Manaskhand Corridor Yatra: मानसखंड को क्‍यों कहा जाता है 'मंदिरमाला'? मानसरोवर से है सीधा संबंध
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Manaskhand Corridor Yatra: मानसखंड को क्‍यों कहा जाता है 'मंदिरमाला'? मानसरोवर से है सीधा संबंध

Mandirmala Project: उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने आज 22 अप्रैल 2024 से मानसखंड कॉरिडोर यात्रा शुरू कर दी है. इसमें तीर्थयात्री कुमाऊं क्षेत्र के प्राचीन मंदिरों के दर्शन करेंगे. आइए जानते हैं मानसखंड का महत्‍व. 

Manaskhand Corridor Yatra: मानसखंड को क्‍यों कहा जाता है 'मंदिरमाला'? मानसरोवर से है सीधा संबंध

Uttarakhand Temples Tourism: उत्तराखंड के मानसखंड कॉरिडोर को मंदिरमाला कहा जाता है. इसमें कई मंदिरों की श्रृंखला शामिल है, जिसके दर्शन श्रद्धालु करते हैं. आज 22 अप्रैल 2024 से उत्तराखंड के पर्यटन विभान ने रेलवे के साथ मिलकर मानसखंड कॉरिडोर की तीर्थयात्रा की शुरुआत की है. इसमें पुणे से पिथौरागढ़ जिले के टनकपुर तक एक विशेष ट्रेन चलाई जाएगी. इस ट्रेन के जरिए 2 जत्थों में 600 से अधिक तीर्थयात्री मानसखंड कॉरिडोर के कई प्राचीन मंदिरों के दर्शन कर सकेंगे. यह यात्रा सात दिन और छह रात की होगी. 

क्‍या है मानसखंड? 

आध्यात्मिक एवं धार्मिक रूप से उत्तराखंड को शिव की भूमि माना जाता है. इसे मानसखंड और केदारखंड में बांटा गया है. 'मानसखंड' का उल्‍लेख प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है. मानसखंड उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक वाक्यांश है. इसके तहत कुमाऊं मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में आने वाले मंदिर आते हैं. यूं कहें कि जिस तरह गढ़वाल मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों को भगवान केदारनाथ की भूमि मानते हुए केदारखंड पुकारा जाता है. वैसे ही कुमाऊं मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों को कैलाश मानसरोवर की जलभूमि मानते हुए मानसखंड कहा जाता है. 

मानसखंड में प्राचीन मंदिरों की एक पूरी श्रृंखला या लड़ी है, जिसे मंदिरमाला कहा जाता है. इसमें कुमाऊं क्षेत्र के कई प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिर आते हैं. तीर्थयात्री इन मंदिरों के दर्शन करने आते हैं. सरकार कुमाऊं क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और श्रद्धालुओं के लिए इन मंदिरों के दर्शन सुलभ कराने के लिए मंदिरमाला प्रोजेक्‍ट चला रही है. 

मंदिरमाला के मंदिर 
 
अल्मोड़ा : जागेश्वर महादेव, चितई गोलज्यू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर, नंदादेवी मंदिर कसारदेवी मंदिर, झांकर सैम मंदिर
पिथौरागढ़ : पाताल भुवनेश्वर, हाटकालिका मंदिर, मोस्टमाणु मंदिर, बेरीनाग मंदिर, मलेनाथ मंदिर, थालकेदार मंदिर
बागेश्वर : बागनाथ महादेव, बैजनाथ मंदिर, कोट भ्रामरी मंदिर
चंपावत : पाताल रुद्रेश्वर गुफा, गोल्ज्यू मंदिर, निकट गोरलचौड मैदान, पूर्णागिरी मंदिर, बाराही देवी मंदिर, देवीधुरा मंदिर, रीठा मीठा साहिब मंदिर
नैनीताल : गोल्ज्यू मंदिर, नैनादेवी मंदिर, गर्जियादेवी मंदिर कैंचीधाम मंदिर, हनुमान मंदिर
ऊधमसिंह नगर : चैती (बाल सुंदरी) मंदिर, अटरिया देवी मंदिर व नानकमत्ता साहिब

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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