Maharashtra Politics: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए.
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Maharashtra News: उद्धव ठाकरे गुट और शिंदे गुट के विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने अदालती फैसले के बाद शिंदे सरकार की वैधानिकता पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शिवसेना शिंदे गुट का व्हिप अवैध है, वर्तमान सरकार अवैध है और संविधान के खिलाफ बनाई गई है.’
'फैसले का स्वागत करते हैं'
वहीं शिवशेना सांसद (शिंदे गुट), राहुल शेवाले ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो व्हिप नियुक्त करने का फैसला है वह राजनीतिक पार्टी ले सकती है और चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे की पार्टी को सभी हक दिए हैं इसलिए अब स्पीकर फैसला लेंगे.'
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए. अदालत कहा कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए.
एमवीए सरकार को नहीं किया जा सकता बहाल
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एमवीए सरकार को बहाल करके यथास्थिति का आदेश नहीं दिया जा सकता है क्योंकि तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया था.
'राज्यपाल का फैसला अवैध था'
एएनआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल का निर्णय भारत के संविधान के अनुसार नहीं था, सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई संचार नहीं था जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं. राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है.
(इनपुट - एजेंसी)