कौन हैं सुल्तानपुर के कवि वीरेंद्र वत्स, जिनकी शायरी से सीएम योगी ने अखिलेश को घेरा, विधानसभा में गूंजा ठहाका
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कौन हैं सुल्तानपुर के कवि वीरेंद्र वत्स, जिनकी शायरी से सीएम योगी ने अखिलेश को घेरा, विधानसभा में गूंजा ठहाका

UP News: सीएम योगी ने बुधवार को यूपी विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कविताओं और शायरी से अखिलेश समेत विपक्ष पर जमकर कटाक्ष किये. सीएम योगी की जुबान से बोली गई ये खास कविता साहित्यकार वीरेंद्र सिंह द्वारा लिखी गई है. आइये आपको विस्तार से बताते हैं कौन हैं वीरेंद्र सिंह वत्स. 

कौन हैं सुल्तानपुर के कवि वीरेंद्र वत्स, जिनकी शायरी से सीएम योगी ने अखिलेश को घेरा, विधानसभा में गूंजा ठहाका

"लगाके आग बहारों की बात करते हैं,

जिन्होंने रात में चुन-चुनकर बस्तियों को लूटा, 
वही नसीबों के मारों की बात करते हैं."

उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब विपक्ष पर कटाक्ष करने के लिए एक विशेष कविता की पंक्तियों का इस्तेमाल किया, तो यह चर्चा का विषय बन गई. हर ओर इस कविता और इसे लिखने वाले साहित्यकार वीरेंद्र वत्स के बारे में बात होने लगी. वीरेंद्र वत्स न केवल एक प्रख्यात कवि और साहित्यकार हैं, बल्कि एक वरिष्ठ पत्रकार और उत्तर प्रदेश के नव-नियुक्त राज्य सूचना आयुक्त भी हैं. सीएम योगी की जुबान से उनकी कविता की पक्तियां सुन उनके गृह जनपद में एक बार फिर खुशी की लहर दौड़ गई है. इससे पहले जब वीरेंद्र वत्स को राज्या सूचना आयुक्त बनाया गया था, तब भी खूब जश्न मनाया गया था.

पत्रकारिता और साहित्य में गहरी रुचि
वीरेंद्र सिंह वत्स का झुकाव छात्र जीवन से ही पत्रकारिता और साहित्य की ओर रहा है. अपनी लेखनी के माध्यम से उन्होंने प्रदेश और देश में अलग पहचान बनाई है. उनकी चर्चित रचनाएं "अयोध्या सियाराम की देती समता का संदेश" और "विश्वनाथ से मिलकर पुलकित गंगा की अविरल धारा"  जैसी कविताएं साहित्य प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. उनके राज्य सूचना आयुक्त बनने की खबर से उनके गृह जनपद सुल्तानपुर के कादीपुर तहसील क्षेत्र के गोपालपुर, सराय ख्वाजा बिजेथुआ गांव में खुशी का माहौल है.

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित
वीरेंद्र वत्स को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं. उनकी शिक्षा कादीपुर क्षेत्र के हनुमत इंटर कॉलेज से हुई और स्नातक की पढ़ाई जौनपुर से पूरी करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से साहित्य में परास्नातक (MA) की डिग्री प्राप्त की. पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी यात्रा समाचार पत्र 'हिंदुस्तान' में सह-संपादक के रूप में रही, जहां से वह 2021 में सेवानिवृत्त हुए.

उनकी साहित्यिक और पत्रकारिता की उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें नॉर्वे में अंतर्राष्ट्रीय महात्मा गांधी सम्मान, मुंबई में अटल बिहारी वाजपेयी सम्मान और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संस्कृत सम्मान से नवाजा गया है.

गणतंत्र दिवस परेड में बजते हैं उनके गीत
उत्तर प्रदेश सरकार के कई महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वीरेंद्र वत्स के लिखे गीत शामिल होते रहे हैं. गणतंत्र दिवस परेड में उनके लिखे गीतों को लगातार दो साल प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है. उनके चर्चित गीत "विश्वनाथ से मिलकर पुलकित गंगा की अविरल धारा" और "कला और संस्कृति की धरती, धन्य धन्य उत्तर प्रदेश" को विशेष सम्मान मिला है.

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