Pallavi Patel Petition in High Court: सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से नोटिस के क्षेत्राधिकार को लेकर सवाल उठाया. सपा विधायक पल्लवी पटेल पर 2022 विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज़ आपराधिक मुक़दमे की जानकारी छिपाने का आरोप है.
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मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से निर्वाचित सपा विधायक पल्लवी पटेल को निर्वाचन आयोग से नोटिस मिली थी, जिसके खिलाफ उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दर्ज की थी. कोर्ट ने इसपर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस विक्रम डी चौहान की डिविजन बेंच ने गुरुवार को पल्लवी पटेल के अधिवक्ता सरोज यादव और अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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आपराधिक मामले छुपाने का आरोप
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से नोटिस के क्षेत्राधिकार को लेकर सवाल उठाया. सपा विधायक पल्लवी पटेल पर 2022 विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज़ आपराधिक मुक़दमे की जानकारी छिपाने का आरोप है. सिराथू के दिलीप पटेल की इसी शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने मामले में संज्ञान लिया. उसके बाद एसडीएम सिराथू ने पल्लवी पटेल को बीती 18 और 25 मई को बाद 3 जून को नोटिस देकर सफाई मांगी. याचिका में इसी नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है.
संपत्तियां हड़पने के कई केज दर्ज
शिकायतकर्ता दिलीप पटेल ने पल्लवी पटेल पर आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की जानकारी छिपाई और क्षेत्र के मतदाताओं को गुमराह कर अपने पक्ष में वोट हासिल किए. शिकायत में कहा गया है कि पल्लवी पटेल और उनके पति के खिलाफ लखनऊ में फर्जी दस्तावेजों के जरिए फ्लैट हड़पने का मुकदमा गोमतीनगर थाने में दर्ज है. इसके अलावा, कानपुर में भी पैतृक मकान हड़पने का मुकदमा वहां की अदालत में चल रहा है. बीते विधानसभा चुनाव में अपने नामांकन फॉर्म में उन्होंने ये सारी जानकारी छिपाई हैं.
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दो दलों का कर रहीं प्रतिनिधित्व
पल्लवी पर यह भी आरोप लगा है कि उन्होंने अपनी मां को राज्यसभा का सांसद बनाने का प्रलोभन देकर पारिवारिक संपत्ति हड़पने का प्रयास किया और चुनाव के दौरान चंदे में मिली रकम अपने ससुराल जबलपुर भेज दी. इसी प्रकार उन्होंने अपना दल (क) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होते हुए समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुईं. अब मौजूदा समय में वह दो दलों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जो निर्वाचन आयोग के नियमों के विपरीत है.
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