Maa Kali Controversy: मां काली के अपमान के बीच PM मोदी का बयान, कहा- देवी का आशीर्वाद भारत के साथ
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Maa Kali Controversy: मां काली के अपमान के बीच PM मोदी का बयान, कहा- देवी का आशीर्वाद भारत के साथ

Maa Kali Controversy: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मां काली विवाद के बीच बयान सामने आया है. पीएम मोदी ने कहा कि मां काली का आशीर्वाद भारत के साथ है. सब कुछ मां की चेतना से व्याप्त है.

Maa Kali Controversy: मां काली के अपमान के बीच PM मोदी का बयान, कहा- देवी का आशीर्वाद भारत के साथ

PM Modi On Maa Kali Controversy: मां काली विवाद (Maa Kali Controversy) के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस मिशन की ये जागृत परंपरा है. ये रामकृष्ण परमहंस जैसी विभूति की साधना से प्रकट हुई है. स्वामी रामकृष्ण परमहंस एक ऐसे संत थे, जिन्होंने मां काली का स्पष्ट साक्षात्कार किया. उन्होंने मां काली के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया. वो कहते थे ये संपूर्ण जगत, चर-अचर, सब कुछ मां की चेतना से व्याप्त है. यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है. यही चेतना बंगाल और पूरे भारत की आस्था में दिखती है.

पीएम मोदी ने क्या कहा?

पीएम मोदी ने आगे कहा कि इसी चेतना और शक्ति के एक पुंज को स्वामी विवेकानंद के रूप में स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने प्रदीप्त किया था. स्वामी विवेकानंद को जो मां काली की अनुभूति हुई, उनके जो आध्यात्मिक दर्शन हुए, उसने उनके भीतर असाधारण ऊर्जा और सामर्थ्य का संचार किया. स्वामी विवेकानंद जैसा ओजस्वी व्यक्तित्व, इतना विराट चरित्र, लेकिन जगद्माता काली की स्मृति में, उनकी भक्ति में वो छोटे बच्चे की तरह विहवल हो जाते थे. भक्ति की ऐसी निश्चलता और शक्ति की साधना का ऐसा सामर्थ्य, स्वामी आत्मस्थानंद में भी दिखता था.

चेतन स्वरूप में आज भी दे रहे हैं आशीर्वाद

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आखरी पल तक स्वामी आत्मस्थानंद का मुझ पर आशीर्वाद बना रहा और मैं ये अनुभव करता रहा कि स्वामी जी महाराज चेतन स्वरूप में आज भी हमें आशीर्वाद दे रहे हैं. मुझे खुशी है उनके जीवन और मिशन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आज दो स्मृति संस्करण, चित्र जीवनी और डॉक्यूमेंट्री भी रिलीज हो रही है.

विवेकानंद के बारे में कही ये बात

पीएम मोदी ने कहा कि सन्यासी के लिए जीव सेवा में प्रभु सेवा को देखना, जीव में शिव को देखना, यही सर्वोपरि है. इस महान संत परंपरा को, सन्यस्थ परंपरा को स्वामी विवेकानंद जी ने आधुनिक रूप में ढाला. स्वामी जी ने भी सन्यास के इस स्वरूप को जीवन में जिया, और चरितार्थ किया.

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