Saturday Remedies: दंडाधिकारी होने के बाद भी शनिदेव लोगों के प्रति कृपा और दया भाव रखते हैं. वह अकारण की किसी को दंड नहीं देते हैं, इसलिए मनुष्य यदि सत्कर्म करता हुआ चले तो उनके कोप से बचा जा सकता है.
Trending Photos
Shaniwar ke Upay शनिदेव न्याय के देवता हैं, वह हर किसी के पूर्व जन्मों से लेकर वर्तमान तक के कर्मों का गहराई से ऑडिट करने के बाद ही किसी का दंड निर्धारित करते हैं. खास बात तो यह है कि वह जिस किसी भी व्यक्ति के कर्मों का ऑडिट कर एक बार अपना निर्णय सुना देते हैं तो फिर उनके निर्णय के खिलाफ कहीं अपील भी नहीं होती है अर्थात एक बार जो दंड निर्धारित कर दिया उसमें कोई संशोधन या दंड को वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है.
शनिदेव के प्रकोप से कैसे बचें?
दंडाधिकारी होने के बाद भी शनिदेव लोगों के प्रति कृपा और दया भाव रखते हैं. वह अकारण की किसी को दंड नहीं देते हैं, इसलिए मनुष्य यदि सत्कर्म करता हुआ चले तो उनके कोप से बचा जा सकता है. शनिदेव के दंड का वेग यानी उसकी तीव्रता कम करने के लिए स्वयं शनिदेव ने ही कुछ उपाय बताए हैं. जो लोग भी शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से प्रभावित हों उन्हें निश्चित रूप से इन उपायों का उपयोग करना चाहिए.
ब्रह्म पुराण में वर्णन
ब्रह्म पुराण के 118 वें अध्याय में शनिदेव स्वयं ही कहते हैं कि मेरे दिन अर्थात शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेगा, उसके सभी कार्य निर्विघ्न सिद्ध होंगे. इतना ही नहीं उसे मेरे माध्यम से किसी तरह की पीड़ा नहीं पहुंचेगी. जो लोग शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष को स्पर्श करेंगे, उन्हें शनि ग्रह आधारित किसी तरह का कष्ट नहीं होगा.
यह भी पढ़ें: Surya Grah Upay: कुंडली में सूर्य कमजोर होने से हो सकती हैं गंभीर बीमारियां, जानें मजबूत करने के उपाय
आजमाएं ये उपाय
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए “ओम नमः शिवाय” का 108 बार जप करने से हर तरह का दुःख, कठिनाई एवं ग्रह दोषों का प्रभाव शांत हो जाता है. इसी तरह पद्म पुराण में भी कहा गया है कि प्रत्येक शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और संध्या के समय दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं, अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)