MP Assembly Election 2023: कमलनाथ ठेठ बुंदेली में बोले-राम-राम पौंचे,विधानसभा चुनाव से जुड़ी इस बदलाव की अहमियत
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MP Assembly Election 2023: कमलनाथ ठेठ बुंदेली में बोले-राम-राम पौंचे,विधानसभा चुनाव से जुड़ी इस बदलाव की अहमियत

MP Vidhasabha Chunav 2023: चुनावी साल में पीसीसी चीफ कमलनाथ ने बदला अपना अंदाज. ग्लोबल अंदाज वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ लोकल हुए.टीकमगढ़ में कमलनाथ ने कहा कि सबईं जनन को राम-राम पौंचे!

MP Vidhansabha Chunav 2023 Kamal Nath

MP Vidhasabha Chunav 2023 (प्रमोद शर्मा/भोपाल): प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा( MP Assembly Elections) के चुनाव होने वाले हैं. इसी क्रम में मध्य प्रदेश कांग्रेस (Madhya Pradesh Congress President) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (former Chief Minister Kamal Nath) अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. कमलनाथ मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ (Tikamgarh) जिले में पहुंचे.जहां हमेशा ग्लोबल अंदाज में रहने वाले कमलनाथ का एक दूसरा अंदाज़ लोगों को देखने को मिला.यहां तक कि कमलनाथ ने लोगों से बुंदेली में बात की तो चलिए आपको बता दें कि कमलनाथ ने ठेठ बुंदेली बोली में कौन सी बात कह दी और इसके क्या मायने हैं...

कमलनाथ का ठेठ बुंदेली अंदाज
गौरतलब है कि प्रदेश में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. चुनावी साल में कमलनाथ का पब्लिक इंटरेक्शन अंदाज भी बदल रहा है.चार दशक तक राष्ट्रीय राजनीति में रहे कमलनाथ अब स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं. क्षेत्रीय हिसाब से कमलनाथ ने जनता से जुड़ने के लिए अभिवादन का तरीका भी बदला है.कल टीकमगढ़ दौरे के वक्त कमलनाथ ने भाषण की शुरुआत में ठेठ बुंदेली अंदाज में कहा- सबई जनन खौं हमाई राम-राम पौंचे. कांग्रेस नेता के इस अभिवादन के अंदाज चर्चा का विषय बन गया.

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कमलनाथ के इस बदलाव के मायने?
गौरतलब है कि मप्र में भी कई परंपराएं, तीज-त्योहार, भाषाएं, संस्कृति हैं.आदिवासी अंचल में ''जय जोहार'' कहकर अभिवादन करते हैं.नर्मदा किनारे बसे निमाड़, जबलपुर, नर्मदापुरम में लोग ''नर्मदे हर'' कहकर अभिवादन करते हैं.वहीं विंध्य क्षेत्र में ''साहब सलाम'', बुंदेलखंड में ''राम-राम'' कहकर लोग अभिवादन करते हैं. ठेठ बुंदेली परंपरा में लोग ''राम-राम पोंचै जू'' कहते हैं.

उज्जैन - इंदौर में ''जय महाकाल'' कहकर लोग अभिवादन करते हैं. वहीं ग्वालियर, चंबल में ''जय माई की'' कहते हैं.ऐसे ही अलग-अलग धर्मों के स्थानीय देवी-देवताओं की भी मान्यता लोगों में होती है. स्वाभाविक तौर पर जब बडे़ नेता इन देवी-देवताओं का जिक्र अपने भाषणों में करते हैं या जयकारे लगाते हैं, तो उन देवताओं में आस्था रखने वाले लोग भी जुड़ते हैं.

जैसा देश वैसा भेष
कमलनाथ की बात करें तो उनकी ग्लोबल अंदाज वाली छवि थी.वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बात करें तो बिल्कुल लोकल नेता है और जैसा देश वैसा भेष में वो समा जाते हैं.अब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कमलनाथ ने भी सीएम शिवराज की तरह लोगों से कनेक्ट होने के लिए अपना अंदाज बदला है. अब तो यह विधानसभा के चुनाव के परिणामों के बाद ही पता चलेगा कि ग्लोबल से लोकल हुए कमलनाथ के इस अंदाज को प्रदेश की जनता कितना पसंद करती है.

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