आज अहोई अष्‍टमी पर पूजा के लिए मिलेगा बस इतना समय, जान लें शुभ मुहूर्त
Advertisement
trendingNow11945036

आज अहोई अष्‍टमी पर पूजा के लिए मिलेगा बस इतना समय, जान लें शुभ मुहूर्त

Ahoi Ashtami 2023: कार्तिक कृष्‍ण अष्‍टमी को अहोई अष्‍टमी व्रत संतान की लंबी उम्र, अच्‍छी सेहत और उज्‍जवल भविष्‍य के लिए रखा जाता है. इस साल अहोई अष्‍टमी पर कुछ बेहद शुभ योग बन रहे हैं. 

आज अहोई अष्‍टमी पर पूजा के लिए मिलेगा बस इतना समय, जान लें शुभ मुहूर्त

Ahoi Ashtami 2023: अहोई अष्‍टमी व्रत को उत्‍तर भारतीय राज्‍यों में बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है. इस दिन माताएं सूर्योदय से पहले जागती हैं और फिर पूरे दिन निर्जला रहकर अपनी संतान की लंबी आयु, अच्‍छी सेहत, सफल-सुखद जीवन के लिए व्रत रखती हैं. अहोई अष्‍टमी व्रत का पारण शाम को तारे देखने के बाद किया जाता है. साथ ही शाम को ही अहोई अष्‍टमी व्रत की पूजा की जाती है. इस साल अहोई अष्‍टमी व्रत आज 5 नवंबर 2023, रविवार को रखा जाएगा. अहोई अष्‍टमी व्रत में अहोई माता, स्याही माता और भगवान गणेश की पूजा-उपासना की जाती है. 

अहोई अष्टमी व्रत-पूजा मुहूर्त 

कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि को अहोई अष्‍टमी व्रत रखा जाता है. पंचांग के अनुसार आज 5 नवंबर 2023 को अहोई अष्‍टमी व्रत रखा जाएगा. आज अहोई अष्टमी पर पूजन का समय शाम 5 बजकर 33 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक ही रहेगा. यानी पूजन के लिए सिर्फ 1 घंटा 19 मिनट का ही समय मिलेगा. वहीं तारे दिखने का समय शाम 5 बजकर 58 मिनट रहेगा. तारे देखने के बाद ही अहोई अष्‍टमी व्रत का पारण किया जाता है.  

अहोई अष्‍टमी पर शुभ योग 

इस साल अहोई अष्टमी पर बेहद शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इसका महत्‍व और भी बढ़ गया है. 5 नवंबर 2023 को रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी है. इन योगों को धर्म और ज्‍योतिष में बहुत शुभ माना गया है. इन शुभ योगों में अहोई माता का पूजन करना विशेष लाभ देगा. 

अहोई अष्टमी पूजा विधि 

अहोई अष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके अहोई माता का स्‍मरण करके व्रत का संकल्‍प लिया जाता है. इसके बाद दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता और उनके सात पुत्रों का चित्र बनाया जाता है. अहोई अष्टमी की पूजा शाम को सूर्यास्त के बाद करने का विधान है. इसके लिए चौकी पर अहोई माता के चित्र के सामने जल से भरा कलश रखें. फिर कलश पर घास रखें. माता का सोलह श्रृंगार करके उनकी रोली, अक्षत से पूजा करें. मीठे पुए या आटे का हल्वे का प्रसाद चढ़ाएं. फिर कलश पर स्वास्तिक बना कर हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें. इसके बाद तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Trending news