Ramayana Conclave : रामचरित मानस विवाद के बीच झांसी में रामायण सम्मेलन, बुंदेली में बताया जा रहा ताड़ने का मतलब
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Ramayana Conclave : रामचरित मानस विवाद के बीच झांसी में रामायण सम्मेलन, बुंदेली में बताया जा रहा ताड़ने का मतलब

रामचरित मानस को जरिया बनाकर भले ही कुछ नेता अपनी सियासी दुकान चमकाने की फिराक में लगे रहते हों, लेकिन इस बीच झांसी से एक अच्छी खबर आई है. यहां स्थानीय कलाकार लोगों को उनकी बोली और भाषा में रामायण की एक-एक चौपाई का सही मतलब बता रहे हैं.

Ramayana Conclave : रामचरित मानस विवाद के बीच झांसी में रामायण सम्मेलन, बुंदेली में बताया जा रहा ताड़ने का मतलब

झांसी : यूपी की सियासत में पिछले काफी समय से रामचरित मानस को लेकर उबाल देखने को मिल रहा है. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामायण की कुछ चौपाईयों को लेकर न सिर्फ विवादित बयानबाजी की बल्कि रामायण पर प्रतिबंध की मांग की. बीजेपी समेत कई दलों और संत समाज ने इसका खुलकर विरोध किया.हालांकि सपा की ओर से शिवपाल यादव ने इसे स्वामी प्रसाद मौर्य की निजी राय बताया था. इस बीच झांसी में लोक कलाकार लोगों को रामायण का सही मतलब उनकी बोली में बता रहे हैं. दरअसल यहां रामायण कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है. दो दिन तक चलने वाला यह आयोजन राजकीय संग्रहालय में चल रहा है. गुरुवार को कॉन्क्लेव के पहले दिन कई तरह के कार्यक्रम आयोजित हुए.

श्रीराम पर आधारित कथक नृत्य नाटिका, उनके चरित्र का चित्रण करती हुई बुंदेली राई और चिरगांव की प्रसिद्ध रामलीला पेश की गई. इसके साथ ही कई अन्य कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए. राई नृत्य में पदम सम्मान से सम्मानित वयोवृद्ध राई कलाकार राम सहाय पांडे ने अपने कार्यक्रम की प्रस्तुति दी. इस रामायण कॉन्क्लेव की खास बात यह है कि रामायण की चौपाईयों का अर्थ लोगों को उन्हीं की भाषा में बताया जाता है. यही नहीं लोगों को उस समय कोई बात किस परिस्थिति में लिखी और कही गई यह भी बताया जा रहा है. 

सीएम ने बुंदेली का किया था उल्लेख
हालही में विधानसभा में रामचरित मानस विवाद पर सीएम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बुंदेली भाषा का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि बुंदेली में ताड़ने का अर्थ देखना होता है. दरअसल काफी समय से रामचरित मानस पर हो रही राजनीति में कुछ नेताओं द्वारा ताड़ना शब्द को मुद्दा जातियों के अपमान का कथित मुद्दा बनाया जाता रहा है.

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कॉन्क्लेव के संयोजक अतुल द्विवेदी के मुताबिक संस्कृति विभाग, पर्यटन विभाग और अयोध्या शोध संस्थान ने संयुक्त रूप से यह आयोजन किया है. ऐसे आयोजन का उद्देशय स्थानीय रचनाकारों और कलाकारों के जरिए रामचरित मानस के सही उद्देश्य को लोगों के सामने लाना है. बुंदेली लोक जीवन में राम के महत्व पर स्थानीय कलाकारों और विद्वानों ने विमर्श किया. खास बात यह है कि कार्यक्रमों में भी स्थानीय कलाकारों को प्रमुखता से अवसर दिया गया. रामायण कॉन्क्लेव के पहले दिन पद्मश्री रामसहाय पांडे के बुंदेली राई नृत्य ने सबका मन मोह लिया. वहीं चिरगांव की रामलीला कलाकारों ने धनुष यज्ञ का प्रसंग प्रस्तुत किया. बुंदेली में राम चरित मानस के प्रसंग देखना और सुनना स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है.

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