DNA on Rajapaksa family: श्रीलंका अपने गंभीर आर्थिक संकट की वजह से बर्बाद हो चुका है. इस हालात से उबरने में उसे कई साल लग सकते हैं. क्या उसे इस हाल में पहुंचाने के लिए राजपक्षे परिवार का भ्रष्टाचार जिम्मेदार है.
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DNA on Sri Lanka Economic Crisis and Rajapaksa family: इस समय श्रीलंका (Sri Lanka) में जो कुछ हो रहा है, वो अभूतपूर्व भी है और चिंताजनक भी. श्रीलंका के सवा दो करोड़ लोगों ने बुधवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) को देश छोड़ कर भागने पर मजबूर कर दिया. जैसे ही ये ख़बर आई कि गोटाबाया राजपक्षे अपने परिवार के साथ सेना के विमान से Maldives भाग गए हैं, उसके बाद श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हिंसा शुरू हो गई. श्री-लंका की कुल आबादी सवा दो करोड़ और कुल क्षेत्रफल 65 हज़ार 610 वर्ग किलोमीटर है. यानी क्षेत्रफल के मामले में भारत का असम राज्य ही श्रीलंका से कहीं बड़ा है. असम 78 हज़ार 438 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है. इस समय श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और प्रधानमंत्री दफ्तर पर देश के आम लोगों ने कब्जा कर लिया है.
पीएम आवास पर भीड़ का कब्जा
अभी श्रीलंका (Sri Lanka) की सड़कों पर दाने दाने के लिए दंगे हो रहे हैं. वहां लोकतंत्र अब हिंसा की मशाल बन कर देश को अस्थिरता की आग में धकेल रहा है. यानी आर्थिक रूप से कंगाल हो चुके श्रीलंका में अब संवैधानिक व्यवस्था भी एक तरह से मृत्यु की कगार पर खड़ी है. ये खबर सिर्फ बर्बाद होते श्रीलंका के बारे में नहीं है बल्कि इस खबर में कई सबक छिपे हैं. श्रीलंका के प्रधानमंत्री कार्यालय पर देश के आम लोगों ने आज कब्ज़ा कर लिया. श्रीलंका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब प्रधानमंत्री कार्यालय में हिंसक भीड़ ना सिर्फ घुस आई बल्कि इस भीड़ ने वहां के संवैधानिक मूल्यों की भी धज्जियां उड़ा कर रख दीं.
मालदीव भाग गए गोटबाया राजपक्षे
गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) के Maldives भागने के बाद देश के लोगों ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में विरोध प्रदर्शन किया. इसके अलावा राष्ट्रपति सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी आम लोगों ने बन्धक बना लिया. असल में श्रीलंका में अभी जो हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, उनकी मुख्य मांग गोटाबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति के पद से हटाने की है. इसीलिए वहां शुरुआत से 'Go गोटा Go' के नारे लगाए जा रहे हैं. गोटाबाया राजपक्षे ने ऐलान किया था कि वो 13 जुलाई को इस्तीफा दे देंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. वो इस्तीफा देने के पहले ही अपने परिवार के साथ देश छोड़ कर Maldives भाग गए. अब श्रीलंका के मौजूदा प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है. लेकिन श्रीलंका के लोग अब इसका भी विरोध कर रहे हैं.
हालांकि इन लोगों के अन्दर सबसे ज्यादा गुस्सा गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapakse) को लेकर ही है. गोटाबाया राजपक्षे को श्रीलंका में Terminator कहकर पुकारा जाता है. क्योंकि उन्होंने वर्ष 2005 से वर्ष 2015 तक श्रीलंका का रक्षा सचिव रहते हुए वहां के आतंकवादी संगठन LTTE को खत्म करने का काम किया था. इस बार इस Terminator के खुद Terminate होने की नौबत आ गई. गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति होने के साथ वहां के रक्षा मंत्री भी थे. बड़ी बात ये है कि श्रीलंका के लोगों ने उन्हें देश छोड़ कर भागने के लिए मजबूर कर दिया. इससे पता चलता है कि एक लोकतांत्रिक देश में लोगों की ताकत से बड़ा कुछ नहीं होता.
श्रीलंका पर था राजपक्षे परिवार का कब्जा
श्रीलंका (Sri Lanka) के मौजूदा हालात में पहला बड़ा सबक यही छिपा है कि अगर किसी देश की राजनीतिक व्यवस्था एक परिवार के इर्द गिर्द सिमट जाए तो उस देश का बर्बाद होना निश्चित है. असल में श्रीलंका का ये हाल राजपक्षे परिवार की वजह से हुआ है.
आर्थिक संकट से पहले श्रीलंका की सरकार में और देश के तमाम बड़े संवैधानिक पदों पर राजपक्षे परिवार का ही कब्जा हुआ करता था. श्रीलंका की सरकार में इस परिवार के कुल सात लोग थे. इनमें गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति थे. उनके भाई महिन्दा राजपक्षे श्रीलंका के प्रधानमंत्री थे. चमल राजपक्षे सरकार में सिंचाई मंत्री थेऔर सबसे छोटे भाई बासिल राजपक्षे वित्त मंत्री थे. यानी चारों भाई सरकार में बड़े पदों पर थे. इसके अलावा प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्षे के पुत्र नमल राजपक्षे खेल मंत्री थे और सिंचाई मंत्री चमल राजपक्षे के पुत्र शीशेंद्र राजपक्षे सरकार में जूनियर मिनिस्टर थे. यानी श्रीलंका में एक ऐसी सरकार थी, जो देशहित में कम और परिवारहित में ज्यादा काम कर रही थी. यही वजह है कि ये परिवार तो सत्ता में रहते हुए और ताकतवर बन गया लेकिन श्रीलंका एक देश के तौर पर बहुत कमज़ोर हो गया. इस बात को आप कुछ आंकड़ों से भी समझ सकते हैं.
देश को प्राइवेट कंपनी की तरह चलाया
श्रीलंका (Sri Lanka) के कुल बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा उन मंत्रालयों को अलॉट होता था, जिनकी ज़िम्मेदारी राजपक्षे परिवार के सदस्यों के पास होती थी. यानी मान लीजिए श्रीलंका का सालाना बजट 100 रुपये है तो इसमें से 75 रुपये उन मंत्रालयों को मिल जाते थे, जो राजपक्षे परिवार के पास होते थे. ऐसा करके इस परिवार ने श्रीलंका को खूब लूटा और देश को आर्थिक संकट की आग में झोंक दिया. इसके अलावा राजपक्षे परिवार ने श्रीलंका को एक प्राइवेट कम्पनी की तरह चलाने की कोशिश की और अपने हिसाब से संविधान में भी कई बड़े बदलाव किए.
जैसे पूर्व प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्षे अपने भाई बासिल राजपक्षे को सरकार में वित्त मंत्री बनाना चाहते थे. लेकिन बासिल राजपक्षे के पास दो देशों की नागरिकता थी. वो श्रीलंका के भी नागरिक थे और उनके पास अमेरिका की भी नागरिकता थी. इस आधार पर उन्हें वित्त मंत्री नहीं बनाया जा सकता था. लेकिन महिन्दा राजपक्षे ने ऐसा करने के लिए संविधान में बदलाव किए और गोटाबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति के तौर पर इस संशोधन को अपनी अनुमति दे दी.
विदेशों से जमकर लेते रहे कर्ज
इसके अलावा राजपक्षे परिवार ने श्रीलंका की सरकार में रहते हुए आर्थिक संकट के बावजूद दूसरे देशों से कर्ज लेना जारी रखा और आयात पर भी अपनी निर्भरता को कम नहीं किया, जिससे वहां हालात बिगड़ते चले गए. आज पूरा श्रीलंका आक्रोश की आग में जल रहा है.
श्रीलंका (Sri Lanka) को भारत के एक साल बाद वर्ष 1948 में ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली थी. यानी आप कह सकते हैं कि श्रीलंका और भारत लगभग एक साथ आजाद हुए थे. हालांकि श्रीलंका कभी भी भारत की तरह राजनीतिक स्थिरता हासिल नहीं कर पाया और वर्ष 1983 से 2009 तक वहां 26 साल लम्बा गृह युद्ध चला.
ये उसी दौर की बात है, जब श्रीलंका में आतंकवादी संगठन Liberation Tigers of Tamil Eelam यानी LTTE.. Sri Lankan Tamlis के लिए एक अलग देश की मांग कर रहा था. इस गृह युद्ध के बाद 2009 से 2019 के बीच श्रीलंका ने काफी तरक्की की. इस दौरान पश्चिमी देश ये कहते थे कि भारत को श्रीलंका के आर्थिक मॉडल से सीख लेनी चाहिए.
3 साल में कहां से कहां पहुंच गया श्रीलंका
आज से तीन वर्ष पहले World Bank ने श्रीलंका (Sri Lanka) को दुनिया के उन देशों की सूची में रखा था, जहां अधिकतर नागरिकों की आय High Middle Income की श्रेणी में थी. तब सवा दो करोड़ की आबादी वाले इस देश में प्रति व्यक्ति आय 3 हज़ार 852 US Dollars यानी लगभग 3 लाख 4 हज़ार रुपये पहुंच गई थी. जबकि 2019 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 2100 US Dollars यानी लगभग एक लाख 66 हज़ार रुपये थी. अब सवाल है कि जिस देश को World Bank ने आज से तीन साल पहले आर्थिक रूप से सम्पन्न देश मान लिया था और जहां प्रति व्यक्ति आय भारत से भी दोगुनी थी. उस देश में ऐसा क्या हुआ कि आज वहां दाने दाने के लिए दंगे हो रहे हैं और आज उसी श्रीलंका को भारत से बार-बार कर्ज लेना पड़ रहा है?
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