AIMPLB Meeting Major: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश में समान नागरिक संहिता बनाने की कोशिशों और धर्म परिवर्तन रोकने के लिए बने कानूनों का खुलकर विरोध किया है. उसने इसके खिलाफ खुलकर लड़ाई का ऐलान कर दिया है. इसके लिए उसने रविवार को 10 सूत्री बड़ी घोषणाएं भी कीं.
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Major decisions of AIMPLB meeting in Lucknow: लंबे वक्त से शांत चल रहे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की सुगबुगाहट पर पर आर-पार की जंग का ऐलान कर दिया है. बोर्ड ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने UCC पर कदम आगे बढ़ाए तो दलित, आदिवासी, सिख और ईसाईयों को एकजुट करके इसका विरोध किया जाएगा. बोर्ड मेंबरो ने कहा कि समान नागरिक संहिता के जरिए देश में धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान खत्म करने की कोशिश की जा रही है, जिसे किसी भी हाल में कबूल नहीं किया जा सकता. यह फैसला रविवार को लखनऊ के दारुल उलूम नदवतुल उलमा में आयोजित हुई भॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी बैठक में लिया गया.
वर्शिप एक्ट को खत्म करने की कोशिश खतरनाक
बोर्ड (AIMPLB) के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में संपन्न हुई इस बैठक का संचालन महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने किया. इस बैठक में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल होने के लिए लखनऊ पहुंचे थे. बैठक में वक्ताओं ने देश की अदालतों से अपील की गई कि वे कमजोर तबकों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले जुल्मों का संज्ञान लेने लें. बोर्ड मेंबर्स ने कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 (पूजा स्थल कानून) को निष्प्रभावी करने की कोशिश की जा रही है. देश में ऐसी तमाम इबादतगाहें और बौद्ध मंदिर हैं, जिन पर दूसरे मजहब वालों का कब्जा है. ऐसे अगर वर्शिप एक्ट को खत्म कर दिया जाता है तो इससे देश में अराजकता और अफरातफरी का माहौल बन जाएगा.
सबको अपने मजहब के प्रचार की आजादी
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने धर्म परिवर्तन पर देश के कई राज्यों में कानून बनाए जाने पर अपना गुस्सा जाहिर किया. बोर्ड मेंबर्स ने कहा कि देश के संविधान में सभी लोगों को अपने मजहब का पालन करने और उसका प्रचार करने की पूरी आजादी दी गई है. लेकिन कई राज्यों ने इस आजादी को कुचलने के लिए धर्म परिवर्तन पर कानून बना दिए हैं. ऐसा करके देश के नागरिकों से उनका अधिकार छीनने की कोशिश की गई है. देश में नफरत का ऐसा माहौल तैयार किया जा रहा है, जिसे नहीं रोका गया तो मुल्क खतरे में आ जाएगा.
बोर्ड (AIMPLB) की कार्यकारिणी बैठक में 10 प्रस्ताव पास किए गए. बैठक खत्म होने के बाद महासचिव खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने प्रेस वार्ता करके बोर्ड के फैसलों की जानकारी दी. रहमानी ने कहा कि देश में नफरत का जहर घोला जा रहा है, जो मुल्क के लिए नुकसानदाह है. स्वतंत्रता संग्राम और संविधान के बनाने वालों ने इस देश के लिए जो रास्ता तय किया था, यह उसके बिल्कुल खिलाफ है.
UCC पर कदम आगे बढ़ाना गैर-जम्हूरी
रहमानी (Maulana Khalid Saifullah Rahmani) ने कहा कि सदियों से हर धर्म को मामने वालों, विभिन्न जबानों और सभ्यताओं से संबंध रखने वालों ने इस मुल्क की खिदमत की है. देश को आगे बढ़ाने में उन सबका बराबर का योगदान है. अगर यह भाई चारा खत्म हो गया तो देश का बड़ा नुकसान होगा. इसलिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश की हुकूमत, मजहबी रहनुमाओं, दानिशवरों , कानूनदानों, सियासी रहनुमाओं और मीडिया के लोगो से अपील करता है कि नफरत की इस आग को बुझाने की कोशिश करें.
बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) महासचिव ने आरोप लगाया कि देश में कानून पर पूरी तरह से अमल किए बगैर मकानों को गिराया जा रहा है. विरोध-प्रदर्शन के संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है. जुल्म साबित किए बिना वर्षों तक जेल में डाल दिया जाता है. इन सबकी हम सख्त निंदा करते है. रहमानी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना एक गैर जम्हूरी अमल होगा. यह इतने बडे विभिन्न धर्मों के देश में असंभव है और न ही इससे देश का कोई लाभ होगा. इसलिए मुस्लिम पर्सनल बोर्ड हुकूमत से अपील करता है कि वे अपने इस इरादे को छोड़कर देश की मूल समस्याओं पर ध्यान दें.
सिख, ईसाई, दलित-आदिवासियों को करेंगे जागरूक
रहमानी (Maulana Khalid Saifullah Rahmani) ने कहा कि UCC के खिलाफ अभियान चलाने के लिए 9 सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाएगा. यह कमेटी देश में दलित, आदिवासी, सिख और ईसाइयों के साथ मिलकर समान नागरिक संहिता के खिलाफ शांतिपूर्ण अभियान चलाएगी. बैठक में गुजरात, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में बोर्ड की कमेटी गठित करने का भी फैसला लिया गया. इस बैठक में बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, मौलाना फखरुददीन अशरफ, प्रो. सैयद अली नकवी, मौलाना असगर अली इमाम मेंहदी, मौलाना फजलुर्रहीम मुजददिदी, मौलाना महमूद मदनी, मौलाना सज्जाद नोमानी, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, असदउददीन ओवैसी, डा. कासिम रसूल इलियास, कमाल फारूकी, मौलाना अतीक अहमद बस्तवी, डा. मोनिशा बुशरा, एडवोकेट यूसुफ हातिम मछाला समेत कई लोग शामिल रहे.
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