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LTTE Rising again: लिट्टे यानि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ चमिल इलम 2.0 को तैयार कर खड़ा करने की साजिश रची जा रही थी. यह काम भारत की धरती से किया जा रहा था. साजिश करने वालों ने भारतीय पासपोर्ट तक बनवा लिया था. साजिश भारत और श्रीलंका में लिट्टे 2.0 को खड़ा करने की थी. एनआईए ने चेन्नई की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर साजिश का खुलासा किया है. जी न्यूज ने एलटीटीई को पुनः खड़ा करने की साजिश की पड़ताल की. एनआईए ने भी चेन्नई की विशेष अदालत में लिट्टे 2.0 बनाने की साजिश के बारे में चार्जशीट दाखिल किया है.
दो महीने की जांच के बाद 6 लोगों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट में छह लोगों को आरोपी बनाया गया है. इनके नाम हैं श्रीलंकाई नागरिक एल मैरी फ्रांसिस्का, के भास्करन, जी धर्मेंद्रन, जॉनसन सैमुएल, ई मोहन और टी केनिन्स्टन फर्नांडो. लिट्टे 2.0 को खड़ा करने की साजिश का मामला वेबसीरीज फैमिली मैन 2 से काफी मिलता जुलता है. चार्जशीट के मुताबिक जांच में पाया गया है कि एल. मैरी फ्रांसिस्का, के भास्करन और टी केनिन्स्टन फर्नांडो ने कुछ विदेशी नागरिकों के साथ मिलकर लिट्टे को फिर से सक्रिय करने की साजिश रची. इसके लिए भारतीय बैंक में जमा की गई रकम को बाहर ले जाने की कोशिश हो रही थी.
एजेंसी के मुताबिक जिन बैंक खातों से पैसे निकाले जा रहे थे वो सभी खाते निष्क्रिय हैं. इन खातों से पैसे निकालने के लिए पासपोर्ट सहित भारतीय पहचान के कई फर्जी कागजात बनवाए गए थे. चार्जशीट के मुताबिक भारत और श्रीलंका में लिट्टे को फिर से खड़ा करने की कोशिश हो रही थी. जी धर्मेंन्द्रन, जांनसन सैमुअल और ई. मोहन फर्जी कागजात बनाने में उनकी मदद कर रहे थे. एनआईए के मुताबिक साजिश बहुत बड़ी थी फंड के साथ साथ हथियार आदि का प्रबंध करने की तैयारी थी. दक्षिण एशिया मामलों के जानकार प्रो. एस डी मुनि कहते हैं कि लिट्टे के करोड़ो रुपये विभिन्न बैंको में जमा हैं.
जी न्यूज के पास मौजूद कागजातो में लिट्टे 2.0 को खड़ा करने की पूरी साजिश लिखी हुई है. जी न्यूज के पास मौजूद एनआईए के 18 जनवरी को दर्ज हुई एफआईआर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, पासपोर्ट अधिनियम, विदेशी संशोधन अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. चेन्नई में दाखिल चार्जशीट के मुताबिक जांच तो फर्जी पासपोर्ट रैकेट की शुरू हुई मगर जांच के दौरान कई बैंकों से पैसे निकालने के सबूत मिले. यह भी पता चला कि बैंकों से पैसे निकालने के लिए नकली भारतीय पहचान और भारतीय पासपोर्ट का इस्तेमाल किया गया. आरोप है कि लिट्टे की आतंकी गतिविधि के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक, मुंबई फोर्ट शाखा से पैसे निकालने के लिए फर्जी पासपोर्ट और जाली दस्तावेजों का सहारा लिया गया. दक्षिण एशिया मामलो के जानकार प्रो एस डी मुनि का कहना है कि तमिलों का एक बड़ा वर्ग असंतुष्ट है.
जी न्यूज के पास एक्सक्लूसिव तौर पर मौजूद तमिलनाडु पुलिस की एफआईआर ने सबसे पहले लिट्टे 2.0 की भनक दी थी. इस एफआईआर ने केंद्र सरकार को चौंका दिया. पिछले साल चेन्नई आदि में कुछ गिरफ्तारियों ने सरकार के कान खड़े कर दिए थे. सबसे पहले चेन्नई में तमिलनाडु पुलिस की 'क्यू' ब्रांच ने पिछले साल अक्टूबर में श्रिलंकाई नागरिक लेचुमानन मैरी फ्रांसिस्का को गिरफ्तार किया था. अक्टूबर में ही एक अन्य श्रीलंकाई नागरिक को तमिलनाडु पुलिस ने मदुरै हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था. वह नकली भारतीय पासपोर्ट के साथ श्रीलंकाई एयरलाइंस की फ्लाइट में सवार था. इस बीच एक अन्य व्यक्ति को उसके 'स्पेनिश' पासपोर्ट के फर्जी पाए जाने के बाद त्रिची हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया. तमिलनाडु पुलिस द्वारा इन गिरफ्तारियों ने केंद्रीय एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया.
जांच में पाया गया कि फर्जी पासपोर्ट रैकेट के पीछे लिट्टे के सक्रिय कार्यकर्ताओं की भूमिका है. इसके बाद तत्काल गृह मंत्रालय ने यह मामला एनआईए को सौंप दिया. एनआईए ने जनवरी में पांच आरोपियों के खिलाफ लिट्टे फंडिंग मामले की जांच शुरू कर दी. जी न्यूज के पास मौजूद एनआईए की एफआईआर नंबर 17/2021 के मुताबिक 10.06.2021 को लगभग 2215 बजे मंगलुरु दक्षिण पुलिस को 'सी पोर्ट गेस्ट हाउस ' में अवैध पासपोर्ट के साथ श्रीलंकाई नागिरकों के बारे में पता लगा. जांच में ये 28 लोग मिले जिन्हें अवैध पासपोर्ट के जरिए कनाडा भेजा जा रहा था. मामला गंभीर और बड़ा होते हुए देख इसकी जांच एनआईए को सौंप दी गई. एनआईए ने जुलाई में मामला दर्ज किया और लिट्टे कनेक्शन आदि की जांच अभी चल रही है. ये सभी 28 लोग बोट से भारत पहुंचे थे.
जी न्यूज के पास मौजूद एनआईए की दूसरी एफआईआर नंबर 01/2021 और एनसीबी के कागजों के मुताबिक पिछले साल 18 मार्च को तटरक्षक बल ने गश्त करते हुए अरब सागर की तीन नौकाओं से भारी मात्रा में ड्रग्स और हथियार जब्त किए. इससे पहले भी भारतीय तटरक्षक बल ने 7 मार्च को श्रीलंका की तीन नौकाओं को रोका था और 12 लोगों को हिरासत में लिया था. 18 मार्च 2021 को श्रीलंकाई नाव से 3 हजार करोड़ रुपये की ड्रग्स, 5 एके 47 राइफल और 9 एमएम के 1000 राउंड की जब्ती की गई. इसके बाद इस मामले की जांच एनआईए के हवाले की गई. एनआईए ने मामले की जांच करते हुए पिछले साल 7 अक्टूबर को लिट्टे के पूर्व खुफिया प्रमुख 47 वर्षीय सतकुम उर्फ सबेसन को गिरफ्तार किया.
सतकुनम ही वह शख्स था जो पाकिस्तान से चेन्नई के रास्ते हथियार और ड्रग्स की खेप ले जा रहा था. सतकुनम के साथ दो अन्य श्रीलंकाई नागरिकों 35 वर्षीय चिन्नासुरेश और 25 वर्षीय सुंदरराजन को भी गिरफ्तार किया गया था. चिन्ना सुरेश के पास भी फर्जी पासपोर्ट पाया गया. एनआईए सूत्रों के मुताबिक सतकुनम ने लिट्टे से सहानुभूति रखने वाले लोगों की एक बैठक बुलाई थी. उसने पाकिस्तान सहित विभिन्न देशों से ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में अहम भूमिका निभाई थी. इसके जरिए होने वाली कमाई लिट्टे को सक्रिय करने में किया जा रहा था. इस पैसे का जयादातर हिस्सा लिट्टे के पूर्व कैडरो को भेजा जा रहा था.
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