एनआईए सूत्रों के मुताबिक रेलवे ट्रैक पर जो ब्लास्ट हुआ था उसके किट को पहले से ही तैयार कर लिया गया था. जिसके बाद उसी ट्रैक पर लाकर फिट किया गया. ब्लास्ट किट को रेलवे ट्रैक पर प्लांट करने में 1 घंटे का समय लगा.
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Udaipur : एनआईए सूत्रों के मुताबिक रेलवे ट्रैक पर जो ब्लास्ट हुआ था उसके किट को पहले से ही तैयार कर लिया गया था. जिसके बाद उसी ट्रैक पर लाकर फिट किया गया. ब्लास्ट किट को रेलवे ट्रैक पर प्लांट करने में 1 घंटे का समय लगा. उदयपुर और उसके आसपास पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई के सदस्यों से भी खुफिया एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं.
जांच एजेंसियों को इस बात का अंदेशा है कि पीएफआई के जिस माड्यूल ने कन्हैया हत्याकांड में अपनी भूमिका अदा की थी उन्होंने उदयपुर रेलवे ट्रैक ब्लास्ट आरोपियों की भी मदद की. एनआईए सूत्रों के मुताबिक उदयपुर रेलवे ट्रैक धमाके में डेढ़ किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था, विस्फोटक का नाम इमल्शन था. इस धमाके में लोकल ब्लास्ट किट का इस्तेमाल किया गया था, जिसे बैटरी द्वारा संचालित किया गया था, यह रिमोट ब्लास्ट नहीं था क्योंकि जांच एजेंसियों को अभी इसमें कोई पावर पॉइंट नहीं मिला है.
ब्लास्ट किट में अभी तक कोई इलेक्ट्रिक मेथड नहीं मिला है. जांच एजेंसियों को सूत्रों के मुताबिक प्राथमिक जांच में यह भी बात सामने आई है कि इस घटना में ब्लास्ट किट को तैयार करने में लोकल क्रिमिनल की मदद ली गई थी. जिस तरीके के सबूत हैं और यह ब्लास्ट किट तैयार की गई है, उससे इस बात की पूरी संभावना है कि इस किट को कैसे तैयार करना था उसके निर्देश लोकल लोगों को बराबर किसी एक्सपर्ट हैंडलर से बराबर मिल रहे थे, यह हैंडलर बाहरी मुल्कों के भी हो सकते हैं.
शुरुआती जांच में केंद्रीय एजेंसियों के इस बात की ओर भी इशारा कर रही है कि धमाके का मकसद रेलवे ट्रैक को ही नुकसान पहुंचाना था जिससे ट्रेन आवाजाही में गतिरोध पैदा हो या फिर ट्रैक टूटने की वजह से ट्रेन ऐक्सीडेंट हो, ब्लास्ट किट फिट करने में स्थानीय लोगों की मदद ली गई थी. कुलमिलाकर इस मामले की हर एंगल से जांच की जा रही है.
रिपोर्ट- आलोक वर्मा
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