Ram Katha: महर्षि नारद ने पार्वती जी का भविष्य बांचते हुए कहा- विधाता का लिखा कोई नहीं बदल सकता
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Ram Katha: महर्षि नारद ने पार्वती जी का भविष्य बांचते हुए कहा- विधाता का लिखा कोई नहीं बदल सकता

Ramayan Story: पर्वतराज हिमाचल (Parvatraj Himachal) के यहां पार्वती जी के जन्म लेने के नारद मुनि (Narada Muni) ने उनकी कुंडली बांचते हुए जब बताया कि वह तो अखंड सौभाग्यवती हैं, किंतु पति के रूप में उन्हें कोई योगी, जटाधारी ही प्राप्त होगा. इस पर पर्वतराज ने उपाय पूछा तो महर्षि नारद (Maharishi Narada) ने कहा कि विधाता का लिखा न कोई बदल सकता है और ही कोई मिटा सकता है. 

राम कथा

Ramayan Story in Hindi: पर्वतराज हिमाचल की पुत्री के रूप में पार्वती जी के जन्म की जानकारी पर नारद मुनि उनके घर पर पहुंचे और उनके आग्रह पर कुंडली बांचते हुए पार्वती (Parvati) जी के गुण-दोष बताए. नारद मुनि के मुख से पार्वती जी के गुणों को सुनकर  पर्वतराज हिमाचल और उनकी पत्नी मैना बहुत ही प्रसन्न हुईं, किंतु जैसे ही उन्होंने पार्वती जी के होने वाले पति के बारे में बताया कि इन्हें योगी, जटाधारी, अमंगल वेशधारी और इच्छा रहित हृदय वाला पति प्राप्त होगा, पति-पत्नी दोनों ही दुखी हो गए, जबकि पार्वती जी मन ही मन प्रसन्न हो गईं. उनके मन में शिवजी (Shiva) के चरणों के प्रति प्रेम पैदा हो गया, किंतु मन में संदेह हुआ कि उनसे मिलना आसान नहीं होगा.

पर्वतराज हिमाचल ने नारद मुनि से ही पूछा, अब क्या उपाय है

उचित अवसर न जानकर पार्वती जी ने अपने मन के विचारों को दबा लिया और अपनी सखियों के पास जाकर बैठ गईं. वह मन ही मन विचार करने लगीं कि महर्षि नारद के वचन कभी भी झूठे नहीं हो सकते हैं. यही विचार कर पर्वतराज की पत्नी मैना और पार्वती जी की चतुर सखियां चिंता करने लगीं. चिंता तो सभी कर रहे थे, तभी पर्वतराज ने मन में धीरज रखते हुए नारद मुनि के सामने हाथ जोड़ कर पूछा कि हे मुनीश्वर अब आप ही बताइए, क्या उपाय किया जाए.

महर्षि नारद ने कहा, विधाता का लिखा कोई नहीं बदल सकता

मुनीश्वर नारद जी ने पर्वतराज हिमाचल को जवाब देते हुए कहा कि विधाता ने किसी के भी मस्तक पर जो लिख दिया है, उसे तो देवता, दानव, मनुष्य, नाग और मुनि भी नहीं बदल सकते या मिटा सकते हैं, फिर भी मैं एक उपाय बताता हूं, यदि दैव सहायता करें तो वह सिद्ध हो सकता है, किंतु मैंने वर के जो भी दोष बताए हैं, वह सभी मेरे अनुमान से शिवजी में हैं. यदि पार्वती जी का शिव जी से विवाह हो जाए तो मैने उमा के वर में जो भी दोष गिनाए हैं, वह सभी गुण में परिवर्तित हो जाएंगे. जैसे विष्णु जी शेषनाग की शैय्या पर सोए होते हैं फिर भी विद्वान लोग कोई दोष नहीं बताते हैं. जैसे सूर्य और अग्नि अच्छे और बूरे सभी रसों का भक्षण करते हैं फिर भी उन्हें कोई बुरा नहीं कहता है.

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