Russia Ukraine War: '38 ऑरेंज पर बनाएं 5 चीनी टी बैग', जंग के बीच कोड लैंग्वेज का गेम
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Russia Ukraine War: '38 ऑरेंज पर बनाएं 5 चीनी टी बैग', जंग के बीच कोड लैंग्वेज का गेम

Ukraine War: दो साल के युद्ध के बाद यूक्रेन गोला-बारूद और सैनिकों की गंभीर कमी से जूझ रहा है. यूक्रेनी सेनाएं अपने सबसे महत्वपूर्ण संसाधनों को बचाने के लिए सदियों पुरानी रणनीति - रेडियो इंटरसेप्ट से प्राप्त खुफिया जानकारी - का सहारा ले रही हैं.

Russia Ukraine War:  '38 ऑरेंज पर बनाएं 5 चीनी टी बैग', जंग के बीच कोड लैंग्वेज का गेम

Russia Ukraine War News: रूसी सेना की बेहद मुश्किल कोड लैंग्वेज का तोड़ यूक्रेन ने निकाल लिया है. युद्ध के मैदान में मिखास के नाम से मशहूर यूक्रेनी सैनिक, ने रूसियों की बातचीत को सुनने और उसका विश्लेषण करने में कई महीने बिताए हैं, वह तुरंत इसे समझने में माहिर हो गया है.

एबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेनी रेडियो दुश्मन की कम्युनिकेशन को पकड़ता है तो उसमें रूसी आदेश सुनाई देता है कि '38 संतरे पर पांच चीनी चाय बैग बनाएं.' अब इसका मतलब समझना बेहद मुश्किल है लेकिन मिसाख इसका अर्थ समझ लेता है. इसका अर्थ है-  बीजिंग निर्मित पांच तोपखाने के गोले तैयार करें और उन्हें सेरेब्रियांस्की जंगल में एक खास यूक्रेनी लोकेशन पर दागें, जो देश के अशांत उत्तर-पूर्व में प्रंट लाइन है.

एक तहखाने में छिपकर, मिखास ने तुरंत जंगल के उस हिस्से में स्थित एक यूनिट के कमांडर को यह जानकारी दी, जिससे उसे अपने लोगों की जान बचाने के लिए कुछ जरूरी समय मिल गया.

रिपोर्ट के मुताबिक दो साल के युद्ध के बाद यूक्रेन गोला-बारूद और सैनिकों की गंभीर कमी से जूझ रहा है. यूक्रेनी सेनाएं अपने सबसे महत्वपूर्ण संसाधनों को बचाने के लिए एक हताश कोशिश में सदियों पुरानी रणनीति - रेडियो इंटरसेप्ट से प्राप्त खुफिया जानकारी - का सहारा ले रही हैं.

यह मेहनत भरा काम इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने और बेहतर करने की एक बड़ी कोशिश का हिस्सा है ताकि सैनिकों को होने वाले हमलों के बारे में पहले ही चेतावनी दी जा सके.

पिछले सप्ताह यूक्रेन की सेना का नेतृत्व करने के लिए प्रमोट किए गए कमांडर जनरल ऑलेक्ज़ेंडर सिर्स्की ने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के महत्व को समझा है और देश के रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए लोगों और टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराने के लिए  खर्च बढ़ा दिया है.

रूस का यूक्रेन के लगभग पांचवें हिस्से पर कंट्रोल. उसे अधिक विकसित घरेलू हथियार इंडस्ट्री का फायदा हासिल है. दूसरी तरफ यूक्रेन के लिए, गोला-बारूद की कमी ने ब्रिगेडों को कम से कम और सटीक टारगेट्स का पता लगाने के बाद ही गोले का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया है. इसलिए हतर निगरानी, छिपकर बातें करना और जैमिंग करना अधिक जरूरी हो गया है.

डोनेट्स्क क्षेत्र के शहर कोन्स्टेंटिनिव्का में, 93वीं ब्रिगेड की इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर इकाई हमले वाले ड्रोनों को रोकने के लिए जैमर का इस्तेमाल कर रही है. ड्रोन हमले क्षेत्र में सैनिकों के घायल होने का मुख्य कारण है.

प्लाटून कमांडर भी सतर्क हैं, उनकी नजह एक लैपटॉप रहती हैं जो फ्रंट लाइन के पास लगाए गए छोटे एंटेना द्वारा भेजे जा रहे सिग्नल दिखाता है. जब एक रूसी ड्रोन उनके ऑपरेशन एरिया के पास पहुंचता है, तो उसकी स्क्रीन एक्टिविटी से जगमगा उठती है.

मिखास जैसे रेडियो ऑपरेटर चौबीसों घंटे शिफ्ट में काम करते हैं. रूसी रेडियो सिग्नल पकड़ने के लिए वह जिन एंटेना पर भरोसा करता है, वे रूसी ठिकानों के करीब, क्रेमिन्ना के पास जंगल में पेड़ों पर लगे हैं. पास के एक शांत बेसमेंट कमांड सेंटर से, मिखास और अन्य सैनिक सिगरेट हेडफ़ोन के माध्यम से सिग्नल सुनते हैं.

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