Nasirabad: अजमेर जिले के नसीराबाद के पास श्रीनगर क्षेत्र में एक युवती संदिग्ध परिस्थितियों में अपने घर में फांसी के फंदे पर लटकी मिली.
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Nasirabad: राजस्थान के अजमेर जिले के नसीराबाद के पास श्रीनगर क्षेत्र में एक युवती संदिग्ध परिस्थितियों में अपने घर में फांसी के फंदे पर लटकी मिली. परिजन और उनके परिचितों ने मृतका के साथ दुष्कर्म का अंदेशा जताते हुए गांव के ही दो युवकों को उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ ही परिजन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद शव उठाने की बात पर अड़ गए. बाद में अधिकारियों ने उचित जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलाया और तब शव उठाया.
पुलिस के अनुसार मृतका 22 वर्षीया श्रीनगर निवासी है, जो मंगलवार की शाम को अपने ही घर में फांसी के फंदे पर लटकी हुई मिली. परिजनों ने उसे फंदे से उतारकर गंभीर हालत में जेएलएन अस्पताल अजमेर पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मृतका के पिता का आरोप है कि उनकी बेटी की मौत के जिम्मेदार गांव में रहने वाले यशवंत उदय पुत्र ओमप्रकाश और मनीष पुत्र घनश्याम है. मंगलवार को दीपावली की राम-राम करने के लिए रिश्तेदारों से मिलने पत्नी के साथ आस-पास के अन्य गांव में गए हुए थे, उनके दोनों बेटे भी गांव में परिचितों से मिलने गए थे, इस बीच उनकी बेटी घर पर अकेली थी.
भाई को हुआ शक
जिसका फायदा उठाकर दोनों आरोपी घर में घुस गए. मनीष बाहर खड़ा होकर निगरानी कर रहा था और यशवंत उनके घर में चला गया. कुछ देर बाद ही बेटा घर पहुंचा तो मनीष को घर के निकट देखकर शक हुआ, जहां यशवंत उनके घर की छत की ओर भागता दिखा. बेटा उसे पकड़ने के लिए छत की तरफ दौडा, लेकिन तब तक यशवंत छत से घर के पीछे की ओर कूदकर भाग गया. बेटे ने घर के आगे की ओर आकर देखा तो यशवंत की एक्टिवा खड़ी थी.
पीड़िता को जेएलएन अस्पताल अजमेर किया गया रेफर
बेटा यशवंत की स्कूटी पर जाकर बैठ गया कि यशवंत स्कूटी लेने तो आएगा और इस दौरान मनीष भी मौके से भाग चुका था. ऐसे में उनके बेटे ने अपने बड़े भाई को भी यशवंत की करतूत बताई. आरोपी यशवंत को फोन किया गया तो उसने स्कूटी लेकर गोल्डन गेट होटल आने को कह दिया. वहां नहीं जाकर जैसे ही दोनों भाई घर में गए तो उनकी बहन घर में ही फांसी के फंदे पर लटकी हुई थी. उन्होंने कमरे का दरवाजा खोलकर उसे फंदे से उतारा और श्रीनगर अस्पताल ले गए, जहां से उसे जेएलएन अस्पताल अजमेर रेफर कर दिया, जहां पर उसे मृत घोषित कर दिया गया. पिता ने बताया कि वह फोन पर मिली सूचना के आधार पर ही जेएलएन मृतका के परिजन और अन्य अस्पताल पहुंचे थे.
परिजनों ने शव लेने से किया इनकार
मृतका के परिजनों ने जेएलएन अस्पताल में शव लेने से इनकार कर दिया था. उनका कहना था कि दोनों आरोपी युवकों की गिरफ्तारी के बाद ही शव उठाएंगे. पुलिस अधिकारियों अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक घनश्याम शर्मा, पुलिस उपाधीक्षक पूनम भरगड आदि ने उनसे समझाइश की. पिता सहित परिजनों का आरोप है कि यशवंत ने उनकी बच्ची के साथ गलत कार्य किया, जिसमें मनीष ने उसका सहयोग किया है, जिसके चलते उनकी बच्ची की जान चली गई.
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पुलिस ने शुरु की जांच
परिजनों ने बताया कि मृतका पढ़ने में होशियार थी और विज्ञान संकाय से स्नातक किया था, वह रीट भी पास कर चुकी थी और खुद के पैरों पर खड़ा होना चाहती थी. मृतका के परिजन और अन्य ग्रामीण मामले में निष्पक्ष जांच कराने और आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय भी पहुंच गए, जहां पुलिस अधिकारियों ने उन्हें पूर्ण विश्वास दिलाया कि मामले में निष्पक्ष जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. पुलिस ने मृतका का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराया है. जिसमें चिकित्सकों ने शव से कुछ नमूने लेकर एफएसएल जांच के लिए भी भेजे हैं. पोस्टमार्टम के बाद शव परिजन को सुपुर्द कर दिया गया और पुलिस ने जांच कार्रवाई आरम्भ कर दी है.
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