NSUI और ABVP प्रदेश में छात्र संघ चुनाव कराने की मांग उठा रहे हैं. ऐसे में उच्च शिक्षा मंत्री का बड़ा बयान सामने आया है.
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राहुल सिंह राठौड़/ उज्जैन: राजस्थान में छात्र संघ के चुनाव की तारीखों के एलान के बाद अब मप्र में भी छात्र संघ चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर है. सभी जानते हैं कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ इस मुद्दे को उठा चुका है और छात्र संघ चुनाव को भी हुए को 5 वर्ष होने आए है. गौरतलब है कि साल 2017 में प्रदेश में अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुए थे, उसके बाद कोविड के कारण चुनाव नहीं हो सके थे. ऐसे में इन चर्चाओं के बीच जब प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादाव से इस संबंध ने मीडिया ने जानना चाहा तो उन्होंने खुलकर इस पर अपनी बात कही.
अभी कोई ऐसी चर्चा नहीं है
छात्रसंघ के चुनाव की चर्चाओं के बीच जब प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादाव से इस संबंध ने मीडिया ने जानना चाहा तो उन्होंने खुलकर कहा कि विभाग चुनाव से कभी नहीं डरता है. वो सबको लेकर चलता है. अभी कोविड का तीसरा चरण है और सीएम शिवराज के निर्देशन में इसे आने वाले समय मे पूरा किया जाएगा. फिलहाल ऐसी कोई चर्चा नहीं है, एक पद्धति अनुरूप योजना तैयार की जायेगी. फिलहाल सबको बूस्टर डोज लगाए जा रहे हैं, महामारी से निपटना हमारी प्राथमिकता है.
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के बीच उलझी राजनीति?
दरअसल चर्चा ये है कि हाल ही में ABVP व NSUI दोनों ने ही राज्य सरकार से छात्र संघ चुनाव करवाने की मांग की है. दोनों ही चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली के अनुसार करवाना चाहते है. ये मांग वर्ष 2017 में हुए चुनाव के वक़्त भी उठी थी. लेकिन चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए. अब NSUI इस मांग के लिए सिग्नेचर कैम्पिंन चला रही है. तो वहीं ABVP भी पार्टी के नेताओं को मनाने का प्रयास कर रही है.
क्या होता है प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जानिए
दरअसल वर्ष 2003 तक चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से ही हुए उसके बाद 19 सालों से इस पर रोक लगा रखी है. बात प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष प्रणाली में अंतर की करें तो प्रत्यक्ष में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, सहसचिव, सहित अन्य पदों के लिए खड़े हुए उम्मीदवारों को मतदान किया जाता है. प्रत्यक्ष में सभी पदों पर हुए मतदान के बाद टोटल कर ज्यादा मत मिलने वाले उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है, साथ ही अलग-अलग पद के लिए संबंधित कॉलेज नामांकन दाखिल करते है और चुने हुए पदाधिकारी ही कार्यकारिणी घोषित करते है.
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अप्रत्यक्ष प्रणाली
यहां सब कुछ प्रत्यक्ष प्रणाली के विपरीत होता है. इसी प्रक्रिया से चुनाव 19 सालों से करवाये जा रहे है. यहां हर एक क्लास से एक कक्षा प्रतिनिधि (CLASS REPRESENTATIVE) चुना जाता है. अब उसके लिए नामांकन करने वाले के सबसे ज्यादा मार्क्स आये हो, वो मेरिट लिस्ट में हो, उस छात्र को पात्र बनाया जाता है. वो अपना CR बनाने के लिए अलग-अलग पदों के लिए जैसे अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव व अन्य के लिए नामांकन भर कर चुनाव लड़ता है. जिस भी उम्मीदवार को ज्यादा CR के वोट मिले वो विजयी कहलाता है.