चित्तौड़गढ़ जिले की भदेसर तहसील में आसावरा गांव में असावरा माता का मंदिर बना हुआ है जो प्रसिद्ध सांवरिया सेठ के मंदिर से 11 किलोमीटर की दूरी पर है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां भारत के विभिन्न राज्यों से लकवे से ग्रसित श्रद्धालु आते हैं और 10 से 15 दिनों के अंदर ठीक होकर माता रानी की कृपा से अपने घर चले जाते हैं.
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Asavara Mata: चित्तौड़गढ़ जिले की भदेसर तहसील में आसावरा गांव में असावरा माता का मंदिर बना हुआ है जो प्रसिद्ध सांवरिया सेठ के मंदिर से 11 किलोमीटर की दूरी पर है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां भारत के विभिन्न राज्यों से लकवे से ग्रसित श्रद्धालु आते हैं और 10 से 15 दिनों के अंदर ठीक होकर माता रानी की कृपा से अपने घर चले जाते हैं.
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मंदिर को लेकर कहा जाता है कि माता के दक्षिण दिशा में खिड़की या बारी के अंदर निकलने से सब दुख दर्द और लकवे की बीमारी से ठीक हो जाती हैं. इसलिए जो भी माता के दर्शनों के लिए आता है उन सभी श्रद्धालुओं को इन्हीं खिड़कियां एवं बारी से मंदिर में प्रवेश कराया जाता है.
इस बारे में मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी मदन पुरी गोस्वामी ने बताया कि यहां हर साल अनेक श्रद्धालु अपनी परेशानियां लेकर मां के दरबार में आते है. उनमें से कोई चल नहीं पाता , बोल नहीं सकता, हिल नहीं सकता हैं . वे यहां आते हैं और 10 ,15 दिन में ठीक होकर अपने पैरों पर चलकर यहां से जाते हैं ,जो एक चमत्कार से कम नहीं होता है. यहां कि मान्यता है कि लकवे से ग्रसित व्यक्ति को मंदिर की परिक्रमा एवं मंदिर के सामने स्थित तालाब के पानी से स्नान कराने के बाद श्रद्धालु ठीक हो जाते हैं . रात्रि को सभी पीडि़त माताजी की मूर्ति के सामने बाहर चौक में लेट जाते हैं. अर्धरात्रि में माता आवरा के चमत्कार से पीड़ितों को ऐसा महसूस होता है कि माता उन्हें पैर लगाकर गई हैं,
बता दें कि आवरी माता का मंदिर उदयपुर एकलिंग ट्रस्ट के अधीन आता है . ट्रस्ट के जरिए ही मंदिर की सारी व्यवस्थाओं की देखरेख की जाती है. यात्रियों की सुविधाओं के लिए जगह जगह गार्ड नियुक्त किए गए हैं. श्रद्धालुओं के लिए छाया और पानी की व्यवस्था भी की गई है. मंदिर के पास बनी जैन धर्मशाला एवं प्रताप सेवा संस्थान के जरिए समस्त बीमारों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है .
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ऐसा माना जाता है कि मंदिर में लोगों को ठीक करने की विशेष शक्तियां हैं और सालों से बीमार भक्त अपनी बीमारियों को ठीक करने के लिए इस मंदिर में आते हैं. इसके साथ ही ऐसे कई लोग हैं जो अपने परिवार के साथ आते हैं.
Reporter:Deepak Vyas