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जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शुक्रवार को श्रीनगर के कई किताबों की दुकानों में तलाशी ली और 668 से ज़्यादा किताबें जब्त कीं, जिनके बारे में अधिकारियों ने कहा कि वे प्रतिबंधित संगठन की विचारधारा को बढ़ावा दे रही थीं. हालांकि पुलिस ने ये साफ नहीं किया कि किताबें किसने लिखी हैं या प्रतिबंधित संगठन का नाम क्या है? पुलिस के सूत्रों ने कहा कि किताबें “जमात से जुड़े” मौलाना मौदूदी की विचारधारा से संबंधित थीं.
श्रीनगर पुलिस ने एक बयान में कहा, 'प्रतिबंधित संगठन की विचारधारा को बढ़ावा देने वाले साहित्य की गुप्त बिक्री और वितरण के बारे में विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर, पुलिस ने श्रीनगर में तलाशी अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप 668 किताबें जब्त की गईं.' पुलिस ने यह भी कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 126 के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है, जो सार्वजनिक शांति को भंग करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति देती है.'
केंद्र ने 2019 में जम्मू-कश्मीर में कई अलगाववादी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें सामाजिक-धार्मिक समूह जमात-ए-इस्लामी शामिल थे.
पब्लिशिंग हाउस पर छापा
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि श्रीनगर में कुछ पब्लिशिंग हाउस पर छापा मारा गया. उनके अधिकांश प्रकाशन विभिन्न विचारधाराओं के इस्लामी साहित्य हैं, जिनमें जमात के संस्थापक मौलाना मौदूदी द्वारा लिखी गई पुस्तकें भी शामिल हैं.
जमात संगठन 1980 के दशक के अंत में भारत विरोधी उग्रवाद की शुरुआत में सबसे आगे था और व्यापक रूप से इसे सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का राजनीतिक मोर्चा माना जाता था.
राजनीतिक दलों ने की आलोचना
हालांकि जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने पुलिस कार्रवाई की आलोचना की. NC के श्रीनगर सांसद आगा रूहुल्लाह मेहदी ने कहा, 'सबसे पहले अधिकारियों ने जामिया मस्जिद में शब-ए-बारात की नमाज़ पर रोक लगा दी और मस्जिद सील कर दी, क्या अब राज्य ये तय करेगा कि कश्मीरी क्या पढ़ें, क्या सीखें और क्या मानें? यह अस्वीकार्य अतिक्रमण है. अगर ऐसा कोई आदेश है तो उसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए. राज्य को कश्मीरियों को परेशान करना और उनके धार्मिक मामलों में दखल देना बंद करना चाहिए, क्योंकि इस लापरवाह हरकत की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी'.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता इल्तिजा मुफ़्ती ने छापेमारी को 'क्रूर' करार दिया. 'सुरक्षा की आड़ में कश्मीरियों पर हर तरह के दमनकारी उपाय किए जा रहे हैं. अब, पढ़ने और जानकारी प्राप्त करने की स्वतंत्रता का भी हनन किया जा रहा है. क्या हम सिर्फ़ भेड़ या मवेशी हैं जिन्हें चराया जाना चाहिए?' उन्होंने कहा कि "पुस्तकों पर की गई छापेमारी में सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब्त की गई सभी 600 पुस्तकों के लेखक अबुल आला मौदूदी हैं, जो एक प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक हैं. ये एक धार्मिक संगठन है जिसने कश्मीर में सराहनीय सामाजिक कार्य किया है और हाल ही में हुए राज्य चुनावों में भी भाग लिया था.