Kalashtami 2024: अक्टूबर में इस दिन रखा जाएगा कालाष्टमी का व्रत, जान लें सही डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व
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Kalashtami 2024: अक्टूबर में इस दिन रखा जाएगा कालाष्टमी का व्रत, जान लें सही डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

Kalashtami Vrat Kab hai: हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन काल भैरव की पूजा करने का विधान है. कालाष्टमी की पूजा रात में करने का विधान है. अक्टूबर में कालाष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को है.

Kalashtami 2024: अक्टूबर में इस दिन रखा जाएगा कालाष्टमी का व्रत, जान लें सही डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

Kalashtami October 2024 Date: हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन काल भैरव की पूजा करने का विधान है. कालाष्टमी की पूजा रात में करने का विधान है. काल भैरव की पूजा करने से साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, शत्रुओं से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं अक्टूबर में कालाष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा, क्या है सही डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व...

 

कब है कालाष्टमी 2024?
हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 18 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 25 अक्टूबर को देर रात 1 बजकर 58 मिनट पर हो रही है. इसके चलते कालाष्टमी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य और सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है. 

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कालाष्टमी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति को सभी प्रकार के ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है. साथ ही मन की इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं. रोगों से मुक्ति और आत्मविश्वास में भी वृद्धि पाने के लिए कालाष्टमी का व्रत रखना लाभदायक माना जाता है. कालभैरव व्यक्ति को जीवन में सफलताएं भी प्राप्त कराते हैं.

 

कालाष्टमी पर करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ भं भैरवाय नमः
- ॐ काल भैरवाय नमः

 

करें कालभैरव की आरती

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा। 
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक। 
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी। 
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे। 
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी। 
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत। 
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें। 
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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