Advocate Protest in UP: एडवोकेट अमेंडमेंट बिल के खिलाफ उत्तर प्रदेश में वकील विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वकीलों का दावा है कि प्रस्तावित 'एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025' उनकी स्वायत्तता और स्वाधीनता के लिए खतरा है. पढ़िए पूरी डिटेल
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Advocate Protest in Uttar Pradesh: पूरे उत्तर प्रदेश में इन दिनों एडवोकेट अमेंडमेंट बिल के खिलाफ वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया. आगरा, बलरामपुर समेत कई जिलों में वकीलों ने अपना विरोध दर्ज कराया. दरअसल, केंद्र सरकार ने 2025 में एडवोकेट अमेंडमेंट बिल लाया था. जिसकी वजह से वकीलों में नाराजगी है. अधिवक्ताओं ने संशोधन को अधिवक्ता हितों के खिलाफ बताया और विरोध दर्ज कराया. वकीलों का दावा है कि प्रस्तावित 'एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025' उनकी स्वायत्तता और स्वाधीनता के लिए खतरा है.
प्रदेश के अधिवक्ता 25 को न्यायिक कार्य से रहेंगे विरत
एडवोकेट एक्ट में प्रस्तावित संशोधन को लेकर प्रदेश के वकीलों में गहरा आक्रोश है. काउंसिल उत्तर प्रदेश के आवाहन पर 21 फरवरी को प्रदेश के अधिवक्ता काली पार्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे और 25 फरवरी को न्यायिक कार्य से अलग रहेंगे.
क्या है ये एडवोकेट अमेंडमेंट बिल?
एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 का मसौदा कानून मंत्रालय ने जारी किया है. इसमें एडवोकेट एक्ट-1961 में कई संशोधन प्रस्तावित हैं. मसौदे पर लोगों की राय मांगी गई है. कहा गया है कि इन संशोधनों का मकसद कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा को वैश्विक स्तर का बनाना है. कानूनी शिक्षा में सुधार, वकीलों को तेजी से बदलती दुनिया की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार करना और पेशेवर मानकों को बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा. वकीलों का कहना है कि हमें तब तक प्रोटेस्ट करना होगा, जब तक इसे वापस नहीं लिया जाता है.
क्या है वकीलों का दावा?
इस संशोधित बिल में ऐसा प्रावधान है कि इसमें कोई वादी अपने वकील की शिकायत बार काउंसिल से कर सकता है, जो उस वकील पर 3 लाख तक का दंड लगा सकती है. ऐसे ही प्रस्तावित बिल में ऐसे और भी कई प्रावधान हैं, जिसे वकील अपने लिए घातक बता रहे हैं. वकील नेताओं का दावा है कि इस मुद्दे पर उन्होंने बीसीआई के पदाधिकारियों से बात की, जिन्होंने उनकी शिकायत का समर्थन किया है. दावा है कि बिल में जो संशोधन लाए जा रहे हैं, वे वकील समुदाय के हित में नहीं हैं.
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