उम्र, आमदनी और शिक्षा... सबमें इजाफा, भारत में तरक्की के इन आंकड़ों पर UN भी हो गया गदगद
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उम्र, आमदनी और शिक्षा... सबमें इजाफा, भारत में तरक्की के इन आंकड़ों पर UN भी हो गया गदगद

United Nations: जीवन प्रत्याशा और आय में वृद्धि, शिक्षा के स्तर में सुधार, और HDI रैंकिंग में सुधार सभी सकारात्मक संकेत हैं. यह रिपोर्ट भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह दर्शाता है कि देश मानव विकास के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है. 

उम्र, आमदनी और शिक्षा... सबमें इजाफा, भारत में तरक्की के इन आंकड़ों पर UN भी हो गया गदगद

Human Development Index: संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) रिपोर्ट में भारत के लिए खुशखबरी है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 2022 में 67.7 वर्ष हो गई है, जो एक साल पहले 62.7 वर्ष थी. सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) भी 6.3 प्रतिशत बढ़कर 6951 डॉलर प्रति व्यक्ति हो गई है.

असल में भारत ने 2021 के सूचकांक की तुलना में एक पायदान पहुंचा है ज‍िसमें कई स्‍तर पर बेहतर प्रदर्शन र‍िकॉर्ड क‍िया गया है. यूएन की ओर से र‍िलीज "ब्रेकिंग द ग्रिडलॉक: रीइमेजिंग कोऑपरेशन इन ए पोलराइज्ड वर्ल्ड" शीर्षक वाली मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट में यह सब प्रदर्शन साफ तौर पर दर्शाए गए हैं.

इस बात का भी जिक्र किया गया है कि मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत 193 देशों की सूची में 134वें नंबर पर है. साल 2022 की रैंकिंग में भारत की स्थिति पहले से बेहतर हुई है. 2021 के सूचकांक की तुलना में एक पायदान ऊपर पहुंचा भारत कई मायने में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. GII-2021 में 0.490 स्कोर के साथ 191 देशों में इसकी रैंक 122 थी. यह सूचकांक इसलिए भी अहम है क्योंकि लगातार दो साल फिसलने के बाद भारत की रैंकिंग में सुधार दर्ज किया गया है.

एचडीआई रिपोर्ट में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में वृद्धि (प्रति व्यक्ति 12.6 तक) का भी उल्लेख किया गया है. कुल मिलाकर, 2022 में भारत का एचडीआई स्कोर 0.644 है, जो इसे 193 देशों में 134वें स्थान पर रखता है. यह रैंकिंग भारत को "मध्यम मानव विकास" श्रेणी में रखती है.

सकारात्मक संकेत है..
यह रिपोर्ट भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह दर्शाता है कि देश मानव विकास के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है. जीवन प्रत्याशा और आय में वृद्धि, शिक्षा के स्तर में सुधार, और एचडीआई रैंकिंग में सुधार सभी सकारात्मक संकेत हैं.

इतना ही नहीं भारत ने लैंगिक असमानता को कम करने में भी बड़ी सफलता हास‍िल की है. रिपोर्ट के मुताब‍िक भारत का GII मान 0.437 है. इसको वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत से बेहतर बताया गया है. इसके अलावा र‍िपोर्ट में मानव जीवन के व‍िकास से जुड़े दूसरे अलग-अलग पहलुओं पर भी गहन अध्‍ययन कर उनको भी इंडेक्‍स में शाम‍िल कर स‍िलस‍िलेवार तरीके से ज‍िक्र‍ क‍िया है.  

जन्म के समय जीवन प्रत्याशा: 1990 के बाद से, भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 9.1 वर्ष बढ़ गई है. इसका मतलब है कि लोग अब पहले की तुलना में 9.1 वर्ष अधिक समय तक जीवित रहते हैं.

शिक्षा: स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में 4.6 वर्ष की वृद्धि हुई है. इसका मतलब है कि लोग अब पहले की तुलना में अधिक समय तक स्कूल में पढ़ते हैं.

आय: भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) लगभग 287 प्रतिशत बढ़ी है. इसका मतलब है कि लोग अब पहले की तुलना में अधिक पैसा कमाते हैं.

लैंगिक समानता: भारत ने लैंगिक असमानता को कम करने में भी प्रगति की है. लिंग असमानता सूचकांक (जीआईआई) 0.437 है, जो वैश्विक औसत से बेहतर है.

प्रजनन स्वास्थ्य: प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल 'मध्यम एचडीआई' श्रेणी में अन्य देशों की तुलना में बेहतर है. 2022 में किशोर जन्म दर 16.3 थी, जो 2021 में 17.1 थी.

श्रम बल भागीदारी: हालांकि, पुरुषों और महिलाओं की श्रम बल भागीदारी दर में 47.8% का अंतर है. इसका मतलब है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों के काम करने की संभावना अधिक होती है.

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