Sonam Wangchuk: 19 दिन हो गए... लद्दाख से दिल्ली क्यों नहीं पहुंच रही रैंचों की आवाज? क्या हैं सोनम वांगचुक की मांगें
Advertisement
trendingNow12172574

Sonam Wangchuk: 19 दिन हो गए... लद्दाख से दिल्ली क्यों नहीं पहुंच रही रैंचों की आवाज? क्या हैं सोनम वांगचुक की मांगें

Sonam Wangchuk Demands: विरोध प्रदर्शन के जरिए सोनम वांगचुक ने चार अहम मांगें उठाई हैं, जो हैं लद्दाख को राज्य का दर्जा, क्षेत्र में संविधान की छठी अनुसूची को लागू कराना. संविधान की छठी अनुसूची जमीन की सुरक्षा और देश के जनजातीय क्षेत्रों के लिए  स्वायत्तता की गारंटी देती है.

Sonam Wangchuk: 19 दिन हो गए... लद्दाख से दिल्ली क्यों नहीं पहुंच रही रैंचों की आवाज? क्या हैं सोनम वांगचुक की मांगें

Ladakh News: 'थ्री इडियट्स' का रैंचो तो आपको याद होगा. आमिर खान का किरदार जिस शख्स से प्रेरित था, वे हैं शिक्षा सुधारवादी सोनम वांगचुक. लेकिन वह पिछले 19 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हैं. लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने के अलावा कई मांगों को लेकर 6 मार्च से शुरू हुई उनकी भूख हड़ताल 19 वें दिन में पहुंच गई है. 

उनके साथ कई स्थानीय लोग भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वांगचुक ने इस अनशन को क्लाइमेट फास्ट बताया है. मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके वांगचुक लगातार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए अपनी बात लोगों तक पहुंचा रहे हैं. 

लेकिन 19 दिन से विरोध प्रदर्शन के कारण उनकी सेहत लगातार गिर रही है.  वीडियो में उनकी बिगड़ी सेहत आवाज, चेहरे के भाव और शारीरिक स्थिति से समझी जा सकती है. रात में लद्दाख का माइनस 10 से माइनस 12 तक पहुंच जाता है. ऐसे में वांगचुक और उनके साथ सैकड़ों लोग जीरो डिग्री तापमान में और खुले आकाश के नीचे अनशन पर बैठे हैं. लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई बयान नहीं आया है. तो क्या 19 दिन से केंद्र सरकार को वांगचुक के अनशन के बारे में मालूम नहीं चला होगा.

क्या हैं सोनम वांगचुक की डिमांड

विरोध प्रदर्शन के जरिए सोनम वांगचुक ने चार अहम मांगें उठाई हैं, जो हैं लद्दाख को राज्य का दर्जा, क्षेत्र में संविधान की छठी अनुसूची को लागू कराना. संविधान की छठी अनुसूची जमीन की सुरक्षा और देश के जनजातीय क्षेत्रों के लिए  स्वायत्तता की गारंटी देती है. साल 2019 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था.

अब लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दोनों अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश हैं. वांगचुक की मांग है कि लेह और करगिल जिले के लिए अलग-अलग लोकसभा सीट हों और लद्दाख के लिए अलग से पब्लिक सर्विस कमीशन हो. वांगचुक का दावा है कि केंद्र शासित प्रदेश के टैग के कारण लद्दाख का औद्योगिक शोषण हो रहा है, जो हिमालय क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को तबाह कर सकता है.

वांगचुक बोले- केंद्र ने तोड़ा भरोसा

केंद्र की मोदी सरकार पर वांगचुक ने आरोप लगाया कि चार साल से वह अपना वादा निभाने में नाकाम रही है. वांगचुक ने एक बयान में कहा, 'चार साल की रोजाना देरी की रणनीति अपनाने के बाद आखिरकार सरकार ने 4 मार्च को वादे पूरे करने से इनकार कर दिया. यह भरोसा टूटने और नेताओं, सरकारों और चुनावों पर निष्ठा खत्म होने जैसा है. यह आने वाली सरकारों और चुनावों के लिए गलत नजीर पेश करेगा. '

सोनम वांगचुक ही नहीं मांगों को लेकर लोगों का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है. लेह के बाद करगिल में भी विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. लोग वांगचुक के समर्थन में उतर आए हैं. 20 मार्च को आधे दिन के बंद का भी ऐलान किया गया था, जो करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की तरफ से बुलाया गया था.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news