Assam News: हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि 2011 में असम में 1.4 करोड़ मुसलमान थे. 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा. यह एक वास्तविकता है और इसे कोई नहीं रोक सकता.
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Himanta Biswa Sarma: एक बार फिर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने असम की मुस्लिम आबादी पर ऐसा कुछ कह दिया है कि वे चर्चा का विषय बन गए हैं. उन्होंने शुक्रवार को दावा किया कि असम राज्य में मुस्लिम आबादी हर 10 साल में लगभग 30 प्रतिशत बढ़ रही है और 2041 तक वे बहुसंख्यक हो जाएंगे. मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी में एक प्रेस सम्मेलन में यह बात कही. उन्होंने कहा कि ‘सांख्यिकीय नमूने’ के अनुसार असम में मुस्लिम आबादी 40 प्रतिशत है.
इतना ही नहीं हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि 2011 में असम में 1.4 करोड़ मुसलमान थे. 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा. यह एक वास्तविकता है और इसे कोई नहीं रोक सकता. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, असम में कुल मुस्लिम आबादी 1.07 करोड़ थी जो कुल 3.12 करोड़ निवासियों का 34.22 प्रतिशत थी. राज्य में 1.92 करोड़ हिंदू थे जो कुल आबादी का लगभग 61.47 प्रतिशत था.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर 10 साल में असम में मुस्लिम आबादी 11 लाख बढ़ जाती है... यह हिमंता बिस्वा सरमा का डेटा नहीं है, बल्कि भारतीय जनगणना का डेटा है. ये सभी प्रकाशित डेटा हैं. उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय की आबादी हर 10 साल में लगभग 16 प्रतिशत बढ़ रही है. सरमा ने कहा कि उनकी सरकार ने मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या वृद्धि को कम करने के लिए कदम उठाए हैं.
उन्होंने कहा कि कई लोगों ने हमारी मदद भी की है. अगर 'निजुत मोइना' योजना सफल होती है तो लड़कियां चिकित्सक और इंजीनियर बनेंगी. फिर वे (बच्चों को) जन्म नहीं देंगी.’’ इस योजना के तहत असम सरकार बाल विवाह को रोकने के उद्देश्य से कक्षा 11 से स्नातकोत्तर तक की छात्राओं को अगले पांच वर्षों तक 2,500 रुपये तक का मासिक मानदेय प्रदान करती है. उन्होंने कहा, "पिछले तीन वर्षों में हमारी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से हमें कुछ परिणाम मिलेंगे, लेकिन समस्या बहुत बड़ी है."
हिमंता ने कहा कि 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा. यह एक वास्तविकता है और इसे कोई नहीं रोक सकता.’’ उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा,‘‘ मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि को रोकने में कांग्रेस की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.. अगर राहुल गांधी जनसंख्या नियंत्रण के ब्रांड एंबेसडर बन जाते हैं तो इस पर काबू पाया सकता है क्योंकि समुदाय केवल उनकी बात सुनता है.’’ सरमा ने कहा, "मुस्लिम राजनीतिक नेताओं के खुद दो बच्चे हैं, लेकिन वे कभी भी ग्रामीणों को बच्चों की संख्या दो तक सीमित रखने की सलाह नहीं देते हैं."
उन्होंने यह भी कहा कि यदि पहले के मुख्यमंत्री "धर्मनिरपेक्ष नहीं होते" और 1971 या 1981 से ही उनकी तरह जनसंख्या विस्फोट के बारे में बोलते तो राज्य को सकारात्मक परिणाम मिले होते. उन्होंने कहा, "अगर सरकार ने मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के लिए और बाल विवाह के खिलाफ कदम उठाए होते तो यह स्थिति पैदा नहीं होती. मैं सिर्फ तीन साल में कोई चमत्कार नहीं कर सकता. अगर यह (मुसलमानों का बहुसंख्यक बनना) 2051 तक टल जाता है तो हम मानेंगे कि हमने कुछ किया है.
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