INS Vikrant: आईएनएस विक्रांत का शुक्रवार को जलावतरण किया गया. इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की घरेलू क्षमताएं हैं.
भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का शुक्रवार को जलावतरण किया गया. इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की घरेलू क्षमताएं हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में एक समारोह में स्वदेश में निर्मित पोत को नौसेना के बेड़े में शामिल किया. प्रधानमंत्री मोदी ने आईएनएस विक्रांत को नौसेना के बेड़े में शामिल किए जाने के मौके पर एक पट्टिका का अनावरण किया.
इस पोत का नाम एक पूर्ववर्ती पोत के नाम पर रखा गया है जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस नए पोत के साथ ही भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों के क्लब में शामिल हो गया है जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की घरेलू क्षमताएं हैं.
पीएम मोदी ने विमानवाहक पोत की कुछ विशेषताओं के बारे में भी बात की. उन्होंने इसे ‘‘फ्लोटिंग एयरफील्ड, एक तैरता हुआ शहर’’ के रूप में वर्णित किया. उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत में जितनी बिजली पैदा होती है उससे 5,000 घरों को रोशन किया जा सकता है.
सीएसएल पर आईएनएस विक्रांत के जलावतरण समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए.
कुल 262 मीटर लंबा तथा 62 मीटर चौड़ा यह जहाज 28 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है. बीस हजार करोड़ रुपये की लागत से बना यह विमान वाहक जहाज अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. यह देश में बने ‘एडवांसड लाइट हेलीकॉप्टर’ (एएलएच) के अलावा मिग-29के लड़ाकू विमान सहित 30 विमान संचालित करने की क्षमता रखता है.
पीएम मोदी ने कहा, ‘‘ विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है. विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है. विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है. यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है.
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