प्रदेश के लाखों शिक्षकों ने उप प्राचार्य के 50 फीसदी पदों पर डीपीसी के माध्यम से पदोन्नति तो 50 फीसदी पदों पर आरपीएससी द्वारा सीधी भर्ती से भरने की मांग तेज कर दी है. इसी मांग को लेकर राजस्थान उप प्राचार्य सीधी भर्ती संघर्ष समिति द्वारा ब्लॉक स्तर पर पोस्ट कार्ड अभियान चलाया जा रहा है.
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Jaipur: प्रदेश सरकार की ओर से शिक्षा में गुणवत्ता सुधार को लेकर एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रदेश की 12 हजार 461 सरकारी स्कूलों में उप प्राचार्य का पद सृजित किया गया. जिसका पूरे शिक्षा जगत ने स्वागत किया,लेकिन इन सभी पदों पर डीपीसी के माध्यम से पदोन्नति के जरिए भरने का विरोध भी अब तेज होने लगा है.
आरपीएससी द्वारा सीधी भर्ती से भरने की मांग तेज
प्रदेश के लाखों शिक्षकों ने उप प्राचार्य के 50 फीसदी पदों पर डीपीसी के माध्यम से पदोन्नति तो 50 फीसदी पदों पर आरपीएससी द्वारा सीधी भर्ती से भरने की मांग तेज कर दी है. इसी मांग को लेकर राजस्थान उप प्राचार्य सीधी भर्ती संघर्ष समिति द्वारा ब्लॉक स्तर पर पोस्ट कार्ड अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही एसडीएम,तहसीलदार,सीबीओ सहित अधिकारियों को पोस्टकार्ड देकर अपनी मांग रखी जा रही है.
व्याख्याताओं को सीधे उप प्राचार्य पदों पर लाभ मिलेगा
गौरतलब है कि सभी पदों पर डीपीसी के माध्यम से होने जा रही पदोन्नति के तहत व्याख्याताओं को सीधे उप प्राचार्य पदों पर लाभ मिलेगा, जबकि तृतीय श्रेणी और द्वितीय श्रेणी शिक्षकों के साथ ही निजी स्कूलों में 5 साल का अनुभव रखने वाले शिक्षक उप प्राचार्य के पदों पर लाभ प्राप्त नहीं कर सकेंगे, जबकि इन शिक्षकों को पहले हैडमास्टर के पदों पर पदोन्नति का लाभ मिलता था,जो शिक्षा विभाग द्वारा उप प्राचार्य का पद सृजन करने के साथ ही हेडमास्टर का पद समाप्त कर दिया गया है.
संघर्ष समिति के अध्यक्ष राधा मोहन मीणा ने कहा- फैसला सराहनीय
संघर्ष समिति के अध्यक्ष राधा मोहन मीणा का कहना है कि "शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से लिया गया फैसला सराहनीय है, लेकिन सभी पदों डीपीसी के माध्यम से भरने का फैसला गलत. इससे अन्य शिक्षकों के उप प्राचार्य के पदों पर पहुंचने का सपना पूरा नहीं हो पाएगा. अगर 50 फीसदी पदों पर सीधी भर्ती प्रक्रिया को अपनाया जाता है तो शिक्षकों के लिए ये काफी फायदेमंद होगा."
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तो वहीं सरकारी शिक्षकों का कहना है कि "वर्तमान में कार्यरत युवा शिक्षकों के रास्ते डीपीसी के आदेश के बाद बंद हो चुके हैं, तो वहीं निजी स्कूलों में कार्यरत करीब डेढ़ से दो लाख शिक्षकों का भी सपना टूट सकता है.क्योंकि डीपीसी के माध्यम से सिर्फ व्याख्याताओं को ही पदोन्नति का लाभ मिलेगा. जबकि 50 फीसदी पदों पर अगर सीधी भर्ती होती है तो तृतीय श्रेणी,द्वितीय श्रेणी,व्याख्याता और निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को भी उप प्राचार्य के पदों पर लगने का लाभ मिल सकेगा."
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