Hariyali Teej Vrat Katha: हरियाली तीज व्रत कथा जरूर सुनें सुहागिन महिलाएं, शिव-पार्वती के आशीर्वाद से मिलेगा अखंड सौभाग्य
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Hariyali Teej Vrat Katha: हरियाली तीज व्रत कथा जरूर सुनें सुहागिन महिलाएं, शिव-पार्वती के आशीर्वाद से मिलेगा अखंड सौभाग्य

Hariyali Teej Vrat Katha: सनातन धर्म में हरियाली तीज का सुहागिन महिलाओं के जीवन में खास महत्व है. इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना और कथा कहने या सुनन का खास महत्व है. अगर आप भी अपनी कामनाएं पूरी करना चाहते हैं, तो हरियाली तीज व्रत पर यह कथा जरूर पढ़ें.

Hariyali Teej 2024

Hariyali Teej Vrat Katha: सनातन धर्म में हरियाली तीज का सुहागिन महिलाओं के जीवन में खास महत्व है. इस त्योहार को बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है. ये त्योहार सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और अपनी सुहाग की रक्षा के लिए मंगल कामना करती हैं, मान्यता के अनुसार, इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत का पारण भी करती हैं. हरियाली तीज के दिन व्रत का पारण करने से माता पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद सदैव दांपत्य जोड़े पर बना रहता है, लेकिन इस व्रत का लाभ तभी मिलता है जब हरियाली तीज व्रत की कथा सुनी या पढ़ी जाए.

हरियाली तीज की मान्यताएं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि सावन के महीने में ही माता पार्वती जी ने भोले बाबा को अपने पति के स्वरूप में पाने के लिए कई कठोर तप किया था. जिसके बाद मां पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव प्रकट हुए और उनकी कामना को पूर्ण किया. एक दूसरी मान्यता ये भी है कि सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भोलेनाथ ने माता पार्वती को पुत्र रत्न के रूप में गणेश जी की उत्पत्ति का वरदान दिया था. 

कामदेव को भस्म करने से नाराज
दूसरी मान्यता ये है कि सती के शरीर त्यागने के बाद भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए थे, उनकी इस तपस्या को रति के पति कामदेव ने भंग कर दी. जिससे भोलेनाथ ने कामदेव को भस्म कर दिया. कामदेव को भस्म करने से माता पार्वती को रति ने  नि: संतान रहने का श्राप दे दिया. जिससे माता पार्वती नाराज हो गईं और वह स्वर्ण गौरी की पूजा में लीन हो गईं तो सभी देवी-देवता चिंतित हुए और उन्होंने भगवान शिव के पास जाकर आग्रह किया कि वह माता पार्वती के मन को शांत करने की कोशिश करें. ऐसे में सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान शिव ने माता पार्वती को प्रसन्न किया और इसी दिन उन्हें पुत्र रत्न के रूप में गणेश जी की उत्पत्ति का वरदान भी दिया. इस कथा को सुनकर महिलाएं भगवान से यही प्रार्थना करती हैं कि जैसा अखण्ड सौभाग्य माता पार्वती को मिला वैसा ही सौभाग्य हर सुहागिन को मिले. 

हरे रंग का खास महत्व
हरियाली तीज के दिन महिलाएं हरे वस्त्र, हरी-लाल चूड़ियां पहनकर 16 श्रृंगार करती हैं, पकवान बनाकर पूजन के बाद झूला झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं. विवाहित महिलाएं पहले सावन में अपने मायके चली जाती हैं, लेकिन जो नहीं जा पातीं वह अपने ससुराल में ही इसे मनाती हैं. इस व्रत को आमतौर पर विवाहित महिलाएं ही रखती हैं, लेकिन जिन लड़कियों की शादी होने वाली होती है वह भी अच्छा पति पाने की चाहत में इस व्रत को रखती हैं. सावन में चारों तरफ हरियाली होने की वजह से इस व्रत में हरे रंग को प्रमुखता दी जाती है. कहा जाता है कि सावन के दौरान सृष्टि में बदलाव की प्रक्रिया होती है, ये महीना महादेव और माता पार्वती को बेहद प्रिय है. इसलिए इस व्रत में हरे रंग को खास महत्व दिया जाता है. 

कैसे होती है पूजा?
हरियाली तीज के दिन विवाहित महिलाएं सवेरे उठकर सास के पैर छूती हैं और पूजन के बाद सास को सुहाग का सारा सामान देती हैं. विवाहित महिलाओं के मायके से ‘सिंधारा’ आता है जिसमें घेवर, फल और मिठाई और कपड़े होते हैं. इस दिन सोलह श्रृंगार के बाद महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती के साथ ही स्वर्ण गौरी का पूजन करती हैं और कथा सुनती हैं. पूजा के बाद पति के पैर छूकर वह व्रत तोड़ती हैं.  

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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