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Naga Sadhu: ऐसे बनाए जाते हैं नागा साधू, यहां जानें पूरी प्रक्रिया, देखें फोटो

Naga Sadhu: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान नागा साधू बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है. अलग-अलग अखाड़ा अपने परिवार में बढ़ोतरी करने में जुट गए हैं. तो चलिए जानते हैं कि कैसे नागा साधू बनाए जाते हैं.

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Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महकुंभ मेला में नये नागा साधु बनाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं. गंगा-यमुना और अदृश्य संगम के संगम तट पर बने अखाड़ों में नागा साधू बनाने के लिए द्वार खोल दिए गए हैं. मौनी अमावस्या से पहले सातों शैव समेत दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार का कुनबा बढ़ाने में जुट गए हैं. इस बार के महाकुंभ में कई हजार नए नागा साधू बनेंगे.

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अखाड़ों में नागा साधु शामिल करने के लिए जूना अखाड़े ने इस प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है. जूना अखाड़ा शनिवार से ही इस प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है. मिली जानकारी के मुताबिक तंगतोड़ क्रिया के साथ ही नागा साधु बनने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आवाहान समेत उदासीन अखाड़ों में भी मौनी अमावस्या के दिन से नागा साधु बनाने शुरू कर दिए जाएंगे.

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जानकारी के मुताबिक सभी अखाड़ों को मिलाकर 1800 से अधिक साधुओं को नागा बनाया जाएगा. इन साधुओं का संस्कार पूरा होने के बाद सभी नवदीक्षित नागा साधू मौनी अमावस्या के मौके पर अखाड़े के साथ हर-हर गंगे और नम: शिवाय के जयघोष के साथ अपना पहला अमृत स्नान करेंगे.

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जूना अखाड़े में शनिवार के दिन नये साधुओं की चोटी काटी गयी. चोटी कट जाने के बाद कोई नागा सामाजिक जीवन में नहीं लौट सकता है. गंगा के पवित्र जल में 108 डुबकी लगाने के बाद ये नागा साधू कर्म और विजय हवन करेंगे. इस दौरान उनके गुरु उनको अलग-अलग मंत्र देंगे.

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संन्यास की दीक्षा अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर की ओर से दिया जाएगा. इसके बाद सभी लोग मिलकर हवन करेंगे. जिसके बाद अहले सुबह लंगोटी खोलकर नागा बना दिये जायेंगे. हालांकि, इस दौरान नागा साधुओं को वस्त्र के साथ या दिगंबर रूप में रहने का भी विकल्प मिलता है.

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नागा साधू बनाने की शुरुआत सबसे पहले जूना अखाड़े की ओर से शुरू हुई. धर्मध्वजा के नीचे एकांत तपस्या के साथ नागा बनाने की क्रिया आरंभ कर दी गई है. दो दिनों तक नस तोड़ या जिसे कि तंगतोड़ क्रिया करने के बाद नागा साधुओं की दीक्षा पूरी हो जाती है.

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