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AG600: जिस जंबो जेट पर इतरा रहा चीन, उसमें कौन से सुर्खाब के पर लगे हैं; क्या भारत को है कोई खतरा?

China's AG600: एविएशन वर्ल्ड में इन दिनों चीन का लेटेस्ट जंबो जेट AG600 सुर्खियों में है. अब फिलहाल डिमांड हो या न हो लेकिन चीनी साइंटिस्ट इसे इंजीनियरिंग का नायाब नमूना बता रहे हैं. उनका कहना है कि इससे धांसू एयरक्राफ्ट दूर-दूर तक किसी के पास भी नहीं है. AG600 के दम पर क्या वो सुपरपावर अमेरिका को टक्कर देना चाहता है या फिर भारत को इससे कोई खतरा है? कुल मिलाकर चीन अपनी इस ईजाद पर क्यों इतरा रहा है और क्या कुछ खास है इस एंफीबियस जेट में, आइए जानते हैं.

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चीन ने अपने इस विशाल जेट AG600 को समुद्री गश्त और खोज एवं बचाव कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है. चीन की सरकारी मीडिया शिन्हुआ ने बताया कि चीन का नया बड़ा उभयचर विमान इस सेगमेंट में दुनिया में सबसे बड़ा विमान है. अब बड़े पैमाने पर इसका निर्माण होने जा रहा है. टेस्ट में कामयाब होने के बाद बड़े पैमाने पर ऑर्डर मिलते ही इसके प्रोडक्शन का काम तेज कर दिया गया है.

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AG600 को किसी भी इमरजेंसी यानी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया गया है. ये जमीन के साथ पानी में भी लैंड कर सकता है. प्रोडक्शन कंपनी ने इस जेट को चीन में रेस्क्यू कैटेगिरी वाले विमानों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया था.

 

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बताया जा रहा है कि पूरे चीन में ये जेट खूब डिमांड में है. इसका इस्तेमाल समुद्री खोजों में किया जा सकता है. AG600 को बनाने वाले डेवलपर, एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ऑफ चाइना (AVIC) ने सिन्हुआ को बताया कि पहले बैच के ऑर्डर 30 जून तक रिलीज हो गए थे. 

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कई खूबियों से लैस इस जेट को फाइनल प्रोडक्शन से पहले कई मुश्किल टेस्ट से गुजरना पड़ा. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस विमान पर काम 2014 में शुरू हुआ था. 2017 में इसकी जमीन पर लैंडिंग और साल 2020 में समुद्र में इसे लैंड कराने का काम शुरू हुआ. वहीं फाइनल फ्लाइट टेस्ट 2024 की शुरुआत में शुरू हुए. सारे परीक्षण पास करने के बाद अब इसका मास प्रोडक्शन होने जा रहा है.

 

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चीन इस AG 600 को दक्षिण चीन सागर में अपना दबदबा बढ़ाने और अमेरिका को काउंटर करने की दिशा में गेमचेंजर मान रहा है. चीनी इंजीनियरों का मानना है कि साउथ चीन सागर में किसी भी चीनी ठिकाने तक पहुंचने में इसे चंद मिनट या महज घंटे भर का वक्त लगेगा. ऐसे में रणनीतिक आवश्यकता के हिसाब से ये चीन के लिए तो बड़े काम की चीज है, लेकिन इससे भारत (India) को टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है.

 

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AG-600 विमान के अगले हिस्से यानी नोज को बनाने में करीब तीन महीने का वक्त लगा. इसके डेवलपर, एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ऑफ चाइना (AVIC)के पूर्व अध्यक्ष क्यू जिंगवेन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि ये मल्टीपर्पज विमान समुद्र से टेकऑफ और लैंडिंग दोनों कर सकते हैं. 

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समुद्री लहरें अगरे 2 मीटर (6.6 फीट) तक ऊंची भी हों तो भी AG-600 को समुद्र में उतरने और उड़ान भरने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

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बताया जा रहा है कि ये दो घंटे तक लगातार हवा या पानी में आराम से रह सकता है.

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चीन में इस विमान का इस्तेमाल वार जोन से इतर बिजनेस जोन में होने जा रहा है. शुरुआती ज्यादातर  ऑर्डर प्राइवेट यानी बिजनेस सेक्टर से हैं. बीजिंग के विशाल व्यापार और निवेश नेटवर्क, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के हिस्से में इसकी अहम भूमिका होगी.

 

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इस विमान के बड़े बेड़े के दम पर चीन समुद्री सिल्क रोड पर अपने व्यावसायिक पानी के जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ खुफिया निगरानी का भी काम करेगा.

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