वाराणसी में 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक काशी-तमिल समागन होने जा रहा है. इस दौरान दो संस्कृतियों का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा.
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जयपाल/वाराणसी: वाराणसी में 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक काशी-तमिल समागन होने जा रहा है. केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल तथा उद्यमिता विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने वाराणसी में मीडिया से बातचीत में काशी तमिल समागम के बारे में बताया कि तमिलनाडु के तीन जगह से 12 समूह में लोगों को काशी लाने का कार्यक्रम है. कार्यक्रम में 12 समूह में विभिन्न क्षेत्रों से लोग शामिल होंगे. हर समूह में 200 प्रतिनिधि शिरकत करेंगे. दो-दो दिन के अन्तराल पर उन्हें काशी लाया जाएगा. सभी प्रतिनिधि काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन व गंगा आरती में भी शामिल होंगे. तमिलनाडु की विभिन्न सांस्कृतिक टोली काशी में सांस्कृतिक प्रस्तुति भी देंगे. इस दौरान दक्षिण भारत के व्यंजन की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी.
काशी और प्रयागराज भी देखेंगे
ये समूह काशी से प्रयागराज और अयोध्या भी जाएंगे. वह काशी, प्रयागराज आयोध्या की विभन्न धरोहर का दर्शन करेंगे. कार्यक्रम का आयोजन बीएचयू और मद्रास आईआईटी द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा काशी एक नये रूप में आ चुकी है. तमिलनाडु का कोई ऐसा गांव नही है जो काशी से जुड़ा न हो.
मूल्य व सांस्कृतिक विरासत का आदान-प्रदान
धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक एक महीने तक चलने वाले काशी तमिल संगमम में भारतीय संस्कृति और विरासत विद्वानों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान के सत्र आयोजित किए जाएंगे. इसमें दोनों के बीच संबंधों और साझा मूल्यों को आगे लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इसका व्यापक उद्देश्य ज्ञान और संस्कृति की इन दो परंपराओं को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की एक समझ निर्मित करना और इन क्षेत्रों लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत करना है.
इन विषयों पर होगा मंथन
साहित्य
प्राचीन ग्रंथों
दार्शनिक चिंतन
आध्यात्मिकता
संगीत
नृत्य
नाटक
योग
आयुर्वेद
हथकरघा
हस्तशिल्प
आधुनिक नवाचार
व्यापारिक आदान-प्रदान
एजुटेक
इन सभी विषयों पर विचार- गोष्ठी, चर्चा, व्याख्यान, कार्यशाला आदि आयोजित किए जाएंगे, जिसके लिए संबंधित विषयों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा.