सोसायटी में कुत्तों के काटने को लेकर हंगामा,क्या कुछ नस्ल के कुत्ते होते हैं खूंखार, जानें पेट डॉग्स से जुड़ी गाइडलाइन
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सोसायटी में कुत्तों के काटने को लेकर हंगामा,क्या कुछ नस्ल के कुत्ते होते हैं खूंखार, जानें पेट डॉग्स से जुड़ी गाइडलाइन

Dogs Attack : कुत्तों के काटने की घटनाएं इन दिनों नोएडा, गाजियाबाद जैसे शहरों में वायरल हो रही हैं. इन वाकयों के बाद सोसायटी में पेट डॉग्स को रखने और उन्हें लिफ्ट न घुसने देने जैसी मांगें हो रही हैं.

सोसायटी में कुत्तों के काटने को लेकर हंगामा,क्या कुछ नस्ल के कुत्ते होते हैं खूंखार, जानें पेट डॉग्स से जुड़ी गाइडलाइन

नोएडा-गाजियाबाद (Noida Ghaziabad) में पालतू कुत्तों (Pet Dogs) द्वारा लोगों को काटने के वायरल वीडियो (Viral Video) के बाद एक बार फिर बहस छिड़ गई है. एक धड़ा है, जो कुत्ते या अन्य पालतू जानवरों के सोसायटी अन्य रिहायशी जगहों पर रखने के पूरी तरह विरोध में है, वहीं दूसरे धड़े का मानना है कि पशु भी हमारी तरह ही हैं. कुत्ते अगर किसी को काटते हैं, तो ऐसे घटनाओं को सामान्य तरीके से ही लिया जाना चाहिए. हालांकि कुत्ता या अन्य जानवरों को पालने के क्या नियम कायदे हैं, इस पर हमने पीपुल्स फॉर एनीमल की ट्रस्टी अंबिका शुक्ला से बात की.

कुत्ता काटना एक सामान्य घटना
उन्होंने कहा कुत्ते अगर किसी को काटते हैं तो ऐसी घटनाओं को इतना उछाले जाने की जरूरत नहीं है.ये एक्सीडेंट होता है और उसे इसी नजरिये से देखा जाना चाहिए.इसमें किसी का दोष निकालना और बलि का बकरा बनाना, वायरल करना गलत बात है.

कुत्तों में मेंटल या साइकोलॉजिकल प्राब्लम का मतलब नहीं
कुत्तों में मेंटल या साइकोलॉजिकल जैसी समस्या का मतलब नहीं है.कुत्ता डरता है,जैसे इंसान डरता है.भौंकना उसकी आदत है, जैसे अन्य जानवर करते हैं. कुत्ते को कोई डंडा दिखाता है, मारता है तो वो प्रतिक्रिया देता है. जो हम डर में करते हैं तो वो गलत होता है. 

कुत्तों के लिए डेडिकेटेड हास्पिटल
कुत्ते या अन्य पशुओं के लिए भी नोएडा-गाजियाबाद जैसे शहरों में डेडिकेटेड हास्पिटल (Animal Hospital) होने चाहिए. नगर निगम को ऐसी सुविधाएं विकसित करनी चाहिए. जब भी सड़क पर कुत्ता या अन्य पशु घायल होता है तो कोई भी चीख-पुकार नहीं मचाता. ज्यादातर केस में उसे उसके हाल में जीने-मरने को छोड़ दिया जाता है.पेट डॉग जब किसी गाड़ी के नीचे आ जाता है तो वो न्यूज नहीं बनता. जब कोई कुत्ते को पीट-पीटकर मार डालता है तो कोई वायरल नहीं बनता.लिहाजा हम सभी को संयम और धैर्य रखना चाहिए.

वैक्सीनेशन (PET Vaccination) भी अनिवार्य 
ग्रेटर नोएडा प्रशासन ने इस दिशा में पहल की है. कुत्ते का रजिस्ट्रेशन कराने वालों के लिए फ्री वैक्सीनेशन की सुविधा उसने मुहैया कराई है. ऐसा सभी बड़े शहरों में किया जाए तो बेहतर है.गाजियाबाद प्रशासन ने भी स्ट्रे डॉग्स को लेकर अच्छी पहल की है. दूसरी म्यूनिसिपैलिटी को भी ऐसा करना चाहिए.हमें भी देसी कुत्तों को अपनाएं, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है. 

पेट डॉग्स का रजिस्ट्रेशन कराएं
शुक्ला ने कहा, गाजियाबाद में पेट डॉग्स के लिए 200 रुपये का रजिस्ट्रेशन (Pet Dog Registration) प्रारंभ किया है. वहीं देसी कुत्तों को पालने वालों को फ्री में रजिस्ट्रेशन प्रारंभ किया है. ग्रेटर नोएडा में भी एनीमल हॉस्पिटल की पहल भी हुई है.

रजिस्ट्रेशन पर ध्यान नहीं
शहरों में 10 फीसदी कुत्तों का भी रजिस्ट्रेशन नहीं
12 हजार से ज्यादा घटनाएं देश में कुत्ता काटने की

इन नियमों का रखें ध्यान...
पेट डॉग्स का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 5 हजार का जुर्माना
पालतू कुत्ते का वैक्सीनेशन कराया जाना है अनिवार्य
पेट डॉग के लिए कई जगहों पर मासिक शुल्क का नियम
कुत्ते को घर से बाहर घुमाते वक्त मुंह में मजल जरूरी
कुत्ता घर में तेज आवाज में न भौंके, इसके लिए अलग बंदोबस्त जरूरी
कुत्ते या अन्य पशुओं को कोई गंभीर बीमारी है तो नगर निगम औऱ स्वास्थ्य एजेंसियों को सूचना दें
कुत्ते को अच्छे आरामदायक पट्टे में बांध कर रखें. उसकी गंदगी सफाई का ख्याल रखना जरूरी है.

RWA बैन नहीं कर सकता
रेजीडेंट वेलफेयर सोसायटी या अन्य रिहायशी संगठन अपने यहां पालतू पशुओं को पालने का बैन नहीं लगा सकते
पेट डॉग्स की संख्या सीमित करने जैसे नियम भी आरडब्ल्यूए लागू नहीं कर सकता
लिफ्ट या पार्क में पेट डॉग्स को लाने पर रोक नहीं लगा सकती

Pet Dog Circular 26-2-2015 by Amrish Trivedi on Scribd

सारे संगठन एक मंच पर आएं
पालतू जानवरों के लिए सभी एक मंच पर आएं सोसायटी आरडब्लूए, नागरिक संगठन, पशु अधिकार संगठन, नगरपालिका, प्रशासन को जिले में ऐसे बोर्ड गठित करने चाहिए. ये समय-समय पर पशु कल्याण और उनसे जुड़ी समस्याओं को लेकर दिशानिर्देश जारी करें. ये नियम सभी जगहों पर लागू कराया जाए.  School Course का हिस्सा हो तमिलनाडु हाईकोर्ट का निर्देश है कि एनीमल वेलफेयर को स्कूली पाठ्यक्रम का भी हिस्सा बनाया जाए. इससे बच्चे भी सीखेंगे कि जानवरों के साथ कैसे पेश आया जाए. क्या सावधानियां बरती जाएं औऱ कैसे किसी अनहोनी को लेकर प्रतिक्रिया दी जाए.  

 

 

 

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