Chickens Given Alcohol : मुर्गियां पड़ीं बीमार तो किसान ने पिलाई देशी शराब; जानें फिर क्या हुआ हाल?
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Chickens Given Alcohol : मुर्गियां पड़ीं बीमार तो किसान ने पिलाई देशी शराब; जानें फिर क्या हुआ हाल?

Chickens Given Alcohol : महाराष्ट्र के एक किसान ने अपनी बीमार मुर्गियों को बचाने के लिए देशी शराब का इस्तेमाल किया. अब दावा किया जा रहा है, कि दारू पीने के बाद उनकी मुर्गियां पूरी तरह स्वस्थ हो गईं और अब किसी भी बीमारी से दूर हैं.

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Chickens Given Alcohol : क्या आप सोच सकते हैं, कि शराब मुर्गियों की जान भी बचा सकती है? सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मोहल तालुका के वालुज गांव में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. किसान राजेंद्र काडे ने अपनी मुर्गियों को एक गंभीर बीमारी से बचाने के लिए देशी शराब का इस्तेमाल किया. उनका कहना है कि इस अनोखे उपाय से उनकी मुर्गियां पूरी तरह स्वस्थ हो गईं और अब तक किसी भी बीमारी से दूर हैं.

खेती के साथ करते हैं मुर्गीपालन 

राजेंद्र काडे खेती के साथ मुर्गीपालन भी करते हैं, ने शुरुआत में कावेरी नस्ल की 100 मुर्गियां खरीदीं. लेकिन कुछ ही समय बाद, उनकी मुर्गियों में 'मार' नामक बीमारी फैल गई, जिससे 20 मुर्गियों की मौत हो गई. यह स्थिति उन्हें बेहद परेशान कर गई. तब गांव के एक बुजुर्ग ने उन्हें सलाह दी कि मुर्गियों को देशी शराब पिलाई जाए. शुरुआत में काडे को यह उपाय अजीब लगा, लेकिन उन्होंने इसे आजमाने का फैसला किया और परिणाम उनके पक्ष में रहा.

पानी में मिलाकर पिला दी दारू

राजेंद्र काडे ने गांव की शराब की दुकान से 'टैंगो पंच' नामक देशी शराब खरीदी और इसकी 4-5 बूंदें पानी में मिलाकर अपनी मुर्गियों को पिलाना शुरू किया. कुछ ही दिनों में उनकी बीमार मुर्गियां पूरी तरह स्वस्थ हो गईं, जिसे देखकर काडे खुद भी हैरान रह गए. 

इसके बाद उन्होंने इस उपाय को अपनी मुर्गियों के लिए नियमित कर दिया. उनका कहना है कि यह उपाय न केवल सस्ता है बल्कि बेहद असरदार भी है, और अब उनकी मुर्गियां किसी भी बीमारी से दूर हैं.

बुजुर्ग की सलाह पर किया ये काम

काडे का दावा है, "शुरुआत में मेरी मुर्गियां पित्ताशय की बीमारी से मर रही थीं. गांव के बुजुर्ग की सलाह पर मैंने शराब की बूंदें पानी में मिलाकर पिलाई और इसके बाद से कोई समस्या नहीं हुई. यह तरीका बहुत कारगर साबित हुआ." 

कारनामा बना चर्चा का विषय

अब उनका यह अनोखा प्रयोग चर्चा का विषय बन गया है, जो दिखाता है कि कभी-कभी परंपरागत और अनोखे उपाय भी मददगार हो सकते हैं. हालांकि, यह केवल एक किसान का अनुभव है, और इसे वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता है.

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