UNRWA Fund Ban: अमेरिका जल्द यूनाइटेड नेशन रिलीफ एंड वर्क एजेंसी (UNRWA) की फंडिंग पर रोक लगा सकता है. माना जा रहा है कि इससे गाजा के लोगों की दिक्कतें बढ़ेंगी. पर अमेरिका ये कदम क्यों उठा रहा है?
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UNRWA Defunding By US: अमेरिका के नए सिक्योरिटी बिल (US Security Bill) से फिलिस्तीन (Palestine) के लोगों की परेशानी बढ़ने वाली है. दरअसल, नए बिल में यूनाइटेड नेशन की उस एजेंसी के ऑपरेशन को बड़ा झटका लगने वाला है, जो फिलिस्तीन और गाजा में लोगों की मदद करती है. लेकिन अमेरिका के नए बिल में यूनाइटेड नेशन रिलीफ एंड वर्क एजेंसी (UNRWA) का फंड रोकने का प्रस्ताव दिया गया है. दरअसल, अमेरिका का आरोप है कि जो पैसा लोगों के खाने-पीने उनके पुनर्वास के लिए एजेंसी को दिया जाता है उसका इस्तेमाल इजराइल पर हमले के लिए किया जाता है और ये अब बर्दाश्त नहीं होगा. अमेरिका की तरफ से UNRWA का फंड रोकने के प्रस्ताव के क्या मायने हैं, आइए समझते हैं.
UNRWA की फंडिंग रुकी तो क्या होगा?
बता दें कि अमेरिकी सीनेट में जो बिल पेश किया गया है कि उसमें UNRWA को दिए जाने वाले फंड पर रोक लगाने का प्रस्ताव भी शामिल है. इस प्रस्ताव से फिलिस्तीन के लोगों की बेचैनी बढ़ गई है. क्योंकि अगर UNRWA की फंडिंग बंद होती है तो लाखों लोगों के सामने भूखे मरने की नौबत आ सकती है.
अमेरिका के कदम से बढ़ी बेचैनी
जान लें कि इजरायल और गाजा के बीच युद्ध अब भी जारी है. ये कब खत्म होगा इसका कोई अंदाजा नहीं है. दोनों तरफ से हमले हो रहे हैं. इस बीच, आम लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गाजा में लाखों लोगों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा है. ऐसे में अगर अमेरिका फंडिंग बंद करता है तो एजेंसी फिलिस्तीन के लोगों की मदद नहीं कर पाएगी.
कैसे सुलझेगी रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या?
गौरतलब है कि UNRWA की फंडिंग रोकने की बात तो तब हो रही है, जब फिलिस्तीन और गाजा के लोग नाजुक परिस्थिति से गुजर रहे हैं. UNRWA गाजा में मानवीय मदद कर रहा है. दावा किया जाता है कि इजराइल की बमबारी में 27 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मर चुके हैं. उनके घर तबाह हुए हैं. उनके सामने रोटी, कपड़ा और मकान की बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं. ऐसे में मदद रुकी तो बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है.
UNRWA की फंडिंग का गलत इस्तेमाल?
दूसरी तरफ, अमेरिका का आरोप है कि जो फंडिंग UNRWA को दी जाती है उसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है. आतंकियों को क्या इससे मदद पहुंचती है, इसको लेकर भी जांच चल रही है. जान लें कि इजराइल ने आरोप लगाया था कि एजेंसी के साथ काम करने वाले कई कर्मचारी भी 7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमले में शामिल थे. उस अटैक में इजराइल के 1300 से ज्यादा लोग मारे गए थे.