'कंबाला' पर किसकी चलेगी? आ गई 'फैसले' की तारीख, एक क्लिक में जानिए विवाद की ABCD
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'कंबाला' पर किसकी चलेगी? आ गई 'फैसले' की तारीख, एक क्लिक में जानिए विवाद की ABCD

Bengaluru Kambala : कर्नाटक सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने पेटा के इस दावे का खंडन किया कि ‘कंबाला’ विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘कंबाला’ कर्नाटक के व्यापक सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा है और इसका आयोजन संभवतः पूरे देश में किया जा सकता है.

'कंबाला' पर किसकी चलेगी? आ गई 'फैसले' की तारीख, एक क्लिक में जानिए विवाद की ABCD

Kambala Buffalo race Karnataka : कर्नाटक सरकार ने बुधवार को भैंसा दौड़ ‘कंबाला’ का बचाव करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि कीचड़ भरे ट्रैक पर होने वाली यह दौड़ एक खास क्षेत्र की नहीं, बल्कि पूरे राज्य की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती है. सरकार ने ‘पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA)’ इंडिया की ओर से दायर एक जनहित याचिका के जवाब में यह बयान दिया. याचिका में दलील दी गई है कि ‘कंबाला’ मुख्य रूप से उडुपी और दक्षिण कन्नड़ जिले का पारंपरिक खेल है और पूरे राज्य में दौड़ का आयोजन संस्कृति के संरक्षण की कोशिश करने के बजाय व्यावसायिक हितों से प्रेरित है.

‘कंबाला’ कर्नाटक के सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा: सरकार

कर्नाटक सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने पेटा के इस दावे का खंडन किया कि ‘कंबाला’ विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘कंबाला’ कर्नाटक के व्यापक सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा है और इसका आयोजन संभवतः पूरे देश में किया जा सकता है.

शेट्टी ने ‘कंबाला’ की तुलना घुड़दौड़ से की, जिसमें राज्यों में विभिन्न जगहों से घोड़ों को प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए ले जाया जाता है. उन्होंने कहा कि मुद्दा भौगोलिक स्थिति नहीं, बल्कि यह है कि क्या उक्त खेल का आयोजन जानवरों के प्रति क्रूरता है.

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शेट्टी ने बेंगलुरु कार्यक्रम की तारीख के संबंध में पेटा के दावे में सुधार भी किया. उन्होंने स्पष्ट किया कि 26 अक्टूबर को किसी ‘कंबाला’ दौड़ के आयोजन की योजना नहीं है और नवंबर में इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए सक्षम प्राधिकारी से अनुमति मांगी जाना बाकी है.

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आयोजन जानवरों से क्रूरता: PETA

जस्टिस एनवी अंजारिया और जस्टिस केवी अरविंद की बेंच ने मामले की सुनवाई के लिए 5 नवंबर की तारीख तय की है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अगर आयोजन के लिए अनुमति दी जाती है, तो उसे पहले सूचित किया जाए ताकि पेटा जरूरत पड़ने पर आगे कानूनी कदम उठा सके. पेटा की याचिका में बेंगलुरु में ‘कंबाला’ के आयोजन पर रोक लगाने और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के साथ-साथ 2017 में इसमें किए गए संशोधनों को लागू करने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि अदालत ‘कंबाला’ को उडुपी और दक्षिण कन्नड़ जिले में उसके पारंपरिक ग्रामीण स्थानों तक ही सीमित रखने का निर्देश जारी करे.

(इनपुट: भाषा)

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