रेस्टोरेंट ने सांभर के बिना कस्टमर को दिया मसाला डोसा, भरना पड़ गया इतने का जुर्माना
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रेस्टोरेंट ने सांभर के बिना कस्टमर को दिया मसाला डोसा, भरना पड़ गया इतने का जुर्माना

Dosa Without Sambhar: एक रेस्टोरेंट हाल ही में एक पॉपुलर साउथ इंडियन डिश डोसा (South Indian Dosa) के साथ सांभर परोसने में विफलता को लेकर विवाद में फंस गया है.

 

रेस्टोरेंट ने सांभर के बिना कस्टमर को दिया मसाला डोसा, भरना पड़ गया इतने का जुर्माना

Masala Dosa Without Sambhar: बिहार के बक्सर शहर में एक रेस्टोरेंट हाल ही में एक पॉपुलर साउथ इंडियन डिश डोसा (South Indian Dosa) के साथ सांभर परोसने में विफलता को लेकर विवाद में फंस गया है. इस घटना के परिणामस्वरूप नमक नाम के रेस्टोरेंट को अब 3,500 रुपये (लगभग $47) का जुर्माना भुगतना पड़ रहा है. बता दें कि डोसा को सांभर और चटनी के साथ परोसे जाने का ट्रेडिशन है. हालांकि, नमक रेस्टोरेंट इस मानदंड का पालन करने में विफल रहा, जिसके कारण ग्राहक के शिकायत करने के बाद कानूनी कार्रवाई हुई.

रेस्टोरेंट ने बिना सांभर के दिया डोसा

विवाद 15 अगस्त 2022 को शुरू हुआ, जब अपना जन्मदिन मना रहे वकील मनीष गुप्ता 140 रुपये की कीमत वाला एक विशेष मसाला डोसा खाने के लिए नमक रेस्टोरेंट गए. उन्होंने एक पैक्ड डोसा का ऑर्डर दिया लेकिन यह जानकर निराश हो गया कि यह सांबर के साथ नहीं आया था. इस चूक से दुखी होकर मनीष गुप्ता ने गायब कॉम्बिनेशन के बारे में पूछताछ करने का फैसला किया. सांभर नहीं मिलने पर रेस्टोरेंट मालिक से सवाल करने पर मनीष को अपमानजनक प्रतिक्रिया मिली. मालिक ने जवाब दिया, "क्या आप 140 रुपये में पूरा रेस्तरां खरीदना चाहते हैं?" इस कम्युनिकेशन ने स्थिति को और अधिक बिगाड़ने का काम किया.

दुकानदार को भरना पड़ा बड़ा जुर्माना

रेस्टोरेंट के रवैये से असंतुष्ट मनीष गुप्ता ने नमक को कानूनी नोटिस देकर कानूनी कार्रवाई की. हालांकि, जब रेस्टोरेंट नोटिस का जवाब देने में विफल रहा, तो वह जिला उपभोक्ता आयोग में औपचारिक शिकायत दर्ज करने के लिए आगे बढ़ा. 11 महीने की कानूनी प्रक्रिया के बाद उपभोक्ता अदालत आखिरकार फैसले पर पहुंची. उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश सिंह और सदस्य वरुण कुमार की खंडपीठ ने नमक रेस्टोरेंट को याचिकाकर्ता मनीष गुप्ता को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक परेशानी पहुंचाने का दोषी पाया. इसके चलते कोर्ट ने रेस्टोरेंट पर 3500 रुपये का जुर्माना लगाया.

जुर्माने को दो भागों में विभाजित किया गया था: मुकदमेबाजी लागत के रूप में 1,500 रुपये और मूल जुर्माने के रूप में 2,000 रुपये. साथ ही, अदालत ने चेतावनी दी कि अगर तय समय सीमा के भीतर भुगतान नहीं किया गया तो नमक रेस्टोरेंट को जुर्माना राशि पर 8% ब्याज देना होगा.

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