Alwar News: अलवर की सरस डेयरी हमेशा से विवादों में रही है. कभी तो यहां मिलावटी दूध पकड़ा जाता है. तो कभी कांटे पर आए दूध टैंकर में नापतोल कंप्यूटर में चीप लगाकर दूध की क्वांटिटी बढ़ा दी जाती है और डेयरी को नुकसान पहुंचाया जाता है. इस बार एक बड़ा मामला उजागर हुआ.
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Alwar News: अलवर की सरस डेयरी हमेशा से विवादों में रही है. कभी तो यहां मिलावटी दूध पकड़ा जाता है. तो कभी कांटे पर आए दूध टैंकर में नापतोल कंप्यूटर में चीप लगाकर दूध की क्वांटिटी बढ़ा दी जाती है और डेयरी को नुकसान पहुंचाया जाता है. इस बार एक बड़ा मामला उजागर हुआ. विगत 2 सालों से दूध संकलन केंद्र बंद पड़ा हुआ हे. वहीं सरस डेयरी के कागजों में विगत दो सालों से उगल रहा है. रोजाना का 1500 से 2000 लीटर दूध. आखिर मिलावट के खेल का हुआ पर्दाफाश.
अलवर के गोविंदगढ़ में भैसड़ावत गांव में सरस दूध संकलन केंद्र भौतिक रूप से बंद होने के बावजूद. रोजाना 1500 से 2000 लीटर दूध उगलता है. यानी भैसड़ावत के पशुपालकों का सरस दूध नहीं ले रहा. लेकिन वहां के नाम से अलवर डेयरी प्लांट में रोजाना 2000 लीटर दूध पहुंचता है. यह पूरा खेल अलवर शहर के हनुमान चौराहे से होता है.
दो दिन पहले सरस डेयरी चेयरमैन विश्राम गुर्जर ने सरस MD को शिकायत की. उसके बाद अब एमडी ने जांच करा कार्यवाही करने की बात कही है. MD ने कहा कि हर एंगल से जांच होगी. कुछ सोसायटी और भी है. उनकी भी जांच कराकर नियम के अनुसार कार्यवाही की जाएगी. मुझे अभी अलवर सरस डेयरी में एक महीने हुआ है.
वहीं सरस डेयरी के चेयरमैन विश्राम गुर्जर बताया कि भैसड़ावत में दूध संकलन का काम पिछले करीब एक साल से बंद हैं. एक साल पहले यहां से 10 से 15 केन करीब 450 लीटर दूध आता था. अब यहां का सरस दूध संकलन केंद्र बंद है. मतलब यहां दूध ही नहीं लिया जाता है. लेकिन कागजों में यहां के नाम से रोजाना करीब 2 हजार लीटर दूध सरस प्लांट पहुंचता है. हकीकत यह है कि भैसड़ावत के नाम से हनुमान चौराहे से दूध लेकर पहुंचाया जाता है,जो की मिलावटी दूध होता है. यह खेल 1 साल से जारी है.
स्थानीय ग्रामीण कबूल सैनी ने बताया कि पहले भैसड़ावत में 242 नंबर दूध संकलन केंद्र हमारे पास ही था. लेकिन करीब 1 साल से यहां संकलन नहीं हो रहा है. अब दो साल से 242 कोड नंबर पर दूध ही नहीं आता है. पूरी तरह बंद है. यही नहीं 2081 कोड नंबर से भी दूध नहीं आता है.चेयरमैन ने बताया कि 19 नवंबर को सूचना मिली कि भैसड़ावत में डेयरी नहीं है और यहां के नाम से सरस डेयरी में दूध पहुंचता है. सरकार की ओर से पशुपालकों को मिलने वाले अनुदान का पता नहीं है किसके खाता में पैसा गया है. यहां बड़ी गड़बड़ी है.
इस बारे में 18 नवंबर को एमडी को शिकायत कर दी. इसके बावजूद 19 से 22 नवंबर तक विजिलेंस टीम तक नहीं भेजी. इसके बाद खुद मौके पर गया. वहां ग्रामीणों ने बताया कि यहां भैसड़ावत की डेयरी बंद हैं. यहां दूध का संकलन नहीं होता है. हनुमान चौराहे पर डेयरी चल रहे शिव कुमार का कहना है कि हमारे यहां से दूध जाता है. लेकिन भैसड़ावत के नाम से ही दूध जाता है. यहां एक ही डेयरी है. दूसरी कई डेयरी नहीं है. हम भैसड़ावत से ही दूध लाते हैं. हम अपनी गाड़ी में दूध लेकर आते हैं. जबकि हकीकत यह है गांव में डेयरी बंद है. वहां से सरस का दूध आना बंद है.