Mughal Era: जहांगीर के लिए नूरजहां ना सिर्फ एक प्रेमिका और पटरानी के रूप में थीं बल्कि एक राजनीतिक मार्गदर्शक और सलाहकार के रूप में भी महत्वपूर्ण थीं. वे सामरिक और राजनीतिक मामलों में महत्वपूर्ण योगदान देती रहीं. नूरजहां ने ने जहांगीरपुर नगर स्थित बाग को अपने पति की याद में बनाया था जो आज भी दिल्ली में मौजूद है.
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Queen Nur Jahan And Jahangir: भारत में मुगल इतिहास के बारे में लोग तमाम चीजें पढ़ते हैं. मुगल बादशाहों से लेकर रानियों तक की कहानियां इन दिनों लोग खूब पढ़ रहे हैं. इसी कड़ी में आइए नूर जहां और जहांगीर की लव स्टोरी के बारे में जानते हैं. एक नौकरानी बनकर आई महिला जिसके पति को मुगल शासक जहांगीर ने ही मार दिया था, वह मुगल इतिहास की सबसे ताकतवर पटरानी कैसे बन जाती है.
ईरान-कंधार से होते हुए भारत!
दरअसल, नूर जहां के पिता का नाम मिर्जा गियास बेग और माता अस्मत बेगम थीं. उनके बचपन का नाम मेहरुन्निसा था और वे एक फारसी परिवार में पैदा हुई थीं. उनका परिवार ईरान से कंधार पहुंचा था. फिर नूर जहां के माता-पिता भारत पहुंच गए. नूरजहां के पिता मुगल दरबार में नौकरी करते थे. इसके बाद वे दीवान बने और बाद में जहांगीर ने नूर जहां के पिता को एतमाद-उद-दौला की पदवी से सम्मानित किया था.
नूरजहां को देखते ही फिदा
इसी दरम्यान शहजादा सलीम यानि कि जहांगीर नूरजहां को देखते ही उस पर फिदा हो गया था लेकिन जब इसका पता अकबर को चला तो अकबर ने मेहरून्निसा यानी कि नूर जहां की शादी 1594 में अलीकुली खां उर्फ शेर अफगान नाम के ईरानी प्रवासी से कर दी. अलीकुली खां बादशाह के दरबार का सदस्य था. कहां जाता है कि जहांगीर अपने मन में काफी पहले से ही नूरजहां के लिए सपने पाल रखे थे और जब वह बादशाह बना तो उसको एक बार फिर से नूरजहां की याद आई.
शेर अफगान को मरवाया?
यह भी कहा जाता है कि बादशाह बनते ही उसने नूरजहां के पति शेर अफगान को धोखे से मरवा दिया था. शेर अफगान की मौत के बाद जहांगीर ने नूर जहां से निकाह किया और वे उसकी पटरानी बनीं. आगे चल कर नूर जहां मुगल साम्राज्य के इतिहास की सबसे ताकतवर महिला के रूप में उभरीं. कहा जाता है कि जहांगीर ने नूरजहां के लिए शेर अफगान को मरवाया था. जहांगीर ने ही मेहरून्निसा को नूरजहां की उपाधि दी थी.
कैसे ताकतवर बनीं नूरजहां
इसके बाद धीरे-धीरे जहांगीर स्वास्थ्य खराब हुआ और उसने राजपाट पर ध्यान देना बंद कर दिया था. उसने नूरजहां को महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अधिकार सौंप दिया. फिर मुगल साम्राज्य के आदेशों में नूरजहां के हस्ताक्षर दिखाई देने लगे और उनका प्रभाव तेजी से बढ़ रहा था. 1617 में चांदी के सिक्के जारी किए गए, जिनमें नूरजहां और जहांगीर के नाम लिखे हुए थे. उस समय सिक्कों पर महिलाओं के नाम का होना अपने आप में एक उपलब्धि थी.
कई इतिहासकारों का मत है कि नूरजहां ने जिस तरह अकेले अपने दम पर कुछ समय तक मुगल साम्राज्य के सल्तनत की देखरेख की और अकेले निर्णय लिए, ऐसे में वे मुगलिया इतिहास की सबसे ताकतवर रानी हैं. इतना ही नहीं जब जहांगीर को बंदी बना लिया गया था, तब भी उन्होंने बादशाह को बचाने के लिए सेना की कमान अपने हाथ में ले ली थी.