Elephant herd in Assam: हाथियों के झुंड भूख मिटाने के लिए फसलों को बर्बाद कर देते थे जिससे किसानों को भारी नुकसान होता था. लेकिन गांववालों ने हाथियों को दुश्मन मानने के बजाय उनकी भूख को समझा और समस्या का समाधान निकाला.
हाथियों और इंसानों के बीच अक्सर टकराव की खबरें सामने आती हैं. कई बार ये वन्यप्राणी खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे ग्रामीणों का जीवन मुश्किल हो जाता है. लेकिन असम के नौगांव के गांववालों ने इस समस्या का हल ऐसा निकाला कि उनकी पहल की चर्चा अब देशभर में हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में इस अनूठी कहानी को साझा करते हुए गांववालों की सूझबूझ की तारीफ की.
दरअसल, नौगांव असम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है. यहां के करीब 100 गांव हाथियों से परेशान थे. हाथियों के झुंड भूख मिटाने के लिए फसलों को बर्बाद कर देते थे, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता था. लेकिन गांववालों ने हाथियों को दुश्मन मानने के बजाय उनकी भूख को समझा और समस्या का ऐसा समाधान निकाला, जिससे इंसान और जानवर दोनों को राहत मिली.
गांववालों ने 'हाथी बंधु' नाम की एक टीम बनाई और करीब 800 बीघा बंजर जमीन पर नेपियर घास लगाई. नेपियर घास हाथियों का पसंदीदा भोजन है. इस पहल का असर यह हुआ कि हाथियों ने खेतों का रुख करना बंद कर दिया और अब वे उसी इलाके में रहते हैं जहां यह घास उगाई गई है. गांववालों की इस पहल से न केवल उनकी फसलें बचीं, बल्कि हाथियों और इंसानों के बीच का टकराव भी कम हुआ.
पीएम मोदी ने कहा कि यह कहानी दिखाती है कि हमारी संस्कृति और विरासत हमें पशु-पक्षियों के साथ सामंजस्य में रहना सिखाती है. साथ ही उन्होंने देश के नए टाइगर रिजर्व की घोषणा करते हुए इसे भारत के वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया.
पीएम मोदी ने कहा कि नौगांव के गांववालों का यह प्रयास न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह इंसान और प्रकृति के बीच संतुलन का बेहतरीन उदाहरण भी है.
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