Rajasthan CS sudhansh pant : सुधांश पंत ने सुबह 9.40 बजे सचिवालय पहुंचकर पदभार संभालने से पहले मुख्य द्वार पर स्थापित श्रीगणेश भगवान की प्रतिमा को वंदन किया. करीब साढे पांच घंटे बाद शुभ मुहूर्त में दोपहर 3.15 बजे सीएस की कुर्सी पर बैठकर चार्ज संभाला.
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Rajasthan CS sudhansh pant News : केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर रहे और राजस्थान कैडर के 1991 बैच के आईएएस अधिकारी सुधांश पंत को राजस्थान का नया मुख्य सचिव बनाया गया है. केंद्र सरकार से रिलीव होने के बाद आज सुधांश पंत ने सुबह 9.40 बजे सचिवालय पहुंचकर पदभार संभालने से पहले मुख्य द्वार पर स्थापित श्रीगणेश भगवान की प्रतिमा को वंदन किया.
गणेश वंदना के बाद वे अपना दायित्व संभालने के लिए सीधे अपने कक्ष में दाखिल हुए. करीब साढे पांच घंटे बाद शुभ मुहूर्त में दोपहर 3.15 बजे सीएस की कुर्सी पर बैठकर चार्ज संभाला.
राजस्थान में नए साल पर ब्यूरोक्रेसी को नया मुखिया मिल गया हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव पद से 30 दिसंबर को रिलीव होकर आए 1991 बैच राजस्थान कॉडर के सुधांश पंत अब राज्य की ब्यूरोक्रेसी के नए बॉस बन गए हैं. दस साल में तीसरी बार ऐसा हुआ है. की मुख्य सचिव की कुर्सी पर केंद्रीय डेपुटेशन बीच में छोड़कर आए आईएएस ने जिम्मेदारी संभाली हैं.
नववर्ष पर सचिवालय में पदभार संभालने से पहले मुख्य द्वार पर स्थापित श्रीगणेश भगवान की प्रतिमा को वंदन किया और करीब साढे पांच घंटे बाद दोपहर 3.15 बजे मंत्रोच्चार के साथ शुभ मुहूर्त में सुधांश पंत ने प्रदेश के 45वें मुख्य सचिव की नई जिम्मेदारी को संभाला. पंत सीएस के साथ राज्य खान एवं खनिज निगम अध्यक्ष की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी देखेंगे.
इस दौरान सुधांश पंत ने मीडिया से बातचीत करते हुए सबसे पहले नए साल पर सभी प्रदेशवासियों को राम-राम कहा और नई जिम्मेदारी देने के लिए पीएम मोदी और मुख्यमंत्री भाजनलाल शर्मा का आभार जताया. पंत ने कहा की प्रदेश के हित में ऐसे निर्णय लिए जाएंगे जिनसे प्रदेश के लोगों को राहत मिल सके.
जनहित के लिए लगन और निष्ठा से काम करेंगे. राजस्थान में विकसित भारत की कल्पना साकार करने की कोशिश की जाएगी. प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर कहा कि वित्त विभाग के अधिकारियों से चर्चा करके वित्तीय स्थिति मजबूत करेंगे. योजनाओं जैसे बड़े मुद्दों पर सभी से चर्चा कर निर्णय लिए जाएंगे.
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चीफ सेकेट्री सुधांश पंत ने कहा की केंद्र और राज्य सरकार का अच्छा तालमेल रहेगा. साथ ही केंद्र का सहयोग मिलता रहेगा..उन्होंने कहा कि केंद्र से मिलने वाली ग्रांट में कोई परेशानी नही आएगी. राज्य पूरा आवंटित राशि खर्च कर सकता है. प्रशासनिक अधिकारियों पर बढ़ रहे वर्कलोड को लेकर कहा कि कैडर को लेकर ऑफ हैं नहीं कहा जा सकता, जो प्रस्ताव आएंगे उनके बारे में बातचीत करके ही निर्णय लिए जाएंगे..
गौरतलब है कि सरकार को ब्यूरोक्रेसी और गवर्नेंस के लिए सुधांश पंत जैसे ऑफिसर की आवश्यकता थी. उनकी दूरदर्शिता और स्किल्स का फायदा सरकार को मिले, इसे लेकर उन्हें राजस्थान भेजा गया था. कार्य और योजना के मामले में आईएएस लॉबी में पंत अच्छे अफसर माने जाते हैं. धारा बदलने वाले कई बड़े कामों में इनकी अहम भूमिका रही है.
उदाहरण के तौर पर प्रदेश में जेनेरिक दवाओं की शुरुआत पंत ने ही कराई. महंगी दवाओं और ऑपरेशन की दरों पर नियंत्रण का श्रेय भी इन्हीं को जाता है. पंत विभिन्न विभागों में ऐसे कई महत्वपूर्ण काम करवा चुके हैं. इसी कारण केंद्र में उनकी कई बार प्रतिनियुक्ति हुई और वहां महत्वपूर्ण पदों पर रहे. केंद्रीय मंत्रालयों में सचिव पद तक पहुंचे.
बताया जाता है कि सुधांश पंत किसी भी मुद्दे पर काम करने से पहले उस पर जमकर रिसर्च करते हैं. पंत को पीएमओ के पसंदीदा अफसरों में गिना जाता है. पंत लंबे समय तक इस पद पर रह सकते है. क्योंकि वह 2027 में सेवानिवृत्त होंगे.राजस्थान में वित्त विभाग को लेकर के चर्चा थी कि यहां वित्तीय प्रबंधन एक्सपर्ट को मुख्य सचिव बनाया जाए.
ऐसे में सुधांश पंत को यह बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. सरकार यहां वित्तीय व्यवस्थाओं को बेहतर करना चाहती है. राजस्थान की वित्तीय व्यवस्थाओं का पंत को बेहतर अनुभव है लिहाजा सरकार उसका लाभ लेना चाहती है. सुधांश पंत के पदभार संभालने के बाद सचिवालय में मुख्य सचिव सुधांश पंत से आईएएस , आईपीएस और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों ने मुलाकात कर बधाई और शुभकामनाएं दी.
6 अधिकारियों की वरिष्ठता लांघकर 1991 बैच के आईएएस सुधांश पंत को नया मुख्य सचिव बनाया गया हैं. राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत को 1991 बैच के IAS सुधांश पंत वरिष्ठता में 7वें नंबर पर हैं. पहले नंबर पर 1988 बैच के डॉक्टर सुबोध अग्रवाल है. उसके बाद दूसरे नंबर पर 1989 बैच के वी श्रीनिवास हैं. जो मौजूद समय में दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर है. तीसरे नंबर पर 1989 बैच की शुभ्रा सिंह हैं. चौथे नंबर पर 1989 बैच के राजेश्वर सिंह हैं.
पांचवें नम्बर पर 1989 बैच के रोहित कुमार सिंह, जो दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर हैं. उसके बाद छठे नंबर पर 1990 बैच के संजय मल्होत्रा है वह भी दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में चर्चा ये है की क्या सचिवालय में उनके सीनियर्स अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल और शुभ्रा सिंह उनके अधीन काम करेंगे या फिर सचिवालय से बाहर होंगे, क्योंकि सिविल लिस्ट के अनुसार पंत से सीनियर तीन अफसर पहले से ही केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर है. वहीं राजेश्वर सिंह पहले ही सचिवालय से बाहर हैं.
ऐसे में सुबोध अग्रवाल और शुभ्रा सिंह ही सचिवालय में हैं. क्या निरंजन आर्य के समय जैसे सुबोध अग्रवाल और पीके गोयल ने परम्परा तोड़ी थी उसी तरह से जूनियर सुधांश पंत के सीएस बनने पर भी सचिवालय में काम करते रहेंगे. उधर सुधांश पंत ऐसे तीसरे आईएएस अफसर है. जो केंद्रीय डेपुटेशन बीच में छोड़कर मुख्य सचिव की कुर्सी पर बैठे हैं.
साल 2013 में जब भाजपा सरकार बनी थी तो वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बनी थीं. राजे ने तब राजीव महर्षि को मुख्य सचिव बनाया था. महर्षि उस वक्त दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर थे. महर्षि करीब 6 महीने राज्य के मुख्य सचिव रहे. उसके बाद मई-2014 में केंद्र में भी भाजपा की सरकार बनी और प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी. मोदी के पीएम बनने के तुरंत बाद महर्षि वापस दिल्ली लौटे और केंद्रीय वित्त मंत्रालय में सचिव बने.
उसके बाद 31 जनवरी 2022 में गहलोत सरकार में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से उषा शर्मा को राजस्थान बुलाकर मुख्य सचिव बनाया गया. जून 2023 में उषा शर्मा का रिटायरमेंट था लेकिन छह माह उनका कार्यकाल बढा दिया गया. उषा शर्मा का कार्यकाल पूरा होने के साथ ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से 1991 बैच के आईएएस सुधांश पंत को बुलाकर मुख्य सचिव बना दिया गया.
सुधांश पंत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले हैं. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन में बीटेक किया है. पंत पूर्व 1993 में जयपुर में एसडीएम रह चुके हैं. उसके बाद वे जैसलमेर, झुंझुनूं, भीलवाड़ा और जयपुर में कलक्टर रहे. पंत जयपुर में जेडीए कमिश्नर की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. इसके साथ ही राजस्थान के कृषि विभाग के कमिश्नर रहे हैं.
पंत बतौर एसीएस जलदाय विभाग की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. वे राजस्थान सरकार में वन पर्यवारण विभाग के प्रिंसिपल सचिव और राजस्थान प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन भी रहे हैं. वे बीते कुछ समय से प्रतिनियुक्ति पर भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव के पद पर काम कर रहे थे.
सुधांश पंत को फाइनेंस क्षेत्र में राजस्थान सरकार से 2000, 2001, 2002, 2003 और 2004 में अवार्ड मिल चुका है. प्रदेश के सबसे पहले सीएस बनने का गौरव के. राधाकृष्णन (13 अप्रेल 1949 से 2 मई 1950) को हासिल है. जबकि भगवत सिंह मेहता सबसे लंबे कार्यकाल (9 मई 1958 से 26 सितंबर 1964 तक) लगभग 6 वर्ष 4 महीने मुख्य सचिव रह चुके हैं.
प्रदेश की पहली महिमा मुख्य सचिव का ज़िम्मा कुशाल सिंह ने 27 फरवरी 2009 से 31 अक्टूबर 2009 तक संभाला था. इसी तरह से सबसे कम समय के सीएस का कार्यकाल राजीव स्वरुप का रहा. जिन्होंने 2 जुलाई 2020 से लेकर 31 अक्टूबर 2020 तक ही लगभग 4 महीने तक ही सेवाएं दीं.
बहरहाल, ब्यूरोक्रेसी के नए मुखिया सुधांश पंत विदेशों में चल रहे घटनाक्रम को लेकर अपडेट रहते हैं. खास तौर से विकसित देशों में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल और पॉलिसी के बारे में. अपडेट रहने की उनकी आदत का ही असर है कि उनकी बात और विचार का गहरा असर हर मीटिंग में होता है. किसी भी फाइल पर वे उलझाने वाली टिप्पणी नहीं करते. अपनी राय के बाद सीधे हां या ना में फैसला लिखते हैं.