Ethics Committee: जिस कमेटी पर महुआ मोइत्रा ने लगाया वस्त्रहरण का आरोप उसकी ताक़त जान लीजिए
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Ethics Committee: जिस कमेटी पर महुआ मोइत्रा ने लगाया वस्त्रहरण का आरोप उसकी ताक़त जान लीजिए

Mahua Moitra News: कैश फॉर क्वेरी मामले (Cash For Query case) को लेकर लोकसभा की जिस एथिक्स कमेटी पर टीएमसी सांसद महुआ ने आरोप लगाए हैं. उसके बारे में आपको बताते हैं. 

Ethics Committee: जिस कमेटी पर महुआ मोइत्रा ने लगाया वस्त्रहरण का आरोप उसकी ताक़त जान लीजिए

Lok Sabha Ethics Committee: तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) 'कैश फॉर क्वेरी' (Cash For Query) यानी कैश लेकर संसद में सवाल पूछने के गंभीर आरोपों का सामना कर रही हैं. गुरुवार का दिन महुआ के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला रहा. क्योंकि महुआ इस मामले में लोकसभा की एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुईं. इस दौरान उनसे बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी को अपनी संसदीय लॉगिन-आईडी (Login ID) देने को लेकर सवाल जवाब हुआ. एथिक्स कमेटी के सदस्यों ने उनसे लंबी पूछताछ की.

महुआ ने लगाया 'वस्त्रहरण' का आरोप

महुआ ने कमेटी के अध्यक्ष सांसद विनोद कुमार पर अनैतिक सवाल पूछने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा, एथिक्स कमेटी ने उनसे आपत्तिजनक सवाल पूछे. मोइत्रा ने स्पीकर से की गई अपनी शिकायत में कहा, 'मैं व्यथित होकर आपको पत्र लिख रही हूं ताकि आचार समिति की सुनवाई के दौरान समिति अध्यक्ष द्वारा मेरे साथ किए गए अनैतिक, घृणित और पूर्वाग्रहपूर्ण व्यवहार की जानकारी दे सकूं. मुहावरे की भाषा में कहूं तो उन्होंने समिति के सभी सदस्यों की उपस्थिति में मेरा वस्त्रहरण किया गया.'

कमेटी का एक्शन अब आगे क्या होगा?

एथिक्स कमेटी ने 26 अक्टूबर को करीब 3 घंटे की मीटिंग की थी. कमेटी ने आयकर विभाग और गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर महुआ मोइत्रा केस से जुड़ी जानकारी मांगी है. कमेटी ने गृह मंत्रालय से महुआ के पिछले 5 सालों के फॉरेन टूर की डिटेल भी मांगी है. कमेटी ये जांच करेगी कि महुआ देश के बाहर कहां-कहां गईं और उन्होंने इसके बारे में लोकसभा में जानकारी दी या नहीं. मोइत्रा से जुड़े विवाद में IT मंत्रालय से पहले ही जानकारी मांगी जा चुकी है. सभी शिकायतों की प्राथमिक जांच हो रही है. जांच पूरी होने के बाद समिति द्वारा की गई सिफारिशों (Recommendations) को एक रिपोर्ट के तौर पर लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा.

एथिक्स कमेटी और उसकी पावर

लोकसभा एथिक्स कमेटी सांसदों के नैतिक आचरण की निगरानी के लिए बनाई गई समिति है. ये कमेटी  2015 में अस्तित्व आई थी. इसे लोकसभा का स्थायी हिस्सा भी बनाया गया है. ये कमेटी एक वर्ष की अवधि के लिए होती है. इसमें 15 सदस्य होते हैं. आचार समिति के सदस्यों की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा होती है. अभी इस कमेटी के अध्यक्ष कौशांबी से बीजेपी सांसद विनोद सोनकर हैं. कमेटी के अन्य सदस्यों की बात करें तो इसमें बीजेपी के विष्णु दत्त शर्मा, सुमेधानंद सरस्वती, अपराजिता सारंगी, डॉ. राजदीप रॉय, सुनीता दुग्गल और सुभाष भामरे के अलावा कांग्रेस पार्टी से के वी वैथिलिंगम, एन उत्तम कुमार रेड्डी, बालाशोवरी वल्लभनेनी और परनीत कौर के साथ शिवसेना से हेमंत गोडसे; जेडी-यू के गिरिधारी यादव, सीपीआई (एम) के पीआर नटराजन और बीएसपी के दानिश अली समिति के सदस्य हैं.

जिस भी सांसद पर ऐसे आरोप लगते हैं उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है. कमेटी जांच करेगी कि क्या ये किसी खास के हित में या उसके बिजनेस को लाभ पहुंचाने के लिए पूछे गए हैं. पूरी जांच कर एथिक्स कमेटी अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को देगी. 

'जा सकती है सांसदी' 

अगर इसमें किसी भी तरह की सजा की सिफारिश की जाती है तो संसद में रिपोर्ट रखे जाने के बाद सहमति के आधार पर उस सांसद के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है. दोषी पाए जाने पर आरोपी सांसद की सांसदी खत्म करने की सिफारिश की जा सकती है. वहीं लोकसभा स्पीकर को भी ये अधिकार है कि अगर संसद सत्र नहीं चल रहा हो तो भी वो कार्रवाई को लेकर फैसला ले सकते हैं.

'तीन साल तक की हो सकती है सजा'

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे, महुआ पर लगातार हमलावर हैं. उनका कहना है कि मामले पर पैनी नजर है. हाल ही में अपने एक्स अकाउंट पर लिखी एक पोस्ट में उन्होंने कहा, 'भारत सरकार की आईटी पॉलिसी साफ कहती है कि आप अपनी ईमेल आईडी, पोर्टल और इंट्रानेट के पासवर्ड को किसी के साथ साझा नहीं कर सकते. ऐसा करने पर 3 साल तक की सजा का प्रावधान है. महुआ जी के कई साक्षात्कार देखे और पढ़े. सांसद महोदया जिस आईटी स्टैंडिंग कमेटी की सदस्य हैं. उसी को पढ़ लेतीं. IT 2000 के नियम 43 के अनुसार कंप्यूटर,डाटा के पासवर्ड की जानकारी आप सिस्टम के मालिक की परमिशन से ही दे सकते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ के अलावा करप्शन के मामले में भी सजा का प्रावधान है. यह मामला तो 2005 के कैश के बदले सवाल से भी बड़ा है.'

2005 वाले केस में हुआ था ये एक्शन

दो पत्रकारों ने तत्कालीन सांसदों के खिलाफ एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया था, जो 12 दिसंबर 2005 को एक निजी न्यूज़ चैनल पर प्रसारित हुआ था. जिस स्टिंग ऑपरेशन में सवाल पूछने के बदले में नकद लेने की बात सामने आई थी उसे कैश फॉर क्वेरी स्कैम के नाम से जाना जाता है. इस मामले में तत्कालीन सांसद वाई जी महाजन, छत्रपाल सिंह लोढ़ा, अन्ना साहेब एम के पाटिल, मनोज कुमार राजद, चंद्र प्रताप सिंह, राम सेवक सिंह कांग्रेस, नरेन्द्र कुमार कुशवाहा, प्रदीप गांधी, सुरेश चंदेल, लाल चंद्र कोल और राजा रामपाल आरोपी थे. 2005 के सवाल के बदले नकद घोटाला मामले दिसंबर 2005 में लोकसभा ने 10 सदस्यों को निष्काषित कर दिया था जबकि लोढ़ा को राज्यसभा से हटाया गया था.

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