No Return Pledge For Award: परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधि समिति का कहना है कि किसी को भी पुरस्कार देने से पहले उनसे वचन लिया जाए कि वे भविष्य में कभी भी इसका अपमान नहीं करेंगे.
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No Return Pledge For Award: देशभर में पिछले कुछ समय से सरकार के विरोध में सम्मान यानी अवॉर्ड लौटाने की प्रथा चली है. संसद की एक समिति साहित्यकारों के इस रवैये से परेशान नजर आ रही है. समिति का मानना है कि ये साहित्यकार विरोध में पुरस्कार तो लौटा रहे हैं साथ ही वे उन अकादमियों के साथ भी जुड़े हुए हैं, जिसने उन्हें सम्मान दिया था. ऐसे में समिति का मानना है कि पुरस्कार या अवॉर्ड देने से पहले सम्मान पाने वालों से एक वचन लिया जाए कि वह अपने पुरस्कार का अपमान नहीं करेंगे.
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पुरस्कार लेने से पहले वचन दें
अवॉर्ड वापसी को लेकर JDU के संजय झा की अध्यक्षता वाली परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधि समिति का कहना है कि पुरस्कार पाने वाले से पहले एक वचन लिया जाए, जिसमें पुरस्कार को स्वीकारने और भविष्य में इसका कभी भी अपमान न करने की बात लिखी हो. इस प्रस्ताव को लेकर सरकार को चिंता है कि कहीं ऐसा करने से गोपनीयता की नीति का उल्घंन न हो. दरअसल पुरस्कार विजेताओं के नामों को सम्मानित करने से पहले गुप्त रखा जाता है.
अकादमी से जुड़े रहने वालों पर नजर
संस्कृति मंत्रालय का कहना है कि पुरस्कार देने से पहले वचन लेना कानूनी तौर पर कठिन हो सकता है. इसको लेकर समिति ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय को इस समस्या से निपटने के लिए और भी विचार करने होंगे. वहीं उन कलाकारों पर भी नजर बनाए रखने की नीति बनानी होगी, जिन्होंने अपने अवॉर्ड तो लगा दिए, लेकिन वे अभी भी अकादमी से जुड़े हैं.
अवॉर्ड वापसी का नुकसान
सोमवार 3 फरवरी 2025 को लोकसभा में एक रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसमें राजनीतिक मुद्दों के कारण अकादमियों से मिले अवॉर्ड लौटाने वाले साहित्यकारों का जिक्र था. समिति का कहना था कि ऐसा करने से बाकी पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धि का मजा कम हो जाता है. वहीं इससे पुरस्कार की प्रतिष्ठा में भी कमी आती है.