Jaipur News: जयपुर में द्रविड़ शैली में बने झाड़खंड महादेव मंदिर में महाकुंभाभिषेकम का आयोजन किया गया, जो दक्षिण भारत की तर्ज पर प्रदेश में पहली बार हुआ. यह अनुष्ठान 12 साल में एक बार होता है, जिसमें पूजा, घट परिक्रमा और स्वर्ण शिखरों के अभिषेक के साथ देव विग्रहों का विधिवत पूजन किया गया. मंदिर के 51 फीट के गोपुरम में कलश स्थापित किया गया और देश की 7 नदियों के जल के साथ तमिलनाडु से मंगवाई पूजन सामग्री का उपयोग किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन दक्षिण भारत के विद्वान आचार्य आर सुंदरमूर्ति तिरूचिरापल्ली के सान्निध्य में हुआ.
राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक ऐतिहासिक आयोजन हुआ, जहां झाड़खंड महादेव मंदिर में महाकुंभाभिषेकम का आयोजन किया गया. यह आयोजन दक्षिण भारत की परंपरा के अनुसार किया गया, जो प्रदेश में पहली बार हुआ. इस आयोजन का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि यह द्रविड़ शैली में बने मंदिर में हुआ.
एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण अनुष्ठान जयपुर के झाड़खंड महादेव मंदिर में संपन्न हुआ. यह अनुष्ठान, जो 12 साल में केवल एक बार होता है, में विशेष पूजा-अर्चना, घट परिक्रमा और स्वर्ण शिखरों के अभिषेक के साथ देव विग्रहों का विधिवत पूजन किया गया. इस अनुष्ठान का महत्व और इसके पीछे की पौराणिक कथा ने श्रद्धालुओं को आकर्षित किया.
जयपुर के झाड़खंड महादेव मंदिर में महाकुंभाभिषेकम के अवसर पर एक विशेष अनुष्ठान किया गया. मंदिर के 51 फीट ऊंचे गोपुरम पर एक पवित्र कलश स्थापित किया गया, जिसमें देश की 7 पवित्र नदियों का जल और तमिलनाडु से विशेष रूप से मंगवाई गई पूजन सामग्री का उपयोग किया गया. इस अनुष्ठान का उद्देश्य देवताओं को प्रसन्न करना और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान करना था.
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