAP को दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत रखनी है, तो उसे अपने मूल मुद्दे ईमानदार और पारदर्शी शासन पर लौटना होगा.

क्या AAP दोहरा रही है वही गलती?
दिल्ली की जनता अब ज्यादा जागरूक हो चुकी है. वह न केवल विकास कार्यों को देखती है, बल्कि सरकार की नैतिकता और पारदर्शिता पर भी नजर रखती है. अगर AAP सरकार शीला दीक्षित की तरह विकास के बावजूद भ्रष्टाचार और विवादों में घिरती रही, तो 2025 के चुनाव में इसे बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है.

ये भी पढ़िए-  क्या 2025 में भी दिल्ली की कुर्सी तय करेंगे दलित मतदाता? पढ़ें चुनावी समीकरण