वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 :दूध उत्पादन में नंबर वन भारत निर्यात में भी बनेगा अव्वल, किसानों को मुहिम से जोड़ रहे स्टार्टअप
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वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 :दूध उत्पादन में नंबर वन भारत निर्यात में भी बनेगा अव्वल, किसानों को मुहिम से जोड़ रहे स्टार्टअप

World Dairy Summit In Greater Noida : यूपी के ग्रेटर नोएडा में वर्ल्ड डेयरी समिट का आयोजन किया जा रहा है. इसमें भारत का डेयरी उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए महामंथन चल रहा है. 

World Dairy Summit 2022

भारत में दूध कैल्शियम का बड़ा स्रोत है औऱ पोषण में इसका बड़ा योगदान है.भारत में 10 करोड़ से ज्यादा डेयरी किसान और सबसे ज्यादा मवेशी भी हैं. भारत 24 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूध उत्पादन में दुनिया में नंबर वन है, लेकिन फिर भी उसका निर्यात छोटे-छोटे देशों के मुकाबले भी काफी कम है.प्रति मवेशी दूध उत्पादन के अनुपात की बात करें तो हम इजराइल, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका समेत मिल्क प्रोडक्शन वाले देशों से पीछे हैं. 48 साल बाद भारत में हो रही वर्ल्ड डेयरी समिट में भारतीय कंपनियां,कृषि और पशुपालन से जुड़े स्टार्टअप, सहकारी संघ और किसान इसी बात को लेकर मंथन कर रहे हैं कि कैसे भारत को निर्यात में भी अव्वल देशों की फेहरिस्त में लाकर खड़ा किया जाए. छोटे किसानों की दूध उत्पादन में लागत करने के लिए ही मूफार्म,देहात, बीजक, निंजाकार्ट, एग्रोस्टार जैसे स्टार्टअप काम कर रहे हैं.  

आठ साल में 44 फीसदी बढ़ा दुग्ध उत्पादन
डेयरी समिट में ऐसे ही समाधान पेश कर रहे स्टार्टअप मूफार्म (Mooofarm) के सह संस्थापक अभिजीत मित्तल से हमने इससे जुड़े तमाम मुद्दों पर बात की. 
मित्तल ने कहा, भारत में आठ साल में दुग्ध उत्पादन 44 फीसदी बढ़ा है. वैश्विक दुग्ध उत्पादन में उसक करीब एक चौथाई हिस्सेदारी है. समिट में अमूल, मदर डेयरी, सहकारी संघ और अन्य संबंधित पक्ष मिलकर नए टेक्नोलॉजी और तौरतरीकों पर चर्चा कर रहे हैं, ताकि लागत घटे और उत्पादन बढ़े.इसमें डेयरी सेक्टर से संबंधित सभी पक्ष चर्चा कर रहे हैं कि कैसे नस्लों को सुधारा जाए. मवेशी पालन में किसानों की कैसे मदद की जाए, कैसे चारा संकट से निपटा जाए औऱ गुणवत्तापूर्ण दूध आम जनता तक पहुंचाया जा सके. 

मवेशियों के अनुपात में दूध उत्पादन कम
निर्यात में भारत के पीछे होने के सवाल पर मित्तल ने कहा, हम जितना उत्पादन कर रहे हैं, उतना ही उपभोग भी कर रहे हैं, लिहाजा निर्यात की गुंजाइश काफी कम बचत है. दूध उत्पादन में सबसे बड़े सुधार की संभावना ये है कि भारत में प्रति मवेशी दूध उत्पादन 2.5 लीटर है, जबकि इजरायल, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों में यह अनुपात 14 से 20 लीटर प्रति जानवर है. जबकि दुधारू गाय-भैंसों की बात करें तो यह तादाद भारत में सबसे ज्यादा है. अगर हम प्रति मवेशी दुग्ध उत्पादन बढ़ा पाएं तो निर्यात की स्थिति में भी आ सकते हैं. 

छोटे किसानों को सप्लाई चेन से जोड़ा जाए
बड़ी-बड़ी कंपनियों के डेयरी फार्म खोल मशीनों और अन्य यांत्रिकी के जरिये बड़े पैमाने पर दूध उत्पादन कर रही हैं.इससे किसानों या पशुपालकों के हाथों से दुग्ध उत्पादन और उससे जुड़ा रोजगार छिनने की आशंका पर उन्होंने कहा, जरूरत है कि छोटे किसानों को डेयरी सेक्टर की सप्लाई चेन से जोड़े रखने की है.लेकिन बड़ी डेयरी कंपनियों की बजाय किसान का असली संकट है कि उसकी दूध उत्पादन से कमाई लागत से काफी कम हो रही है. चारा महंगा है, इलाज भी मुश्किल है.उसे 100 रुपये मिल रहे हैं तो खर्च 120 रुपये आ रहा है. इसलिए छोटा किसान डेयरी सेक्टर छोड़कर दूसरे रास्तों पर जा रहा है. 

किसानों को अच्छी नस्ल का फायदा समझा रहे
सस्ते के चक्कर में किसान किसी भी नस्ल की गाय-भैंस खरीद लेता है. हमारी कोशिश है कि किसान कम से कम 8-10 लीटर दूध देने वाला मवेशी खरीदे. चाहे फिर उसे 5-10 हजार रुपये ज्यादा खर्च करना पड़े. किसान अगर मवेशी को ज्यादा या कम चारा दे रहा है या गुणवत्ता वाला चारा नहीं दे रहा है, वो भी दूध उत्पादन पर असर डालता है. लिहाजा हम उन्हें ट्रेनिंग देते हैं कि मवेशियों को कैसा चारा दें और कितनी मात्रा में दें. ताकि सही फैट (वसा) का दूध वो बाजार में बेच सके. 

लंपी वायरस के कहर के बीच इलाज पर ध्यान
अगर पशुपालक इन चीजों को अपनाते हैं तो मौसम के आधार पर मवेशियों का खास ख्याल रखते हैं तो उन्हें बीमारियों से भी बचाया जा सकता है. इसके लिए हम डॉक्टरों द्वारा फ्री सलाह भी किसानों को मुहैया करा रहे हैं. लंपी वायरस (Lumpi Virus ) के बढ़ते प्रकोप के बीच हम किसानों को जरूरी सावधानियां की ऑनलाइन और ऑफलाइन सलाह भी हम दे रहे हैं. 

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