मौनी अमावस्या पर ही क्यों सबसे बड़ा कुंभ स्नान? सृष्टि के जन्म से जुड़ी पौराणिक कहानी, देवताओं के भी संगम में डुबकी लगाने की मान्यता
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मौनी अमावस्या पर ही क्यों सबसे बड़ा कुंभ स्नान? सृष्टि के जन्म से जुड़ी पौराणिक कहानी, देवताओं के भी संगम में डुबकी लगाने की मान्यता

Mahakumbh Mauni amawasya Snan: प्रयागराज में मौनी अमावस्या को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह है. आइए जानते हैं कि आखिर क्या वजह है कि मौनी अमावस्या को सबसे बड़ा स्नान होता है और इस दिन इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के स्नान करने का क्या महत्व है.

Mahakumbh 2025

Mauni amawasya Snan Importance: संगमनगरी प्रयागराज में महाकुंभ का नजारा देखने लायक बन रहा है. रोजाना लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. 29 जनवरी यानी कल बुधवार को मौनी अमावस्या पर दूसरा अमृत स्नान होगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस दिन 10 करोड़ के आसपास लोग स्नान कर सकते हैं. इस बड़े पर्व को लेकर सुरक्षा व्यवस्था के चाक-चौबंद इंतजाम किए जा रहे हैं. आखिर क्या वजह है कि मौनी अमावस्या को सबसे बड़ा स्नान होता है और इस दिन इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के स्नान करने का क्या महत्व है. आइए जानते हैं.

क्या है मौनी अमावस्या को लेकर मान्यता?
मौनी अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने की अमावस्या को कहते हैं.  मान्यता है कि इसी तिथि को ब्रह्माजी ने मनु को उत्पन्न कर सृष्टि बनने का काम शुरू किया था. इस दिन मौन रहकर तीर्थ स्थल पर स्नान, व्रत और दान करने से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है. साथ ही इस दिन पूजा और व्रत रखने से ग्रह दोष दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं. यह माघ महीने की अमावस्या 2025 की पहली अमावस्या होगी. इस बार मौनी अमावस्या को कई शुभ योग भी बन रहे हैं. इसमें बुधादित्य योग, सिद्ध योग बनेगा.

मौनी अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, मौनी अमावस्या की तिथि 28 जनवरी मंगलवार शाम 7 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी. 29 जनवरी बुधवार को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर इसका समापन होगा. ऐसे में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा. हालांकि मौनी स्नान की शुरुआत 28 जनवरी मंगलवार रात 8 बजे से ही शुरू हो जाएगी. हालांकि अखाड़ों का महास्नान 29 जनवरी बुधवार सुबह ही शुरू होगा.

महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर होगा अमृत स्नान
इस बार मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में अमृत स्नान होगा. यह ब्रह्म मुहूर्त से शुरू हो जाएगा. माना जा रहा है कि 29 जनवरी बुधवार को करीब 10 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर सकते हैं. एक दिन पहले ही संगम तट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम नजर आ रहा है. अमावस्या पर सुबह 5.25 से सुबह 6.28 तक ब्रह्म मुहूर्त है. इसके बाद दिन में दोपहर 2.22 बजे से 3.05 बजे तक विजय मुहूर्त और गोधूलि मुहूर्त 29 जनवरी की शाम 5 बजकर 15 मिनट से 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.

महाकुंभ प्रमुख स्नान
29 जनवरी को मौनी अमावस्या के बाद 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर शाही स्नान होगा. इसके बाद 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा है. मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से आध्यात्मिक लाभ मिलता है. इसके बाद 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर स्नान होगा.

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