first casualty of Guillain-Barre Syndrome: महाराष्ट्र के पुणे में गुलियन बैरे सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. महाराष्ट्र में गुलियन-बैरे सिंड्रोम से पहली मौत ने पूरे महाराष्ट्र को हिला कर रख दिया है. 17 मरीज वेंटिलेटर पर अभी भी हैं. आइए जानते हैं आखिर कैसे हुई गुलियन-बैरे सिंड्रोम से पहली मौत. क्या थे मरीज के लक्षण.
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GBS Outbreak: महाराष्ट्र के पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इस बीमारी के कारण एक शख्स की मौत हो चुकी है. जीबीएस के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. हर कोई इस बीमारी से खौफ में हैं. इस बीच बीच केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में विशेषज्ञों की सात सदस्यीय टीम तैनात की है. जानें कैसे हुई गुलियन-बैरे सिंड्रोम से पहली मौत.
गुलियन-बैरे सिंड्रोम से सीए की पहली मौत
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे में काम करने वाले 41 साल के चार्टर्ड अकाउंटेंट की पहली मौत गुलियन-बैरे सिंड्रोम से हुई है. एक दिन पहले महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि 25 जनवरी को सोलापुर के एक अस्पताल में मरने वाले एक मरीज को इस दुर्लभ लेकिन उपचार योग्य संक्रमण से संक्रमित होने का "संदेह" था. लेकिन सोमवार को पुष्टि हो गई कि गुलियन-बैरे सिंड्रोम से (GBS) के प्रकोप से ही यह पहली मौत हुई है. अब इस मामले में परिवार वालों ने मीडिया से बातचीत की है.
दस्त से लेकर लकवा तक की कहानी जानें
मृतक के परिवार ने कहा कि 9 जनवरी को सीए को दस्त की शिकायत हुई थी, जिसके लिए उन्होंने दवाई ली. 14 जनवरी को वह अपने परिवार के साथ अपने गृहनगर सोलापुर के लिए रवाना हुए. एक रिश्तेदार ने कहा, "दवा के बाद उन्हें बेहतर महसूस हुआ. वह सोलापुर भी गए. 17 जनवरी को वह फिर से कमजोर महसूस करने लगे. अगले दिन हमने उसे अस्पताल में भर्ती कराया."
ICU में छह दिन रहे सीए
अस्पताल में सीए लगभग छह दिनों तक आईसीयू में रहे, फिर उन्हें सामान्य वार्ड में ले जाया गया. रिश्तेदार ने कहा, "हालांकि, उनकी हालत अचानक बिगड़ गई और शनिवार देर रात उनकी मौत हो गई."
मरीज गंभीर कमजोरी, लकवा के साथ भती हुए: डॉक्टर
डॉक्टरों ने कहा कि मरीज को गंभीर कमजोरी और लकवा के साथ भर्ती कराया गया था. अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा, "हमने नर्व कंडीशन टेस्ट किए और जीबीएस पर ध्यान केंद्रित किया. इसके बाद हमने प्रोटोकॉल के अनुसार उपचार शुरू किया. शुरुआत में तो उनकी हालत ठीक रही, लेकिन फिर से उनकी हालत बिगड़ गई, अंगों में कमजोरी और पूर्ण लकवा से शरीर परेशान था."
महाराष्ट्र में मचा हाहाकार
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं से कहा, "यह एक पुष्ट GBS मामला है." 9 जनवरी को क्लस्टर बनने के बाद से तीन सप्ताह से भी कम समय में पुणे के जीबीएस केसलोड में 111 की वृद्धि हुई है. रविवार तक, यह संख्या 101 थी. अबितकर ने कहा कि कम से कम 17 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं, जबकि सात को छुट्टी दे दी गई है. सूत्रों ने कहा कि केंद्र ने पुणे के जीबीएस उछाल की समीक्षा करने और राज्य को सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू करने में मदद करने के लिए एक उच्च स्तरीय बहु-विषयक टीम भेजी थी. टीम में दिल्ली और बेंगलुरु के विशेषज्ञ शामिल हैं.
क्या है गुलियन-बैरे सिंड्रोम?
चिकित्सकों के अनुसार, गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है. इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है. इस स्थिति से कमज़ोरी, सुन्नता और गंभीर मामलों में पक्षाघात हो सकता है. हालाँकि GBS किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसका सटीक कारण अज्ञात है.
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण
जीबीएस के लक्षण आमतौर पर अचानक दिखाई देते हैं और कुछ दिनों या हफ़्तों में तेज़ी से बढ़ सकते हैं. आम लक्षणों में कमज़ोरी और झुनझुनी शामिल है जो अक्सर पैरों से शुरू होती है और हाथों और चेहरे तक फैल सकती है. लोगों को चलने में भी कठिनाई होती है जो गतिशीलता और संतुलन को प्रभावित कर सकती है.अनियमित हृदय गति, रक्तचाप में उतार-चढ़ाव और गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई. गंभीर अवस्था में जीबीएस कुल पक्षाघात का कारण बन सकता है, जिसके लिए वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है.