Janeu benefits In Hindi: सनातन धर्म जनेऊ का बहुत महत्व है. यज्ञोपवीत यानी जनेऊ धारण करने के कई नियम हैं. बाएं कंधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा पहनते हैं जिसे जनेऊ कहते हैं. आइए जनेऊ के पहनने के फायदे जानें.
जनेऊ में मुख्य तीन धागे होते हैं जो तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण व ऋषिऋण को दर्शाते हैं. ये तीन पवित्र धागे सत्व, रज और तम के साथ ही गायत्री मंत्र के तीन चरणों के भी प्रतीक माने जाते हैं. इस धागों के जनेऊ को संन्यास आश्रम में उतारने का नियम है.
यज्ञोपवीत के एक तार में तीन तार जुड़े होते हैं इस तरह ये नौ हो जाते हैं. यज्ञोपवीत में पांच गांठें लगती हैं जो ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को दर्शाती हैं साथ ही यह पांच यज्ञों के प्रतीक भी होती हैं. पांच गांठें ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों को भी दर्शाती हैं.
सनातन धर्म मानने वाले हर व्यक्ति का जनेऊ संस्कार होता. कुछ का बचपन तो कुछ लोगों का विवाह से पहले जनेऊ संस्कार करवाया जाता है. जनेऊ धारण करने वालों को उसके सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है.
यज्ञोपवीत को मल-मूत्र विसर्जन के पहले दाहिने कान पर चढ़ाया जाता है और स्वच्छ होने के बाद ही कान से उतारा जाता है. ऐसा करने के पीछे का भाव ये है कि यज्ञोपवीत कमर से ऊंचा कर दिया जाए ताकि यह अपवित्र या अशुद्ध न हो सके. साथ ही ऐसा कर अपनी व्रतशीलता का संकल्प याद रहता है.
यज्ञोपवीत का कोई भी एक तार टूटे तो इसे 6 माह के भीतर बदलने का नियम है. नियम अनुसार खंडित यज्ञोपवीत शरीर पर धारण नहीं करना चाहिए. धागे कच्चे और गंदे दिखने पर भी इसे बदलना चाहिए.
यज्ञोपवीत या जनेऊ को संस्कार के बाद शरीर से बाहर नहीं निकालना चाहिए. अगर इसे साफ भी करना है तो कण्ठ में पहने हुए ही घुमाकर साफ करना चाहिए. अगर यब शरीर से उतर जाए तो इसका प्रायश्चित करने के बारे में बताया गया है.
मर्यादा बनी रहे इसके लिए जनेऊ में कभी भी चाबी के गुच्छे जैसी चीजें न बांधे. अगर बचपन में ही अगर किसी बच्चे का जनेऊ संस्कार करना हो तो ध्यान रखें कि बच्चा इतना बड़ा हो कि जनेऊ की पवित्रता बनाए रखे.
कान पर हर रोज जनेऊ लपेटने से स्मरण शक्ति बढ़ती है. कान पर दबाव पड़ने से दिमाग की उन नसों पर असर पड़ता है जिसका संबंध स्मरण शक्ति से है. गलती होने पर बच्चों के कान मरोड़ने का कारण भी यही बताया जाता है.
चिकित्सा विज्ञान की माने तो दाएं कान की नस अंडकोष व गुप्तेन्द्रियों से संबंद्ध होती है. अगर दाएं कान पर जनेऊ लपेटकर मूत्र विसर्जन करें तो कुछ ऐसी नसें दबती हैं, जिनसे वीर्य निकलता है और इस तरह शुक्राणुओं की रक्षा होती है.
जनेऊ को दांए कान के ऊपर बांधने का नियम होता है जिससे कान के जाती नसों पर दबाव पड़ता है जिसका जुड़ाव आंतों से होता है. इन नसों पर दबाव से कब्ज की समस्या करीब करीब दूर होती है और पेट साफ होता है.
जनेऊ धारण करने से बुरे सपने नहीं आते हैं. कान में जनेऊ लपेटने से सूर्य नाड़ी का जागरण होता है. जनेऊ धारण करने से शरीर के विद्युत प्रवाह नियंत्रण में रहता है. काम-क्रोध को नियंत्रित किया जा सकता है.
(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
ट्रेन्डिंग फोटोज़