Shraddha Murder Case: लड़का और लड़की एक दूसरे से मिलने के लिए डेटिंग ऐप्स का बहुत इस्तेमाल करने लगे हैं. पुराने जमाने में शादी का फंक्शन, कोई बड़ा समारोह, त्योहार या स्कूल कॉलेज, ऐसी जगह थीं, जहां पर युवा लड़के-लड़कियां एक-दूसरे से मिलते थे, दोस्ती करते थे.
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Dating Apps in India: डेटिंग ऐप (Dating App) वाला प्यार, लिव इन रिलेशनशिप और फिर हत्या. श्रद्धा मर्डर केस की कहानी के यही 3 एंगल हैं. हमने आपको हत्या की पूरी कहानी बताई, जिसकी शुरुआत डेटिंग ऐप से शुरू हुई थी. हो सकता है कि आपमें से बहुत से लोग डेटिंग ऐप के बारे में ना जानते हों. लेकिन युवाओं में डेटिंग ऐप्स बहुत फेमस हैं. लड़का और लड़की एक दूसरे से मिलने के लिए डेटिंग ऐप्स का बहुत इस्तेमाल करने लगे हैं. पुराने जमाने में शादी का फंक्शन, कोई बड़ा समारोह, त्योहार या स्कूल कॉलेज, ऐसी जगह थीं, जहां पर युवा लड़के-लड़कियां एक-दूसरे से मिलते थे, दोस्ती करते थे.
लेकिन अब जमाना बदल गया है. अब मार्केट में ऐसे सैकड़ों डेटिंग ऐप्स हैं, जिसमें लॉगिन करने के बाद, ऐप यूज करने वाले लड़के-लड़कियां, एक दूसरे की प्रोफाइल देखकर, दोस्ती और मुलाकात का समय तय कर लेते हैं. स्थिति ये है कि आजकल कई युवा लड़के-लड़कियों की जिंदगी का अकेलापन, Right Swap, Left Swap में ही बीत रहा है. श्रद्धा और आफताब भी एक डेटिंग ऐप BUMBLE के जरिए मिले थे. दोनों की प्रोफाइल इस डेटिंग ऐप पर थी. आफताब इस ऐप के जरिए लड़की से दोस्ती करना चाहता था, और श्रद्धा भी इस ऐप के जरिए किसी लड़के से दोस्ती करना चाहती थी.
अब समझिए डेटिंग ऐप्स का गणित
देश में 3 करोड़ से ज्यादा भारतीय डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं.
इनमें 67 प्रतिशत यूजर्स पुरुष हैं और 33 प्रतिशत यूजर्स महिलाएं हैं.
एक डेटिंग ऐप के सर्वे में ये भी पता चला है कि Gen Z यानी जिनका जन्म वर्ष 2000 के बाद हुआ है. ऐसे हर 10 में से 9 युवा डेटिंग ऐप के जरिए दोस्त तलाशते हैं.
कोरोना महामारी के बाद से डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल, युवाओं में ज्यादा बढ़ गया है.
यही वजह है कि भारत में डेटिंग ऐप्स के सब्सक्रिप्शन से सालाना कमाई 515 करोड़ रुपये है.
सब्सक्रिप्शन के मामले में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार है.
भारत में डेटिंग ऐप्स के 2 करोड़ से ज्यादा पेड सब्सक्राइबर्स हैं.
वर्ष 2017 में 25 से 34 वर्ष के बीच के 52 प्रतिशत युवा, डेटिंग ऐप पर थे.
यानी देश के ज्यादातर युवा, दोस्ती के लिए डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. अब सवाल ये है कि इन डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल सही है या गलत? हम डेटिंग ऐप्स के इस्तेमाल को सही या गलत नहीं बताने जा रहे हैं. हम आपको बस इतना ही कहेंगे कि डेटिंग ऐप्स से होने वाली दोस्ती में जल्दबाजी ठीक नहीं होती है. श्रद्धा और आफताब की दोस्ती भी डेटिंग ऐप के जरिए ही हुई थी. 20-25 दिन में ही दोनों ने एक दूसरे के साथ रहने का मन बना लिया था, जबकि दोनों एक दूसरे को ठीक से जानते भी नहीं थे.
सच्चे प्यार वाला फिल्मी विचार, युवाओं के मन में इस तरह से बैठा है कि चंद दिनों की मुलाकातों और दोस्ती को ही वो सच्चा प्यार समझ लेते हैं. दोस्ती के बाद प्रेम और प्रेम की परिपक्वता की समझ, युवाओं को फिल्मों और टीवी सीरियलों से मिल रही है. ये एक बड़ी वजह है कि आजकल के प्रेमी या प्रेमिका, अपने प्रेम को अपने विवेक से ज्यादा किसी रोमांटिक फिल्म के क्लाइमैक्स से तौलते हैं.
पहचान करना सबसे बड़ा टास्क
डेटिंग ऐप ने युवा लड़के-लड़कियों को दोस्ती करने का साधन तो दे दिया है. लेकिन दोस्ती से आगे बढ़ने का फैसला, युवाओं पर ही छोड़ दिया है. डेटिंग ऐप्स पर कई तरह के लोग आ गए हैं, कुछ अच्छे मकसद से हैं, तो कुछ आपराधिक मानसिकता के लोग हैं. इनकी पहचान करना ही सबसे बड़ा टास्क है.
श्रद्धा और आफताब के मामले में श्रद्धा ने अपने घर वालों से लड़कर, आफताब के साथ लिव इन में रहने का फैसला किया था. इस दौरान श्रद्धा ने कई बार अपनी मां को बताया था, कि आफताब उसके साथ मारपीट करता है. श्रद्धा ने इन घटनाओं के बाद भी आफताब को समझने में गलती की. सच्चा प्यार और इंडिपेंडेंट हो जाने वाले वाले विचार ने उसे इस तरह से घेरा हुआ था कि वो आफताब की हरकतों को नजरअंदाज करती रही. यहीं पर उससे गलती हो गई.
खुद की सुरक्षा का रखें ख्याल
जो भी युवा डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें समझदारी का परिचय देते हुए खुद की सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए. दोस्ती में आगे बढ़ने से पहले पूरा भरोसा करना बहुत जरूरी है. डेटिंग ऐप से हुई दोस्ती में व्यक्ति और उसके व्यक्तित्व की पहचान कर लेना बहुत जरूरी है. यहां एक बात हम आपको जरूर कहना चाहेंगे कि किसी भी संबंध में परिपक्वता समय के साथ-साथ आती है. जल्दीबाजी में लिए गए फैसले अक्सर गलत हो जाते हैं.
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